गोरखपुर: मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय (MMMTU) के 5वें दीक्षांत समारोह में मंगलवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल पहुंचीं. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के केंद्र चाहे विश्वविद्यालय हों या फिर स्कूल और कॉलेज बच्चों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए, जिससे उनमें संस्कार और समाज में विकास की भावना विकसित हो.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वे जब भी दीक्षांत समारोह में जाती हैं तो उनके लिए चीफ गेस्ट के रूप में प्राथमिक स्कूलों के बच्चे शामिल किए जाते हैं. यह उनकी ही इच्छा से होता है. इसके पीछे उनका उद्देश्य है कि ऐसे बच्चों को जब बड़े मंच पर उपहार और सम्मान दिया जाता है, तो वह बड़े बच्चों को गोल्ड मेडल पाते देखते हैं. इससे उनके मन में भी ऐसी शोहरत पाने की ललक पैदा होती है. इसलिए वह पढ़ाई पर जोर देते हैं और घरवालों को भी प्रेरित करते हैं. राज्यपाल ने शिक्षा, महिलाओं की शिक्षा और समानता पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने अपराध मुक्त समाज बनाने की भी लोगों से अपील की.
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि इसकी तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है, जिसमें केंद्र सरकार ने 30 प्रतिशत सिलेबस तय करने का अधिकार राज्य सरकारों और विश्वविद्यालय को भी दिया है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक यूनिवर्सिटी को चाहिए कि वह पांच ऐसे गांव का चयन करें, जहां शिक्षा का स्तर काफी कमजोर हो. वहां पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और लेक्चरर जाकर लोगों को शिक्षित करें. इसी से देश में एक बड़ा बदलाव शिक्षा क्रांति के माध्यम से देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा से वंचित बच्चों को प्रवेश दिलाने की मुहिम चलानी चाहिए.
शिक्षा मंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल का किया जिक्र
कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गुजरात में शिक्षा मंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए प्रवेश उत्सव मनाया जाता था, जिसमें नेता से लेकर अधिकारी और मंत्री सभी शामिल होते थे. यही वजह है कि 1998 में गुजरात में महिला शिक्षा दर जहां 59 प्रतिशत थी, वह 2001 के बाद धीरे-धीरे बढ़ते हुए 80 प्रतिशत जा पहुंची है.
राज्यपाल ने अपने भाषण के दौरान पर्यावरण प्रदूषण और जल संकट की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नदियों को जोड़ने का खाका तैयार किया गया था. इसको पूरा करने में गुजरात काफी आगे निकला. उन्होंने कहा कि साबरमती का किनारा लोगों के आकर्षण का केंद्र हो गया है. यहां बसे 50 हजार से अधिक लोगों को सरकार ने जहां दूसरे जगह स्थापित किया. वहीं, उन्हें वहां पर मूलभूत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराकर उनकी जिंदगी भी खुशहाल बनाई.
अपराध नियंत्रण को लेकर भी बात की
राज्यपाल ने अपराध पर भी नियंत्रण की बात कही. उन्होंने लखनऊ जेल में बंद महिला बंदियों से खुद के मिलने की बात कही. राज्यपाल ने कहा कि सभी बंदियों में अधिकतर दहेज उत्पीड़न में बंद थीं. राज्यपाल ने कहा कि वह समाज से पूछना चाहती हैं कि जिस किसी भी अपराध को घटित करने में लोग शामिल होते हैं, उससे उन्हें मिलता क्या है? सिवाय बिखराव के. इसलिए जरूरी है कि सकारात्मकता की तरफ कदम बढ़ाएं और गलतियों को नजरअंदाज करें.