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गोरखपुर जलकल विभाग का आदेश, सेप्टिक टैंक का वेस्ट खुले में डाला तो कार्रवाई तय

गोरखपुर में सेप्टिक टैंक के वेस्ट को खुले में डालने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. नगर निगम ने प्राइवेट टैंकर चालकों से कहा है कि सेप्टिक टैंक के वेस्ट को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में डालें. उसे खुले में डालकर वातावरण को गंदा न करें.

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सीवर का कचरा खुले में डाला तो दर्ज हो सकता है कार्रवाई.
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Published : Sep 3, 2020, 7:42 PM IST

गोरखपुर: खुले में सेप्टिक टैंक की गंदगी गिराने वाले प्राइवेट टैंकर चालकों और मालिकों को जलकल विभाग ने सचेत कर दिया है. दरअसल, सेप्टिक टैंक के जरिए सीवर का गंदा पानी निकालकर खुले मैदान में गिराया जाता है, जिससे वातावरण की आबोहवा दूषित होती है. लिहाजा जलकल के अधिशासी अभियंता अनूप मिश्रा ने शहर में संचालित हो रहे सभी प्राइवेट टैंकरों के मालिकों को नोटिस भेजकर सावधान हो जाने की सलाह दी है.

सीवर का कचरा खुले में डाला तो दर्ज हो सकती है कार्रवाई.

जलकल के अधिशासी अभियंता अनूप मिश्रा ने कहा है कि अगर सेप्टिक टैंक से निकाले गए वेस्ट को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में नहीं गिराया जाएगा, तो प्राइवेट टैंकर चालकों पर जुर्माना भी लगेगा और उनकी गाड़ी भी सीज कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह अभियान स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को स्वच्छ और साफ सुथरा बनाए रखने के लिए शुरू किया गया है, जिसकी अनदेखी टैंकर मालिकों पर भारी पड़ेगी.

खबर के मुख्य तथ्य

  • गोरखपुर शहर में करीब एक लाख 30 हजार घरों की संख्या
  • गोरखपुर में बनाए गए तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
  • खुले मैदान में सेप्टिक टैंक का वेस्ट डालने पर जलकल विभाग करेगा कार्रवाई


गोरखपुर शहर में करीब एक लाख 30 हजार घर हैं और अधिकतर घरों में सेप्टिक टैंक बने हुए हैं. इन टैंकों के भर जाने के बाद प्रेशर मशीन के जरिए वेस्ट को सीवर टैंकर में भर लिया जाता है. इस कार्य को शहर के कई इलाकों में प्राइवेट टैंकर चालक अंजाम दे रहे हैं. वहीं टैंकर चालक टैंकर में भरी गंदगी को खुली जगहों पर फैला रहे हैं. अधिशासी अभियंता जलकल की मानें तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम ने इस पर रोक लगा दी है. अब घरों से सेप्टिक टैंक से निकली गंदगी को एसटीपी में ले जाकर निस्तारित करना अनिवार्य कर दिया गया है. उन्होंने प्राइवेट संचालकों को नोटिस देने के साथ उनका समय भी निर्धारित किया है.

शहर में प्राइवेट टैंकरों का बढ़ना नगर निगम के पास संसाधन की कमी का होना भी एक कारण है. निगम के पास सिर्फ दो टैंकर हैं, जिससे वह बुकिंग के आधार पर सफाई करते हैं. तत्काल जरूरत पड़ने पर प्राइवेट टैंकर चालक ही लोगों का सहारा बनते हैं, क्योंकि गोरखपुर शहर के अंदर अभी केवल पांच फीसदी इलाकों में ही सीवर लाइन बिछी हुई है. इसके अलावा शहर का अधिकांश हिस्सा अभी इस व्यवस्था से काफी दूर है. हालांकि शहर में छोटे- बड़े तीन एसटीपी बना दिए गए हैं, जिनमें नालों से निकलने वाले गंदे पानी और सेप्टिक टैंक की गंदगी को साफ किया जाएगा.

गोरखपुर: खुले में सेप्टिक टैंक की गंदगी गिराने वाले प्राइवेट टैंकर चालकों और मालिकों को जलकल विभाग ने सचेत कर दिया है. दरअसल, सेप्टिक टैंक के जरिए सीवर का गंदा पानी निकालकर खुले मैदान में गिराया जाता है, जिससे वातावरण की आबोहवा दूषित होती है. लिहाजा जलकल के अधिशासी अभियंता अनूप मिश्रा ने शहर में संचालित हो रहे सभी प्राइवेट टैंकरों के मालिकों को नोटिस भेजकर सावधान हो जाने की सलाह दी है.

सीवर का कचरा खुले में डाला तो दर्ज हो सकती है कार्रवाई.

जलकल के अधिशासी अभियंता अनूप मिश्रा ने कहा है कि अगर सेप्टिक टैंक से निकाले गए वेस्ट को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में नहीं गिराया जाएगा, तो प्राइवेट टैंकर चालकों पर जुर्माना भी लगेगा और उनकी गाड़ी भी सीज कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह अभियान स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को स्वच्छ और साफ सुथरा बनाए रखने के लिए शुरू किया गया है, जिसकी अनदेखी टैंकर मालिकों पर भारी पड़ेगी.

खबर के मुख्य तथ्य

  • गोरखपुर शहर में करीब एक लाख 30 हजार घरों की संख्या
  • गोरखपुर में बनाए गए तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
  • खुले मैदान में सेप्टिक टैंक का वेस्ट डालने पर जलकल विभाग करेगा कार्रवाई


गोरखपुर शहर में करीब एक लाख 30 हजार घर हैं और अधिकतर घरों में सेप्टिक टैंक बने हुए हैं. इन टैंकों के भर जाने के बाद प्रेशर मशीन के जरिए वेस्ट को सीवर टैंकर में भर लिया जाता है. इस कार्य को शहर के कई इलाकों में प्राइवेट टैंकर चालक अंजाम दे रहे हैं. वहीं टैंकर चालक टैंकर में भरी गंदगी को खुली जगहों पर फैला रहे हैं. अधिशासी अभियंता जलकल की मानें तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम ने इस पर रोक लगा दी है. अब घरों से सेप्टिक टैंक से निकली गंदगी को एसटीपी में ले जाकर निस्तारित करना अनिवार्य कर दिया गया है. उन्होंने प्राइवेट संचालकों को नोटिस देने के साथ उनका समय भी निर्धारित किया है.

शहर में प्राइवेट टैंकरों का बढ़ना नगर निगम के पास संसाधन की कमी का होना भी एक कारण है. निगम के पास सिर्फ दो टैंकर हैं, जिससे वह बुकिंग के आधार पर सफाई करते हैं. तत्काल जरूरत पड़ने पर प्राइवेट टैंकर चालक ही लोगों का सहारा बनते हैं, क्योंकि गोरखपुर शहर के अंदर अभी केवल पांच फीसदी इलाकों में ही सीवर लाइन बिछी हुई है. इसके अलावा शहर का अधिकांश हिस्सा अभी इस व्यवस्था से काफी दूर है. हालांकि शहर में छोटे- बड़े तीन एसटीपी बना दिए गए हैं, जिनमें नालों से निकलने वाले गंदे पानी और सेप्टिक टैंक की गंदगी को साफ किया जाएगा.

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