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गोरखपुर: 'गुरुद्वारा जटाशंकर' में पड़े थे गुरु नानक देव जी के पांव

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Published : Nov 12, 2019, 12:56 PM IST

यूपी के गोरखपुर में गुरु नानक जंयती धूम-धाम से मनाई जा रही है. सिख धर्म के लोग इस वर्ष नानक जी का 550वां प्रकाश पर्व मना रहे हैं. अपनी यात्रा के दौरान नानक जी गोरखपुर में जहां रुके थे. आज वह गुरुद्वारा जटाशंकर के रूप में जाना जाता है.

सिख धर्म के पंच प्यारे.

गोरखपुरः आज कार्तिक पूर्णिमा के साथ गुरु नानक जयंती भी है. मौजूदा वर्ष गुरु नानक के 550वें प्रकाश पर्व के रूप में पूरे देश-दुनिया में धूम-धाम से मनाया जा रहा है. 'ईश्वर एक है' का संदेश देने के लिए अपनी 39 हजार किलोमीटर की पदयात्रा में नानक जी जहां-जहां रुके थे, उन स्थानों का भी आज के दिन बड़ा महत्व है. ऐसे ही महत्व का एक स्थान गोरखपुर में है, जो मौजूदा समय में 'गुरुद्वारा जटाशंकर' के नाम से विख्यात है.

गुरुद्वारा जटाशंकर में गुरु नानक देव जी ने किया था विश्राम.

सिख धर्म का यह जहां अद्भुत केंद्र है तो सभी धर्मों के लोगों की भी श्रद्धा यहां से जुड़ी हुई है. इस गुरुद्वारे के लंगर से न जाने हर दिन कितने गरीबों का पेट भी भरता है. गुरुद्वारा जटाशंकर गोरखपुर रेलवे स्टेशन से पश्चिम दिशा में करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. करीब नौ दशक पुराने इस गुरुद्वारे के बारे में मान्यता है कि यहां भी सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव के पांव पड़े थे. मतलब यहां उनका आगमन हुआ था.

पढ़ें-कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा है 'महापद्मक योग', स्नान और दान कर पाएं महाफल

गुरुद्वारा प्रबंधन के मुताबिक अटूट आस्था के धार्मिक स्थल की नींव अंग्रेजी हुकूमत के दौरान उदासीन बाबा महंत सुंदर दास ने सन 1929 में रखी थी. शुरुआत में यह छोटा सा पूजा स्थल हुआ करता था, लेकिन स्थल से गुरु नानक देव का नाम जुड़े होने की वजह से इसकी ख्याति लगातार बढ़ती गई.

इस चौखट पर मत्था टेकने के लिए आज देशभर के श्रद्धालुओं का जत्था यहां पहुंचता है. गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सरदार जसपाल सिंह कहते हैं कि गुरु नानक देव यहां विश्राम करने के बाद नेपाल की तरफ भी अपनी यात्रा को आगे बढ़ाए थे. गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर्व में कथा वाचन के लिए पंजाब से सिख संत का आगमन हुआ है.

गुरुद्वारे के इंतजाम की बेहतरी सुनिश्चित करने और आयोजनों को अच्छा बनाने के लिए श्री गुरु सिंह सभा प्रबंध कमेटी नाम की संस्था गठित है. नौ दशक से इस गुरुद्वारे में नित्य प्रति गुरुवाणी धुन गूंजती रहती है. फिलहाल यहां दो मंजिला भव्य गुरुद्वारा है, जिसमें गुरु नानक निवास के नाम से एक बड़ा हाल है, जहां वर्ष भर पूजा-अर्चना के कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं.

यहां सत्संग का सिलसिला नियमित चलता रहता है और यह वर्ष तो सिर्फ जटाशंकर गुरुद्वारा के लिए ही नहीं देश के हर गुरुद्वारे के लिए खास हो चुका है, क्योंकि नानक जी का 550वां प्रकाश उत्सव है, जिसको बड़े धूमधाम के साथ ढोल-नगाड़े की धुन पर सिख समाज के लोग नाचते-गाते पंच प्यारे का पांव पखारने के साथ मना रहे हैं.

गोरखपुरः आज कार्तिक पूर्णिमा के साथ गुरु नानक जयंती भी है. मौजूदा वर्ष गुरु नानक के 550वें प्रकाश पर्व के रूप में पूरे देश-दुनिया में धूम-धाम से मनाया जा रहा है. 'ईश्वर एक है' का संदेश देने के लिए अपनी 39 हजार किलोमीटर की पदयात्रा में नानक जी जहां-जहां रुके थे, उन स्थानों का भी आज के दिन बड़ा महत्व है. ऐसे ही महत्व का एक स्थान गोरखपुर में है, जो मौजूदा समय में 'गुरुद्वारा जटाशंकर' के नाम से विख्यात है.

गुरुद्वारा जटाशंकर में गुरु नानक देव जी ने किया था विश्राम.

सिख धर्म का यह जहां अद्भुत केंद्र है तो सभी धर्मों के लोगों की भी श्रद्धा यहां से जुड़ी हुई है. इस गुरुद्वारे के लंगर से न जाने हर दिन कितने गरीबों का पेट भी भरता है. गुरुद्वारा जटाशंकर गोरखपुर रेलवे स्टेशन से पश्चिम दिशा में करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. करीब नौ दशक पुराने इस गुरुद्वारे के बारे में मान्यता है कि यहां भी सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव के पांव पड़े थे. मतलब यहां उनका आगमन हुआ था.

पढ़ें-कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा है 'महापद्मक योग', स्नान और दान कर पाएं महाफल

गुरुद्वारा प्रबंधन के मुताबिक अटूट आस्था के धार्मिक स्थल की नींव अंग्रेजी हुकूमत के दौरान उदासीन बाबा महंत सुंदर दास ने सन 1929 में रखी थी. शुरुआत में यह छोटा सा पूजा स्थल हुआ करता था, लेकिन स्थल से गुरु नानक देव का नाम जुड़े होने की वजह से इसकी ख्याति लगातार बढ़ती गई.

इस चौखट पर मत्था टेकने के लिए आज देशभर के श्रद्धालुओं का जत्था यहां पहुंचता है. गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सरदार जसपाल सिंह कहते हैं कि गुरु नानक देव यहां विश्राम करने के बाद नेपाल की तरफ भी अपनी यात्रा को आगे बढ़ाए थे. गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर्व में कथा वाचन के लिए पंजाब से सिख संत का आगमन हुआ है.

गुरुद्वारे के इंतजाम की बेहतरी सुनिश्चित करने और आयोजनों को अच्छा बनाने के लिए श्री गुरु सिंह सभा प्रबंध कमेटी नाम की संस्था गठित है. नौ दशक से इस गुरुद्वारे में नित्य प्रति गुरुवाणी धुन गूंजती रहती है. फिलहाल यहां दो मंजिला भव्य गुरुद्वारा है, जिसमें गुरु नानक निवास के नाम से एक बड़ा हाल है, जहां वर्ष भर पूजा-अर्चना के कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं.

यहां सत्संग का सिलसिला नियमित चलता रहता है और यह वर्ष तो सिर्फ जटाशंकर गुरुद्वारा के लिए ही नहीं देश के हर गुरुद्वारे के लिए खास हो चुका है, क्योंकि नानक जी का 550वां प्रकाश उत्सव है, जिसको बड़े धूमधाम के साथ ढोल-नगाड़े की धुन पर सिख समाज के लोग नाचते-गाते पंच प्यारे का पांव पखारने के साथ मना रहे हैं.

Intro:गुरुनानक देव पर स्पेशल स्टोरी...ओपनिंग पीटीसी

गोरखपुर। आज कार्तिक पूर्णिमा के साथ गुरु पूर्णिमा भी है। इस दिन को सिखों के गुरु गुरु नानक देव के प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। मौजूदा वर्ष गुरु नानक के 550वें प्रकाट्य उत्सव के रूप में पूरे देश-दुनिया में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। 'ईश्वर एक है' का संदेश देने के लिए अपनी 39 हजार किलोमीटर की पदयात्रा में नानक जहां-जहां रुके थे उन स्थानों का भी आज के दिन बड़ा महत्व है। ऐसे ही महत्व का एक स्थान गोरखपुर में है जो मौजूदा समय में 'गुरुद्वारा जटाशंकर' के नाम से विख्यात है। सिख धर्म का यह जहां अद्भुत केंद्र है तो सभी धर्मों के लोगों की भी श्रद्धा यहां से जुड़ी हुई है। यही नहीं इस गुरुद्वारे के लंगर से न जाने हर दिन कितने गरीबों का पेट भी भरता है। गोरखपुर से पेश है यह स्पेशल रिपोर्ट--

नोट--कम्प्लीट पैकेज...वॉइस ओवर अटैच है।




Body:गुरुद्वारा जटाशंकर गोरखपुर रेलवे स्टेशन से पश्चिम दिशा में करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। करीब 9 दशक पुराने इस गुरुद्वारे के बारे में मान्यता है कि यहाँ भी सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव के पांव पड़े थे। मतलब यहां उनका आगमन हुआ था। गुरुद्वारा प्रबंधन के मुताबिक अटूट आस्था के धार्मिक स्थल की नींव अंग्रेजी हुकूमत के दौरान उदासीन बाबा महंत सुंदर दास ने सन 1929 में रखी थी। शुरुआत में यह छोटा सा पूजा स्थल हुआ करता था लेकिन स्थल से गुरु नानक देव का नाम जुड़े होने की वजह से इसकी ख्याति लगातार बढ़ती गई। चौखट पर मत्था टेकने के लिए आज देशभर के श्रद्धालु का जत्था यहां पहुंचता है। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सरदार जसपाल सिंह कहते हैं कि नानक देव यहां विश्राम करने के बाद नेपाल की तरफ भी अपनी यात्रा को आगे बढ़ाएं थे। नानक के प्रकाश उत्सव पर्व में कथा वाचन के लिए पंजाब से सिख संत का आगमन हुआ है।

बाइट--सरदार जसपाल सिंह, अध्यक्ष, गुरुद्वारा जटाशंकर, समिति
बाइट--कर्मेन्द्र सिंह, सिख संत और कथा वाचक, पंजाब


Conclusion:गुरुद्वारे के इंतजाम की बेहतरी सुनिश्चित करने और आयोजनों को अच्छा बनाने के लिए श्री गुरु सिंह सभा प्रबंध कमेटी नाम की संस्था गठित है। 9 दशक से इस गुरुद्वारे में नित्य प्रति गुरुवाणी धुन गूंजती रहती है। फिलहाल यहां दो मंजिला भव्य गुरुद्वारा है। जिसमें गुरु नानक निवास के नाम से एक बड़ा हाल है जहां वर्षभर पूजा अर्चना के कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। यहां सत्संग का सिलसिला नियमित चलता रहता है। और यह वर्ष तो सिर्फ जटाशंकर गुरुद्वारा के लिए ही नहीं देश के हर गुरुद्वारे के लिए खास हो चुका है क्योंकि, नानक जी का 550 वा प्रकाश उत्सव है। जिसको बड़े धूमधाम के साथ ढोल- नगाड़े की धुन पर सिख समाज के लोग नाचते गाते पंच प्यारे का पांव पखारने के साथ मना रहे हैं।

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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