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Padma Award 2023: पदमश्री मिलने पर साहित्यकार विश्वनाथ तिवारी बाेले, यह पूरे पूर्वांचल का सम्मान

गाेरखपुर के साहित्यकार प्राे. विश्वनाथ तिवारी काे पद्मश्री सम्मान मिला है. समाज के विभिन्न वर्गाें के लाेगाें ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं. इस उपलब्धि पर साहित्यकार ने नए लेखकाें काे भी कई सलाह दी है.

साहित्यकार प्राे. विश्वनाथ तिवारी काे मिला पद्मश्री सम्मान.
साहित्यकार प्राे. विश्वनाथ तिवारी काे मिला पद्मश्री सम्मान.
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Published : Jan 26, 2023, 4:45 PM IST

गोरखपुर : जिले के साहित्यकार, कवि और आलोचक प्रोफेसर विश्वनाथ तिवारी को पदमश्री सम्मान मिला है. उनकी इस उपलब्धि पर लाेगाें ने उन्हें बधाई दी है. प्राे. तिवारी देश के अलावा दुनिया के 12 से अधिक देशाें काे अपनी लेखनी का मुरीद बना चुके हैं. यह सम्मान मिलने पर उन्हाेंने खुशी जाहिर की और नए लेखकाें काे गुणवत्ता पर ध्यान देने की नसीहत दी.

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्हाेंने कहा कि बिना प्रयास और बिना मांगे सरकार ने उन्हें यह सम्मान दिया है, इसका आदर होना चाहिए. यह पूरे पूर्वांचल का सम्मान है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर से लेकर समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं.

82 साल की उम्र में मिला सम्मान : साहित्यकार विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि वह शुरू से एक तटस्थ लेखक के रूप में काम करते रहे हैं. सरकार ने अगर एक ऐसे लेखक को सम्मानित किया है तो यह सरकार की भी गंभीरता काे प्रदर्शित करता है. हालांकि उन्होंने कहा कि 82 वर्ष 6 महीने की उम्र में यह सम्मान मिला है. यह पहले मिल जाता ताे खुशी और बढ़ जाती.

लेखनी पर ध्यान दें नए लेखक : साहित्यकार ने कहा कि नए लेखकाें काे परिणाम की चिंता किए बगैर अपनी लेखनी की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. विश्वनाथ तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वर्ष 2013 से 2017 तक वह साहित्य अकादमी दिल्ली के अध्यक्ष रहे हैं. वह 1978 से हिंदी की साहित्यिक पत्रिका "दस्तावेज" का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें सरस्वती सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. अब तक उनके शोध और आलोचना के 12 ग्रंथ, 7 कविता संग्रह, 4 यात्रा संस्मरण, 3 लेखक संस्मरण और एक साक्षात्कार भी प्रकाशित हो चुके हैं.

कई देशाें की कर चुके हैं यात्राः विश्वनाथ तिवारी मूल रूप से कुशीनगर जिले के रायपुर भैंसही भेड़िहारी गांव के रहने वाले हैं. वह अमेरिका, नीदरलैंड, नेपाल, रूस, मॉरीशस, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, जापान, चीन और थाईलैंड जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं. उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ का प्रतिष्ठित मूर्तिदेवी पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महतर सम्मान, सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान, रूस का पुश्किन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयंका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद का कृति सम्मान भी मिल चुका है.

इसके अलावा वह शिक्षक श्री सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुमार हर्ष और समाजसेवी धीरज गुप्ता ने कहा कि धोती और कुर्ते में साधारण से दिखने वाले इस साहित्कार काे मिला यह सम्मान लेखकाें और समाजसेवियाें का हौसला बढ़ाने का काम करेगा.

यह भी पढ़ें : Republic Day Parade में राष्ट्रपति को सलामी देगी बीजेपी सांसद रवि किशन की बेटी इशिता

गोरखपुर : जिले के साहित्यकार, कवि और आलोचक प्रोफेसर विश्वनाथ तिवारी को पदमश्री सम्मान मिला है. उनकी इस उपलब्धि पर लाेगाें ने उन्हें बधाई दी है. प्राे. तिवारी देश के अलावा दुनिया के 12 से अधिक देशाें काे अपनी लेखनी का मुरीद बना चुके हैं. यह सम्मान मिलने पर उन्हाेंने खुशी जाहिर की और नए लेखकाें काे गुणवत्ता पर ध्यान देने की नसीहत दी.

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्हाेंने कहा कि बिना प्रयास और बिना मांगे सरकार ने उन्हें यह सम्मान दिया है, इसका आदर होना चाहिए. यह पूरे पूर्वांचल का सम्मान है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर से लेकर समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं.

82 साल की उम्र में मिला सम्मान : साहित्यकार विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि वह शुरू से एक तटस्थ लेखक के रूप में काम करते रहे हैं. सरकार ने अगर एक ऐसे लेखक को सम्मानित किया है तो यह सरकार की भी गंभीरता काे प्रदर्शित करता है. हालांकि उन्होंने कहा कि 82 वर्ष 6 महीने की उम्र में यह सम्मान मिला है. यह पहले मिल जाता ताे खुशी और बढ़ जाती.

लेखनी पर ध्यान दें नए लेखक : साहित्यकार ने कहा कि नए लेखकाें काे परिणाम की चिंता किए बगैर अपनी लेखनी की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. विश्वनाथ तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वर्ष 2013 से 2017 तक वह साहित्य अकादमी दिल्ली के अध्यक्ष रहे हैं. वह 1978 से हिंदी की साहित्यिक पत्रिका "दस्तावेज" का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें सरस्वती सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. अब तक उनके शोध और आलोचना के 12 ग्रंथ, 7 कविता संग्रह, 4 यात्रा संस्मरण, 3 लेखक संस्मरण और एक साक्षात्कार भी प्रकाशित हो चुके हैं.

कई देशाें की कर चुके हैं यात्राः विश्वनाथ तिवारी मूल रूप से कुशीनगर जिले के रायपुर भैंसही भेड़िहारी गांव के रहने वाले हैं. वह अमेरिका, नीदरलैंड, नेपाल, रूस, मॉरीशस, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, जापान, चीन और थाईलैंड जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं. उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ का प्रतिष्ठित मूर्तिदेवी पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महतर सम्मान, सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान, रूस का पुश्किन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयंका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद का कृति सम्मान भी मिल चुका है.

इसके अलावा वह शिक्षक श्री सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुमार हर्ष और समाजसेवी धीरज गुप्ता ने कहा कि धोती और कुर्ते में साधारण से दिखने वाले इस साहित्कार काे मिला यह सम्मान लेखकाें और समाजसेवियाें का हौसला बढ़ाने का काम करेगा.

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