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Gorakhpur News : जानलेवा मकानों का अस्तित्व अब नहीं रहेगा बरकरार, नगर निगम का यह है प्लान

गोरखपुर में जर्जर और जानलेवा मकानों को गिराने का प्लान नगर निगम ने तैयार कर लिया है. इसके दायरे में आने वाले 134 मकानों को चिह्नित किया गया है. वहीं, मकान मालिकों को अपने विवाद खत्म करने का निर्देश भी दिया गया है.

गोरखपुर में जर्जर मकान
गोरखपुर में जर्जर मकान
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Published : Feb 6, 2023, 12:46 PM IST

गोरखपुर में जर्जर मकानों को लेकर संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

गोरखपुर: लखनऊ, आगरा समेत कई जगहों पर जर्जर मकानों के गिरने से हुए हादसे के बाद गोरखपुर नगर निगम भी ऐसे मकानों के ध्वस्तीकरण के लिए प्लान तैयार किया है. 3 फरवरी 2023 को कोतवाली क्षेत्र की बेनीगंज पुलिस चौकी की दीवार गिरने और उसके नीचे दबकर 8 साल की बच्ची की मौत होने के बाद जर्जर भवनों और दीवारों के संबंध में नगर निगम की कार्रवाई और तेज हो गई है. करीब 134 मकान इसके दायरे में शहर में चिह्नित किए गए हैं, जो सैकड़ों वर्ष पुराने हैं और जानलेवा हो चुके हैं.

हालांकि, इसमें लोगों का निवास भी अभी हो रहा है. कुछ में किराएदारी का विवाद भी चल रहा है. यही वजह है कि नगर निगम ने ऐसे मकानों को चिह्नित करते हुए मकान मालिक और किराएदारी के विवाद को तेजी के साथ खत्म करने का निर्देश दिया है. तय समय अवधि में ऐसे मकान मालिक विवादों का निपटारा नहीं करते हैं तो नगर निगम इन मकानों को खुद खाली कराने में जुट जाएगा. इस दौरान ध्वस्तीकरण में खर्च होने वाली रकम को भी मकान मालिक से ही निगम वसूलेगा.

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गोरखपुर में जर्जर मकान के नीचे लगा बाजार

जर्जर मकानों को ध्वस्त करने के निर्देश जिलाधिकारी स्तर से सितंबर 2022 में ही आपदा प्रबंधन अधिनियम का हवाला देते हुए एसएसपी गोरखपुर, विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और नगर आयुक्त को लिखित पत्र भेजा गया था. इसमें लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता को नोडल अधिकारी भी बनाया गया था. साथ ही मुख्य विकास अधिकारी, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और अधिशासी अभियंता को जर्जर भवन चिह्नित करने का आदेश दिया था. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि, सितंबर 2022 में शहर के जगन्नाथपुर मोहल्ले में जर्जर भवन गिरने से एक युवक की मौत हो गई थी और परिवार के भी कुछ लोग घायल हुए थे.

इसका संज्ञान लेते हुए डीएम ने ऐसे भवनों को चिह्नित करने का निर्देश दिया था. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसमें मृतक के परिजन को चार लाख का मुआवजा भी दिया था. डीएम के आदेश के बाद जर्जर भवनों को चिह्नित कर लिया गया था. लेकिन, उन्हें ध्वस्त या गिराने की कार्रवाई इसलिए यह सभी विभाग मिलकर नहीं कर पा रहे थे क्योंकि, अधिकतर मकान मालिक इसमें किराएदारी का विवाद बता रहे थे. लेकिन, 3 फरवरी की घटना के बाद नगर निगम अब सख्त हो गया है. चाहे वह मकान मालिक और किराएदार के बीच का विवाद हो या फिर जो भी. इसे खत्म करने का मकान मालिकों को नोटिस देने के साथ नगर निगम ने तेजी अपनाने को कहा है. क्योंकि, जानलेवा बन चुके ऐसे मकानों को वह किसी भी सूरत में अब निगम क्षेत्र में खड़ा नहीं देखना चाहता.

गोरखपुर नगर निगम कार्यालय
गोरखपुर नगर निगम कार्यालय

ईटीवी भारत से नगर आयुक्त ने इस संबंध में बातचीत की. उन्होंने कहा कि कुल 134 मकान चिह्नित हुए हैं. इसमें 80 से ज्यादा अत्यधिक संवेदनशील हैं. जर्जर भवनों को दो श्रेणी में बांटा गया है. पहली श्रेणी में उन भवनों को रखा गया है, जिनके अचानक गिरने से आसपास रहने वाले नागरिकों के जीवन पर संकट होता है और जिनके न गिराने से उनमें रहने वालों को भी खतरा होता है. उन्होंने कहा कि अगर मकान मालिक नहीं मानते हैं तो एक विशेष नीति के तहत इनके ध्वस्तीकरण का फैसला प्रशासन के साथ मिलकर लिया जाएगा.

प्रदेश की राजधानी लखनऊ, आगरा जैसे शहरों में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं. लेकिन, ताजा घटना पुलिस चौकी की दीवार गिरने ने इस मामले में और तेजी ला दी है. शहर में सबसे अधिक जर्जर मकान माधोपुर मोहल्ले में हैं. इनकी संख्या 43 है. इसी प्रकार तिवारीपुर में 27, सूरजकुंड में 13, दीवान बाजार में चार और चक्का हुसैन में 9 जर्जर मकान हैं. बाकी अन्य मोहल्लों में भी एक से लेकर 5 तक की संख्या में जर्जर भवन हैं, जो जानलेवा दिखाई देते हैं. हैरानी की बात यह है कि शहर के बीचों-बीच स्थित ऐसे मकानों के आसपास लोग दुकान भी लगाते हैं और इन मकानों की उम्र भी बताते हैं. कई बार खतरों का सामना भी करते हैं. फिर भी जीविका के लिए इस स्थान को छोड़ना नहीं चाहते. दद्दू और पृथ्वीराज कहते हैं कि अलीनगर चौराहे का करीब 100 से 120 साल पुराना मकान है. जहां वह 50 सालों से फल और मिठाई बेचते चले आ रहे हैं. दोनों ने कहा कि क्या करें उनके कारोबार के लिए यही स्थान पक्का है.

यह भी पढ़ें: Meerut में देवलोक के वृक्ष कल्पतरु को संजीवनी देने के लिए हो रहा ये काम, ये है मान्यता


गोरखपुर में जर्जर मकानों को लेकर संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

गोरखपुर: लखनऊ, आगरा समेत कई जगहों पर जर्जर मकानों के गिरने से हुए हादसे के बाद गोरखपुर नगर निगम भी ऐसे मकानों के ध्वस्तीकरण के लिए प्लान तैयार किया है. 3 फरवरी 2023 को कोतवाली क्षेत्र की बेनीगंज पुलिस चौकी की दीवार गिरने और उसके नीचे दबकर 8 साल की बच्ची की मौत होने के बाद जर्जर भवनों और दीवारों के संबंध में नगर निगम की कार्रवाई और तेज हो गई है. करीब 134 मकान इसके दायरे में शहर में चिह्नित किए गए हैं, जो सैकड़ों वर्ष पुराने हैं और जानलेवा हो चुके हैं.

हालांकि, इसमें लोगों का निवास भी अभी हो रहा है. कुछ में किराएदारी का विवाद भी चल रहा है. यही वजह है कि नगर निगम ने ऐसे मकानों को चिह्नित करते हुए मकान मालिक और किराएदारी के विवाद को तेजी के साथ खत्म करने का निर्देश दिया है. तय समय अवधि में ऐसे मकान मालिक विवादों का निपटारा नहीं करते हैं तो नगर निगम इन मकानों को खुद खाली कराने में जुट जाएगा. इस दौरान ध्वस्तीकरण में खर्च होने वाली रकम को भी मकान मालिक से ही निगम वसूलेगा.

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गोरखपुर में जर्जर मकान के नीचे लगा बाजार

जर्जर मकानों को ध्वस्त करने के निर्देश जिलाधिकारी स्तर से सितंबर 2022 में ही आपदा प्रबंधन अधिनियम का हवाला देते हुए एसएसपी गोरखपुर, विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और नगर आयुक्त को लिखित पत्र भेजा गया था. इसमें लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता को नोडल अधिकारी भी बनाया गया था. साथ ही मुख्य विकास अधिकारी, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और अधिशासी अभियंता को जर्जर भवन चिह्नित करने का आदेश दिया था. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि, सितंबर 2022 में शहर के जगन्नाथपुर मोहल्ले में जर्जर भवन गिरने से एक युवक की मौत हो गई थी और परिवार के भी कुछ लोग घायल हुए थे.

इसका संज्ञान लेते हुए डीएम ने ऐसे भवनों को चिह्नित करने का निर्देश दिया था. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसमें मृतक के परिजन को चार लाख का मुआवजा भी दिया था. डीएम के आदेश के बाद जर्जर भवनों को चिह्नित कर लिया गया था. लेकिन, उन्हें ध्वस्त या गिराने की कार्रवाई इसलिए यह सभी विभाग मिलकर नहीं कर पा रहे थे क्योंकि, अधिकतर मकान मालिक इसमें किराएदारी का विवाद बता रहे थे. लेकिन, 3 फरवरी की घटना के बाद नगर निगम अब सख्त हो गया है. चाहे वह मकान मालिक और किराएदार के बीच का विवाद हो या फिर जो भी. इसे खत्म करने का मकान मालिकों को नोटिस देने के साथ नगर निगम ने तेजी अपनाने को कहा है. क्योंकि, जानलेवा बन चुके ऐसे मकानों को वह किसी भी सूरत में अब निगम क्षेत्र में खड़ा नहीं देखना चाहता.

गोरखपुर नगर निगम कार्यालय
गोरखपुर नगर निगम कार्यालय

ईटीवी भारत से नगर आयुक्त ने इस संबंध में बातचीत की. उन्होंने कहा कि कुल 134 मकान चिह्नित हुए हैं. इसमें 80 से ज्यादा अत्यधिक संवेदनशील हैं. जर्जर भवनों को दो श्रेणी में बांटा गया है. पहली श्रेणी में उन भवनों को रखा गया है, जिनके अचानक गिरने से आसपास रहने वाले नागरिकों के जीवन पर संकट होता है और जिनके न गिराने से उनमें रहने वालों को भी खतरा होता है. उन्होंने कहा कि अगर मकान मालिक नहीं मानते हैं तो एक विशेष नीति के तहत इनके ध्वस्तीकरण का फैसला प्रशासन के साथ मिलकर लिया जाएगा.

प्रदेश की राजधानी लखनऊ, आगरा जैसे शहरों में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं. लेकिन, ताजा घटना पुलिस चौकी की दीवार गिरने ने इस मामले में और तेजी ला दी है. शहर में सबसे अधिक जर्जर मकान माधोपुर मोहल्ले में हैं. इनकी संख्या 43 है. इसी प्रकार तिवारीपुर में 27, सूरजकुंड में 13, दीवान बाजार में चार और चक्का हुसैन में 9 जर्जर मकान हैं. बाकी अन्य मोहल्लों में भी एक से लेकर 5 तक की संख्या में जर्जर भवन हैं, जो जानलेवा दिखाई देते हैं. हैरानी की बात यह है कि शहर के बीचों-बीच स्थित ऐसे मकानों के आसपास लोग दुकान भी लगाते हैं और इन मकानों की उम्र भी बताते हैं. कई बार खतरों का सामना भी करते हैं. फिर भी जीविका के लिए इस स्थान को छोड़ना नहीं चाहते. दद्दू और पृथ्वीराज कहते हैं कि अलीनगर चौराहे का करीब 100 से 120 साल पुराना मकान है. जहां वह 50 सालों से फल और मिठाई बेचते चले आ रहे हैं. दोनों ने कहा कि क्या करें उनके कारोबार के लिए यही स्थान पक्का है.

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