गोरखपुर: जीआईएस सर्वे में शहर की करीब 7 हजार से अधिक संपत्तियों में हाउस टैक्स चोरी का मामला सामने आया है. इस टैक्स चोरी में गोरखपुर नगर निगम (Nagar Nigam Gorakhpur) के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों मिलीभगत भी उजागर हुई. उनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है. प्रॉपर्टी टैक्स चोरी का खुलासा निगम के नए सिस्टम से हुआ है.
नगर निगम के पुराने रिकार्ड्स के अनुसार, पहले शहर में करीब 1.35 लाख मकान थे. यहां कमर्शियल भवनों की संख्या 6,450 थी. मकानों में 6 हजार से अधिक दुकानें बनी हुई थी. जब नगर निगम की टीम ने ये सर्वे शुरू किया, तो मात्र 35 वार्ड में ही 1.38 लाख मकान मिल गए. कमर्शियल भवनों की संख्या 7,690 पायी गयी. मकानों के अंदर दुकानों की संख्या 9,536 मिली.
इस हिसाब से 70 वार्ड्स का आंकड़ा देखा जाए, तो यह आंकड़ा दूने को पार कर सकता है. अभी शहर के बाकी भागों में जीआईएस सर्वे का काम चल रहा है. कर चोरी का आंकड़ा और बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है. जीआईएस सर्वे का काम बेंगलुरु की इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज कर रही है. इस सर्वे के लिए गोरखपुर नगर निगम को 3.70 करोड़ का भुगतान भी करना है. यह काम 1 जून 2019 से चल रहा है, जो इस वर्ष पूरा हो जाएगा.
नगर आयुक्त अविनाश कुमार सिंह को सभी वार्ड्स की रिपोर्ट आने के बाद नगर निगम को अधिक से अधिक राजस्व मिलने की उम्मीद है. एजेंसी सेटेलाइट से इलाके का नक्शा निकालती है और फिर उनकी टीम के सदस्य घर-घर जाकर क्षेत्रफल की जांच करते हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के सेटेलाइट की मदद से नक्शा लिया जाता है. क्षेत्र में पहुंची टीम के सदस्य मकान की चार फोटो लेते हैं. साथ ही मकान के क्षेत्रफल की नाप भी लेते हैं और मकान नंबर के हिसाब से अब तक दिए गए टैक्स की जानकारी भी उसमें फीड करते हैं. इसी में हाउस टैक्स चोरी करने के मामले सामने आये.
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