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गोरखपुर: राम मंदिर निर्माण की अलख जगाने में गोरक्ष पीठाधीश्वर की रही है अहम भूमिका

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नींव रखेंगे. पीएम मोदी के साथ गोरक्ष पीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे. बता दें कि राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अलख जगाने में गोरक्षपीठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, उसका सपना अब पूरा होने की तरफ अग्रसर है.

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5 अगस्त को होगा अयोध्या में भूमि पूजन.
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Published : Jul 31, 2020, 4:12 PM IST

गोरखपुर: सैकड़ों वर्षों के इंतजार के बाद आखिरकार वह समय आ ही गया, जब श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए नींव रखी जाएगी. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य मंदिर के संकल्प को पूरा करने के लिए अयोध्या में होंगे. नींव रखने के साथ ही 5 अगस्त 2020 का दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा. अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के आंदोलन में गोरक्षपीठ की अहम भूमिका रही है. यहां के पीठाधीश्वरों ने सदियों से इस अलख को जगाए रखा. गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ भी मुख्यमंत्री के दायित्व का निर्वहन करते हुए उस पल के साक्षी बनकर इस यज्ञ को पूरा करेंगे.

5 अगस्त को होगा अयोध्या में भूमि पूजन.

5 अगस्त को होगा अयोध्या में भूमि पूजन
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गोरक्ष पीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नींव रखेंगे. गोरक्षपीठ का इस स्वर्णिम दिन को लाने में अहम योगदान है. श्री गोरक्षनाथ मंदिर और नाथ पंथ ने शैव धर्मावलंबी और शैव पीठ होते हुए भी भारत की राष्ट्रीयता और हिंदुत्व संबंधी मुद्दों को हमेशा उठाया है. 1984 आंदोलन में जब आरएसएस के नेतृत्व में विहिप की धर्म सभा हुई, तब गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ को राम जन्म भूमि न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था. परमहंस रामचंद्र दास और महंत नृत्य गोपाल दास महाराज को उपाध्यक्ष बनाया गया. इस प्रकार से 1984 में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन एक नए स्वरूप में जन जागरण के साथ शुरू हुआ था.

गोरक्ष पीठ में पिछले 48 साल से सेवा कर रहे कार्यालय सचिव द्वारिका तिवारी बताते हैं कि उन्होंने ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के महंत बनने के बाद से लगातार यहां सेवा दी है. योगी आदित्यनाथ के उत्तराधिकारी बनने से लेकर उनके मुख्यमंत्री बनने तक का सफर उन्होंने देखा है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ के साथ बहुत जुड़ाव तो नहीं रहा, लेकिन कुछ वर्ष उनके कार्यकाल को भी देखा है. गोरक्ष पीठ का राम जन्मभूमि आंदोलन में अहम योगदान रहा है. ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ न्यास के अध्यक्ष रहे और उन्होंने इस आंदोलन के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. राम मंदिर का भव्य निर्माण के साथ गोरक्ष पीठाधीश्वर का योगदान स्वर्णिम अक्षरों में चमकता हुआ दिखाई देगा.

बजरंग दल के सह प्रांत संयोजक दुर्गेश त्रिपाठी बताते हैं कि गोरक्ष पीठ की तीन पीढ़ियां राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाए रखी, जिसे गोरक्ष पीठाधीश्वर एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब पूरा करने जा रहे हैं. ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का सपना साकार होने जा रहा है. हम लोग राम मंदिर निर्माण की नींव का साक्षात दर्शन करेंगे और उनके संकल्प के साथ लाखों करोड़ों हिंदुओं का सपना भी साकार होगा.

गोरखपुर: सैकड़ों वर्षों के इंतजार के बाद आखिरकार वह समय आ ही गया, जब श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए नींव रखी जाएगी. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य मंदिर के संकल्प को पूरा करने के लिए अयोध्या में होंगे. नींव रखने के साथ ही 5 अगस्त 2020 का दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा. अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के आंदोलन में गोरक्षपीठ की अहम भूमिका रही है. यहां के पीठाधीश्वरों ने सदियों से इस अलख को जगाए रखा. गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ भी मुख्यमंत्री के दायित्व का निर्वहन करते हुए उस पल के साक्षी बनकर इस यज्ञ को पूरा करेंगे.

5 अगस्त को होगा अयोध्या में भूमि पूजन.

5 अगस्त को होगा अयोध्या में भूमि पूजन
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गोरक्ष पीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नींव रखेंगे. गोरक्षपीठ का इस स्वर्णिम दिन को लाने में अहम योगदान है. श्री गोरक्षनाथ मंदिर और नाथ पंथ ने शैव धर्मावलंबी और शैव पीठ होते हुए भी भारत की राष्ट्रीयता और हिंदुत्व संबंधी मुद्दों को हमेशा उठाया है. 1984 आंदोलन में जब आरएसएस के नेतृत्व में विहिप की धर्म सभा हुई, तब गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ को राम जन्म भूमि न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था. परमहंस रामचंद्र दास और महंत नृत्य गोपाल दास महाराज को उपाध्यक्ष बनाया गया. इस प्रकार से 1984 में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन एक नए स्वरूप में जन जागरण के साथ शुरू हुआ था.

गोरक्ष पीठ में पिछले 48 साल से सेवा कर रहे कार्यालय सचिव द्वारिका तिवारी बताते हैं कि उन्होंने ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के महंत बनने के बाद से लगातार यहां सेवा दी है. योगी आदित्यनाथ के उत्तराधिकारी बनने से लेकर उनके मुख्यमंत्री बनने तक का सफर उन्होंने देखा है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ के साथ बहुत जुड़ाव तो नहीं रहा, लेकिन कुछ वर्ष उनके कार्यकाल को भी देखा है. गोरक्ष पीठ का राम जन्मभूमि आंदोलन में अहम योगदान रहा है. ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ न्यास के अध्यक्ष रहे और उन्होंने इस आंदोलन के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. राम मंदिर का भव्य निर्माण के साथ गोरक्ष पीठाधीश्वर का योगदान स्वर्णिम अक्षरों में चमकता हुआ दिखाई देगा.

बजरंग दल के सह प्रांत संयोजक दुर्गेश त्रिपाठी बताते हैं कि गोरक्ष पीठ की तीन पीढ़ियां राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाए रखी, जिसे गोरक्ष पीठाधीश्वर एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब पूरा करने जा रहे हैं. ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का सपना साकार होने जा रहा है. हम लोग राम मंदिर निर्माण की नींव का साक्षात दर्शन करेंगे और उनके संकल्प के साथ लाखों करोड़ों हिंदुओं का सपना भी साकार होगा.

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