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गोरखपुर: जीडीए ने अपने ही आवंटियों को ठगा, दाम बढ़ाकर कब्जा नहीं दिया

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जीडीए यानी गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने आवासीय योजनाओं में आवंटित मकानों का तय समय सीमा के ढाई साल बाद भी कब्जा नहीं दिया है, जिसका अब आवंटियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.

जीडीए ने आवंटित मकानों मेंं किया फेरबदल.
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Published : Sep 9, 2019, 9:13 PM IST


गोरखपुर : हर जरूरतमंद को घर और मकान का सपना दिखाने वाला गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपने ही आवंटियों को ठगने पर आमादा है. लोहिया, बसंत कुंज और अमरावती जैसी आवासीय योजनाओं में आवंटित मकानों का तय समय सीमा के ढाई साल बाद भी कब्जा नहीं दे पाया है. साल 2015 में करीब 40 लाख रुपये देकर अपने मकान से वंचित चल रहे आवंटियों ने अब अपने हक के लिए आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है. सीएम योगी ने मामले के हल के लिए कमिश्नर को जिम्मेदारी सौंप दी है, जिसके बाद कमिश्नर ने पीड़ित आवंटियों के साथ बैठक तो की है पर नतीजा कुछ साफ नहीं हुआ.

जीडीए ने आवंटित मकानों में किया फेरबदल.

जीडीए ने आवंटित मकानों में किया फेरबदल

  • गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपने आवंटियों के साथ वादाखिलाफी कर रहा है.
  • जीडीए ने लिखित तौर पर कहा था कि वह 104.9 वर्ग मीटर का फ्लैट देगा, लेकिन जो फ्लैट बनकर तैयार हैं, वह 75.16 वर्गमीटर के हैं.
  • निर्माण में जीडीए ने खुद देरी की है और दाम बढ़ने की बात कहकर करीब चार लाख अतिरिक्त वसूलने के लिए आवंटियों को नोटिस भेज दिया है, जिससे वह परेशान हैं.
  • जीडीए ने मकानों का ले आउट भी बदल दिया है. इस तरह की कई गलतियां जीडीए ने कर आवंटियों की परेशानी बढ़ा दी है.
  • मकानों का कब्जा देने का काम 2017 में ही पूरा होना था पर उसका काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.

पढ़ें- गोरखपुर: अदबो एहतराम के साथ निकाला गया 8वीं मोहर्रम का जुलूस

प्राधिकरण अपने इस आचरण से आवंटियों को तो परेशान किया ही है, उसने फ्लैट के लिए जिन सुविधाओं को देने की बात कही थी, उसके साथ भी खिलवाड़ कर रहा है, जिससे आवंटी ठगे महसूस कर रहे हैं. यही वजह है कि वह कमिश्नर की बैठक में भी जमकर हंगामा कर कहा है कि उनका हक नहीं मिला तो वह जान देने पर मजबूर हो जाएंगे.


हमारा लक्ष्य यही है कि आवंटियों को मानक के अनुसार एक अच्छी रहने की जगह मिले. कुछ त्रुटियां जीडीए की तरफ से हुई हैं, उनमें से जितना हम सुधार सकते हैं सुधारेंगे. मैं आश्वासन देता हूं कि इनको हक मिलेगा.
-जयंत नार्लीकर, कमिश्नर


गोरखपुर : हर जरूरतमंद को घर और मकान का सपना दिखाने वाला गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपने ही आवंटियों को ठगने पर आमादा है. लोहिया, बसंत कुंज और अमरावती जैसी आवासीय योजनाओं में आवंटित मकानों का तय समय सीमा के ढाई साल बाद भी कब्जा नहीं दे पाया है. साल 2015 में करीब 40 लाख रुपये देकर अपने मकान से वंचित चल रहे आवंटियों ने अब अपने हक के लिए आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है. सीएम योगी ने मामले के हल के लिए कमिश्नर को जिम्मेदारी सौंप दी है, जिसके बाद कमिश्नर ने पीड़ित आवंटियों के साथ बैठक तो की है पर नतीजा कुछ साफ नहीं हुआ.

जीडीए ने आवंटित मकानों में किया फेरबदल.

जीडीए ने आवंटित मकानों में किया फेरबदल

  • गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपने आवंटियों के साथ वादाखिलाफी कर रहा है.
  • जीडीए ने लिखित तौर पर कहा था कि वह 104.9 वर्ग मीटर का फ्लैट देगा, लेकिन जो फ्लैट बनकर तैयार हैं, वह 75.16 वर्गमीटर के हैं.
  • निर्माण में जीडीए ने खुद देरी की है और दाम बढ़ने की बात कहकर करीब चार लाख अतिरिक्त वसूलने के लिए आवंटियों को नोटिस भेज दिया है, जिससे वह परेशान हैं.
  • जीडीए ने मकानों का ले आउट भी बदल दिया है. इस तरह की कई गलतियां जीडीए ने कर आवंटियों की परेशानी बढ़ा दी है.
  • मकानों का कब्जा देने का काम 2017 में ही पूरा होना था पर उसका काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.

पढ़ें- गोरखपुर: अदबो एहतराम के साथ निकाला गया 8वीं मोहर्रम का जुलूस

प्राधिकरण अपने इस आचरण से आवंटियों को तो परेशान किया ही है, उसने फ्लैट के लिए जिन सुविधाओं को देने की बात कही थी, उसके साथ भी खिलवाड़ कर रहा है, जिससे आवंटी ठगे महसूस कर रहे हैं. यही वजह है कि वह कमिश्नर की बैठक में भी जमकर हंगामा कर कहा है कि उनका हक नहीं मिला तो वह जान देने पर मजबूर हो जाएंगे.


हमारा लक्ष्य यही है कि आवंटियों को मानक के अनुसार एक अच्छी रहने की जगह मिले. कुछ त्रुटियां जीडीए की तरफ से हुई हैं, उनमें से जितना हम सुधार सकते हैं सुधारेंगे. मैं आश्वासन देता हूं कि इनको हक मिलेगा.
-जयंत नार्लीकर, कमिश्नर

Intro:गोरखपुर। हर जरूरतमंद को घर और मकान का सपना दिखाने वाला गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपने ही आवंटियों के ठगने पर आमादा है। लोहिया, बसंत कुंज और अमरावती जैसी आवासीय योजनाओं में उसने जिन्हें मकान आवंटित किया उसे तय समय सीमा के ढाई साल बाद भी कब्ज़ा नहीं दे पाया है। साल 2015 में करीब 40 लाख देकर अपने मकान से महरूम चल रहे ऐसे आवंटियों ने अब अपने हक के लिए आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है तो सीएम योगी ने मामले के हल के लिए कमिश्नर को जिम्मेदारी सौंप दी है, जिसके बाद उन्होंने आवंटियों के साथ बड़ी बैठक की तो है पर नतीजा कुछ साफ नहीं हुआ।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:दरअसल गोरखपुर प्राधिकरण ने जिन योजनओं में अपने आवंटियों को कब्जा नहीं दिया है उसका काम अभी तक पूरा नहीं पाया है।जबकि कब्ज़ा देने का काम 2017 में ही कर देना था। प्राधिकरण अपने इस आचरण से आवंटियों को तो परेशान किया ही है उसने फ्लैट के लिए जिन सुविधाओं को देने की बात कही थी उसके साथ भी खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है। जिससे आवंटी ठगे महसूस कर रहे हैं। यही वजह है कि वह कमिश्नर की बैठक में भी जमकर हंगामा किए और कहा कि उनका हक नहीं मिला तो वह जान देने को मजबूर हो जाएंगे।

बाइट--राजीव पाण्डेय, पीड़ित आवंटित
बाइट--अरुण सिंह, पीड़ित आवंटित


Conclusion:अब आपको बताते हैं कि जीडीए कहा-कहां आवंटियों के साथ वादाखिलाफी कर रहा है। जीडीए ने लिखित तौर पर कहा है वह 104.9 वर्ग मीटर का फ्लैट देगा लेकिन जो फ्लैट बनकर तैयार है वह 75.16 वर्गमीटर का है। निर्माण में जीडीए ने खुद देरी किया है और कास्ट बढ़ने की बात कहकर करीब 4 लाख अतिरिक्त वसूलने की आवंटियों को नोटिस भेज दिया है, जिससे वह परेशान ही उठे हैं। ले आउट भी बदल दिया है तो यूटिलिटी और स्टोर का निर्माण भी नहीं किया है। इस तरह की कई गलतियां जीडीए न किया है और परेशानी आवंटियों की बढ़ा दी है। कमिश्नर गोरखपुर जयंत नार्लीकर ने इनके साथ बैठक करने के बाद स्वीकार किया कि जीडीए ने आवंटियों के साथ गलतियां किया हैं उसकी समीक्षा की जा रही है और हर हाल में आवंटियों को उनका वाजिब हक दिलाया जाएगा।

बाइट--जयंत नार्लीकर, कमिश्नर गोरखपुर

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
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