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चुनावी मौसम में होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी, नेताओं के दौरों से बढ़ी मांग

प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आता जा रहा है, नेताओं के खर्चे बढ़ते जा रहे हैं. इससे होर्लिंग और पोस्टर के कारोबारियों की बल्ले-बल्ले हुई है.

होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी
होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी
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Published : Dec 16, 2021, 8:53 PM IST

गोरखपुरः ये जिला सीएम का गृह क्षेत्र है, जिसको देखते हुए यहां का राजनीतिक पारा और भी चढ़ा है. बीजेपी में पीएम मोदी से लेकर तमाम बड़े नेताओं के दौरे हुए हैं. आगे भी बड़े-बड़े नेता आएंगे. एसपी में अखिलेश यादव का रोड शो भी होर्डिंग्स के कारोबारियों को प्रचार सामग्री तैयार करने में बड़ी मदद किया. इस कारोबार से कई कारोबारी लाभ कमा रहे हैं. जिसमें कील से लेकर लकड़ी और प्रिंटर से लेकर ठेके पर इन्हें शहर के विभिन्न चौराहों और बिजली खम्बे पर लगाने वाले लोग लाभ कमा रहे हैं.

इस कारोबार से जुड़े अधिकांश लोग शहर के धर्मशाला बाजार क्षेत्र में अपना काम करते हैं. कारोबारियों का कहना है कि होर्डिंग्स तैयार करने का काम पिछले चुनाव में करीब 3 करोड़ का था. इसमें एक चेन काम करती है. प्रिंटर नेताओं की डिजाइन प्रिंट करता है. प्रिंट पर लगने वाली बीट जो लकड़ी की होती है. उसे लकड़ी कारोबारी सप्लाई देता है. फिर जाकर होर्डिंग्स के कारीगर इसमें कील का प्रयोग करते हुए होर्डिंग्स तैयार करते हैं. कारोबारी प्रमोद पाल कहते हैं कि चुनावी मौसम में उनकी डिमांड बढ़नी स्वाभाविक है. बाकी समय धंधा एक हिसाब से चलता है. उन्हें सत्ता में बीजेपी के होने से इसके नेताओं का काम ज्यादा मिल रहा है. एसपी भी इसके पीछे-पीछे है. उन्होंने कहा कि यही दोनों पार्टियां धंधे को जिंदा किये हुए हैं. बीएसपी और कांग्रेस अभी इस काम में बहुत ढीली हैं. इसके हुनरमंद भी काफी बुजुर्ग और अनुभवी हैं, जो हर साइज के होर्डिंग्स तैयार करने में माहिर हैं.

नेताओं के दौरों से बढ़ी मांग

इसे भी पढ़ें- संसद में लखीमपुर कांड की गूंज : शीतकालीन सत्र का 14वां दिन हंगामे की भेंट चढ़ा, कार्यवाही स्थगित

ये कारोबार जहां कुछ लोगों के रोजगार का साधन बना हुआ है, तो नेताओं के लिए ये कम खर्च में अच्छे प्रचार का साधन होता है. जो टिकाऊ भी होता है. छात्र संघ के चुनाव से भी होर्डिंग्स कारोबारी लाभ कमाते थे. लेकिन योगी राज में वो बंद चल रहा है. ऐसे में इसके कारोबारियों को अब राजनीतिक दलों के नेताओं का ही भरोसा है. ईटीवी भारत से कुछ कारोबारी बात करने से भी बच रहे थे. उन्हें डर था कि कहीं वो भी टैक्स के दायरे में न आ जाएं. ये लोग तो अपने लिए हर समय चुनाव की बहार चाहते हैं. जिससे धंधा कभी मंदा ही न हो.

होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी
होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी
होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी
होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी

गोरखपुरः ये जिला सीएम का गृह क्षेत्र है, जिसको देखते हुए यहां का राजनीतिक पारा और भी चढ़ा है. बीजेपी में पीएम मोदी से लेकर तमाम बड़े नेताओं के दौरे हुए हैं. आगे भी बड़े-बड़े नेता आएंगे. एसपी में अखिलेश यादव का रोड शो भी होर्डिंग्स के कारोबारियों को प्रचार सामग्री तैयार करने में बड़ी मदद किया. इस कारोबार से कई कारोबारी लाभ कमा रहे हैं. जिसमें कील से लेकर लकड़ी और प्रिंटर से लेकर ठेके पर इन्हें शहर के विभिन्न चौराहों और बिजली खम्बे पर लगाने वाले लोग लाभ कमा रहे हैं.

इस कारोबार से जुड़े अधिकांश लोग शहर के धर्मशाला बाजार क्षेत्र में अपना काम करते हैं. कारोबारियों का कहना है कि होर्डिंग्स तैयार करने का काम पिछले चुनाव में करीब 3 करोड़ का था. इसमें एक चेन काम करती है. प्रिंटर नेताओं की डिजाइन प्रिंट करता है. प्रिंट पर लगने वाली बीट जो लकड़ी की होती है. उसे लकड़ी कारोबारी सप्लाई देता है. फिर जाकर होर्डिंग्स के कारीगर इसमें कील का प्रयोग करते हुए होर्डिंग्स तैयार करते हैं. कारोबारी प्रमोद पाल कहते हैं कि चुनावी मौसम में उनकी डिमांड बढ़नी स्वाभाविक है. बाकी समय धंधा एक हिसाब से चलता है. उन्हें सत्ता में बीजेपी के होने से इसके नेताओं का काम ज्यादा मिल रहा है. एसपी भी इसके पीछे-पीछे है. उन्होंने कहा कि यही दोनों पार्टियां धंधे को जिंदा किये हुए हैं. बीएसपी और कांग्रेस अभी इस काम में बहुत ढीली हैं. इसके हुनरमंद भी काफी बुजुर्ग और अनुभवी हैं, जो हर साइज के होर्डिंग्स तैयार करने में माहिर हैं.

नेताओं के दौरों से बढ़ी मांग

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ये कारोबार जहां कुछ लोगों के रोजगार का साधन बना हुआ है, तो नेताओं के लिए ये कम खर्च में अच्छे प्रचार का साधन होता है. जो टिकाऊ भी होता है. छात्र संघ के चुनाव से भी होर्डिंग्स कारोबारी लाभ कमाते थे. लेकिन योगी राज में वो बंद चल रहा है. ऐसे में इसके कारोबारियों को अब राजनीतिक दलों के नेताओं का ही भरोसा है. ईटीवी भारत से कुछ कारोबारी बात करने से भी बच रहे थे. उन्हें डर था कि कहीं वो भी टैक्स के दायरे में न आ जाएं. ये लोग तो अपने लिए हर समय चुनाव की बहार चाहते हैं. जिससे धंधा कभी मंदा ही न हो.

होर्डिंग-पोस्टर के कारोबार में आई तेजी
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