गोरखपुरः मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर व सीएम योगी आदित्यनाथ ने नाथ पंथ की विशिष्ट परंपरानुसार शिवावतारी बाबा गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाकर समूचे जनमानस की सुख समृद्धि की मंगलकामना की. रविवार सुबह 4:00 बजे सीएम योगी आदित्यनाथ बाबा गोरखनाथ के समक्ष प्रस्तुत हुए और पूजा पाठ के बाद उन्होंने बाबा को खिचड़ी में चावल, उड़द की दाल और सब्जियों को अर्पित किया. उनके खिचड़ी चढ़ाने के बाद श्रद्धालुओं के उमड़े जनसैलाब ने भी बाबा को खिचड़ी अर्पित की.
सीएम योगी ने इसके बाद मंदिर परिसर में स्थापित गोरक्षपीठ के ब्रम्हलीन पीठाधीश्वर महंतो की भी पूजा पाठ किया. इस दौरान सीएम योगी ने मकर संक्रांति पर्व की विशेषता को बताया और देश-प्रदेश वासियों को बधाई भी दी. पूरी प्रकृति को अपनी उर्जा देने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है. मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा वह खाली हाथ नहीं लौटा. ठीक वैसे ही, जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता.
अरुणोदय काल में मकर संक्रांति का महापर्व रविवार यानी आज मनाया जाएगा. इस दिन उत्तर प्रदेश, बिहार और देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाएंगे. आनुष्ठानिक कार्यक्रमों का शंखनाद रविवार भोर में तीन बजे के बाद ही हो गया. भोर में सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित किया. इसके बाद नेपाल राजपरिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढ़ी. इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए गये और जनसामान्य की आस्था खिचड़ी के रूप में चढ़नी शुरू हो गयी.
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है. मान्यता है कि तत्समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे. मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया. कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं. उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए.
बताया जाता है कि भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर साधनालीन हो गए. उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे. इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई. तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर जारी है. कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है.
गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है, जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं. इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं. यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी-रोटी का इंतजाम है. यही नहीं, मंदिर परिसर में अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है. मंदिर व प्रशासन की ओर से खिचड़ी महापर्व को लेकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा का पूर्ण इंतजाम किया गया है.
सीएम योगी खुद सभी व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए हैं. मकर संक्रांति पर्व को लेकर मंदिर व मेला परिसर सज धजकर पूरी तरह तैयार है. समूचा मंदिर क्षेत्र सतरंगी रोशनी में नहाया हुआ है. यहां श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुक्रवार शाम से ही प्रारंभ हो गया था. मंदिर प्रबंधन की तरफ से उनके ठहरने और अन्य सुविधाओं का पूरा इंतजाम किया गया है. प्रशासन की तरफ से रैन बसेरों में भी पूरी व्यवस्था की गई है. इस बीच हजारों श्रद्धालुओं ने शनिवार को भी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई.