गोरखपुर : हर जरूरतमंद को घर और मकान का सपना दिखाने वाला गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपने ही आवंटियों को ठगने पर आमादा है. लोहिया, बसंत कुंज और अमरावती जैसी आवासीय योजनाओं में आवंटित मकानों का तय समय सीमा के ढाई साल बाद भी कब्जा नहीं दे पाया है. साल 2015 में करीब 40 लाख रुपये देकर अपने मकान से वंचित चल रहे आवंटियों ने अब अपने हक के लिए आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है. सीएम योगी ने मामले के हल के लिए कमिश्नर को जिम्मेदारी सौंप दी है, जिसके बाद कमिश्नर ने पीड़ित आवंटियों के साथ बैठक तो की है पर नतीजा कुछ साफ नहीं हुआ.
जीडीए ने आवंटित मकानों में किया फेरबदल
- गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपने आवंटियों के साथ वादाखिलाफी कर रहा है.
- जीडीए ने लिखित तौर पर कहा था कि वह 104.9 वर्ग मीटर का फ्लैट देगा, लेकिन जो फ्लैट बनकर तैयार हैं, वह 75.16 वर्गमीटर के हैं.
- निर्माण में जीडीए ने खुद देरी की है और दाम बढ़ने की बात कहकर करीब चार लाख अतिरिक्त वसूलने के लिए आवंटियों को नोटिस भेज दिया है, जिससे वह परेशान हैं.
- जीडीए ने मकानों का ले आउट भी बदल दिया है. इस तरह की कई गलतियां जीडीए ने कर आवंटियों की परेशानी बढ़ा दी है.
- मकानों का कब्जा देने का काम 2017 में ही पूरा होना था पर उसका काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.
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प्राधिकरण अपने इस आचरण से आवंटियों को तो परेशान किया ही है, उसने फ्लैट के लिए जिन सुविधाओं को देने की बात कही थी, उसके साथ भी खिलवाड़ कर रहा है, जिससे आवंटी ठगे महसूस कर रहे हैं. यही वजह है कि वह कमिश्नर की बैठक में भी जमकर हंगामा कर कहा है कि उनका हक नहीं मिला तो वह जान देने पर मजबूर हो जाएंगे.
हमारा लक्ष्य यही है कि आवंटियों को मानक के अनुसार एक अच्छी रहने की जगह मिले. कुछ त्रुटियां जीडीए की तरफ से हुई हैं, उनमें से जितना हम सुधार सकते हैं सुधारेंगे. मैं आश्वासन देता हूं कि इनको हक मिलेगा.
-जयंत नार्लीकर, कमिश्नर