गोरखपुर: कोरोना की महामारी के समय ऑक्सीजन को लेकर हाय तौबा मची हुई है. सरकार से लेकर सभी लोग ऑक्सीजन के उत्पादन और इसके संरक्षण को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहे हैं. कुछ वर्ष पहले पानी की आवश्यकता को देखते हुए लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का बड़ा अभियान चला था, जिसका परिणाम भी अच्छा देखने को मिला है. गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर से जल संरक्षण का बड़ा संदेश दिया जाता है. पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय गोरखपुर भी जल संरक्षण का बड़ा केंद्र है. यही नहीं शहर के कई बड़े होटल और सरकारी महकमे भी इस अभियान की ओर काफी मजबूती से कदम बढ़ाते दिखाई देते हैं.
रेलवे के हर 200 वर्ग मीटर की बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर हुआ काम
पिछले 3 दिनों से गोरखपुर में हो रही भारी बारिश को देखते हुए जल संरक्षण के बड़े केंद्रों पर ईटीवी भारत ने नजर दौड़ाई तो रिपोर्ट काफी सुखद मिली. यहां के मंदिर, होटल, रेलवे, सरकारी कार्यालय में इसके बेहतर प्रोजेक्ट बने दिखे. कुछ प्राइवेट स्कूल और लोगों के घर मे भी जल संरक्षण का अच्छा इंतजाम दिखा, जो यह बताता है कि लोग जल संकट को लेकर काफी गम्भीर हैं. बात करें पूर्वोत्तर रेलवे की तो यहां के 200 वर्ग मीटर या उससे बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है.
गोरखनाथ मंदिर में भी बना है काफी बड़ा प्लांट
इसी प्रकार गोरखनाथ मंदिर सिर्फ भक्तों की आस्था का केंद्र नहीं यह जल संरक्षण का भी बड़ा केंद्र है. यहां 4.3 मीटर लंबा और 2.3 मीटर चौड़ा , तीन मीटर गहरा टैंक बनाकर जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है. इसी प्रकार शहर के बेहतरीन थ्री स्टार होटल्स में शुमार क्लार्क इन ग्रैंड के परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बेजोड़ सिस्टम दिखाई देता है, जहां करीब 10 हजार लीटर पानी इकट्ठा हो जाता है. यहां यह व्यवस्था वर्ष 2003 से चल रही है. यहां के सिस्टम और प्रबंधन के मुखिया अमित कुमार कहते हैं कि पानी की बर्बादी इंसान को तब पता चलती है जब उसे जरूरत पर पानी नहीं मिलता है. उनका कहना है कि लोग जल को बचाएं नहीं तो ऑक्सीजन की तरह उसके लिए भी भटकेंगे और दौड़ेंगे.
वर्षा जल संचयन के साथ उसके उपयोग और शुद्धता पर भी हुआ है काम
रेलवे हो या फिर गोरखनाथ मंदिर,होटल के परिसर, जहां कहीं भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है, वहां जल को साफ करने की भी व्यवस्था है. इसमें कचरे का निस्तारण भी हो जाता है और पानी साफ होकर परिसर में फैले पाइप लाइनों के माध्यम से टैंक तक पहुंचता है, जिससे पेड़-पौधों को पानी दिया जाता है. बागवानी और खेती में भी इसका उपयोग होता है. शहर के बड़े संस्थानों से तमाम छोटे और सरकारी महकमों के कार्यालयों में भी जल संरक्षण पर कार्य होता दिखाई दिया है. चाहे वह सेवायोजन कार्यालय हो या कलेक्ट्रेट और कमिश्नर कार्यालय. सब जगह इस पर जोर दिया गया है, जो काफी सुखद है.