गोरखपुर: नवरात्रि के पर्व पर जिले के गोलघर स्थित काली माता के मंदिर पर दर्शन पूजन और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. शहर ही नहीं आसपास के जिलों से भी लोग श्रद्धा के साथ नारियल, चुनरी चढ़ाकर अपनी मुरादें पूरी होने की कामना के साथ पहुंचते हैं. कहा जाता है कि गोलघर काली मंदिर के स्थान पर मां पिंडी रूप में सैकड़ों वर्ष पूर्व वन क्षेत्र में दिखाई दी थीं. जिसे स्थानीय एक व्यापारी ने मंदिर का भव्य स्वरूप दिया और पूजन अर्चना का कार्य प्रारंभ हुआ.
सन् 1948 में हुआ था मंदिर का निर्माण
सैकड़ों वर्ष पहले मंदिर का क्षेत्र वनाच्छादित था. जब मां पिंडी रूप में दिखाई दी थीं तो यह खबर तेजी के साथ फैली. यहां पूजन अर्चना शुरू हो गया. श्रद्धालुओं की आस्था देखकर स्थानीय व्यापारी जंगी लाल जायसवाल ने सन् 1948 में मंदिर का निर्माण कराया. लोगों की मान्यता है कि गोलघर की काली मां बहुत सिद्ध हैं, उनसे जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होती है. आम दिनों में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. यही वजह है कि यहां दर्शन के लिए मंत्री हों या सांसद दौड़े चले आते हैं.
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मंदिर की विशेषता
दिनभर भारी भीड़ के चलते रात के 12 बजे से मंदिर की सफाई शुरू हो जाती है, क्योंकि भक्त भोर में ही पहुंचने लगते हैं. रात में 7 बजे मां की भव्य आरती की जाती है. आरती से पहले मां का पट बंद हो जाता है और फिर घंटे की धुन, आरती के साथ मां अपना दर्शन भक्तों को प्रदान करती हैं. मंदिर फूलों से सजाया जाता है तो यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर निगरानी पुलिस और स्काउट के जवान भी करते हैं. मुस्लिम समाज का एक विद्यार्थी जो स्काउट का वालंटियर है अपने साथियों के साथ प्रतिदिन मां की सेवा में भीड़ को नियंत्रित करने का काम करता है. मंदिर के पुजारी के रूप में एक ही परिवार की चौथी पीढ़ी सेवा दे रही है.