गोरखपुर: जनपद में पूर्व मंत्री स्वर्गीय जमुना निषाद की 9वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उनको याद किया गया. बता दें कि बसपा की सरकार में उत्तर प्रदेश के पुर्व मत्स्य एवं सैनिक कल्याण मंत्री स्वतंत्र प्रभार रहे जमुना निषाद की मृत्यु 9 वर्ष पहले सड़क दुर्घटना में हो गई थी. इस मौके पर पूर्व विधायक के पुत्र डॉ अमरेंद्र निषाद ने ईटीवी भारत से बातचीत की और अपने पिता के जीवन के बारे में बताया.
बहुजन समाज पार्टी की सरकार में उत्तर प्रदेश के पुर्व मत्स्य एव सैनिक कल्याण मंत्री स्वतंत्रत प्रभार स्वर्गीय जमुना निषाद की 9वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. उनके पैतृक गांव खुटहन खास स्थित समाधि स्थल पर गायत्री मंत्र उच्चारण एवं हवन के साथ उनकी मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजली दी की गई. आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए सपा जिलाध्यक्ष प्रह्लाद यादव ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि स्वर्गीय जमुना निषाद के अधूरे सपनों को पूरा करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
उनकी कमी आजीवन खलेगी
डॉ. अमरेंद्र निषाद ने ईटीवी भारत को बताया पिता जी आज हमारे बीच नहीं है. उनकी कमी आजीवन हमें खलती रहेगी. अगर आज वह जीवित होते तो तमाम अत्याचार जो गरीबों हो रहे संभवतः नहीं होते. उनमें किसानों मजदूरों और गरीबों की लड़ाई लड़ने का गुण था. सरकार जो आज सोच रही है वह विधायक मंत्री रहने से पहले सोच चुके थे.
एक वोट देकर सपा की सरकार बनाने में मदद करेंगे
ईटीवी भारत के संवाददाता के प्रश्नों का उत्तर देते हुए डॉ. अमरेंद्र निषाद ने कहा कि आगामी 2022 के चुनाव में स्वर्गीय मंत्री जी के विचारों को और समाजवादी पार्टी की नीतियों को लेकर आने वाले चुनाव में पिपराइच विधानसभा से एक वोट देकर उत्तर प्रदेश की सरकार बनाने में मदद करूंगा.
स्वर्गीय जमुना निषाद बिरादरी के कद्दावर नेता थे
स्व. जमुना निषाद का जन्म 1953 में जनपद के गुलरिहा थाना अन्तर्गत खुटहन खास गांव में हुआ था. स्व. निषाद का पूरा जीवन संघर्षमय रहा. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अमरेंद्र निषाद ने बताया कि उनके दिव्यांग पिता एलएलबी की पढाई पूरी करने के बाद गोरखपुर कचहरी में प्रैक्टिस कर रहे थे. 1988-89 में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार में मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलित पिपराइच के रीठियां गांव के किसानों की लड़ाई में खुलकर साथ दिया और वहीं से उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई.
1989 में विधानसभा चुनाव मैदान उतरे
अमरेंद्र निषाद ने बताया कि उनके पिता 1989 में पिपराइच विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव लड़े. वर्ष 2007 में बसपा की सीट पर विधायक चुने गए. बसपा सरकार ने उनको सैनिक कल्याण और मत्स्य विभाग का स्वतंत्र प्रभार देकर मंत्री नियुक्त किया.
एक नजर पूर्व मंत्री के राजनीतिक जीवन पर
- स्व. जमुना निषाद 1996 के बाद कई पार्टियों के साथ राजनितिक संबंधों को बदला लेकिन पिपराईच विधानसभा के चुनाव में असफल रहे.
- वर्ष 2002 में उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र पिपराइच से बदलकर महाराजगंज के पनीयार से बसपा के टिकट पर चुनाव में उतरे, लेकिन फिए एक बार करारी हार का सामना करना पड़ा.
- वर्ष 2007 में ग्राम प्रधान के रूप में गांव का प्रतिनिधित्व करने अवसर उन्हें प्राप्त हुआ.
- उसी वर्ष विधानसभा पिपराइच से पूर्व मंत्री जितेंद्र जायसवाल को करीब 6,000 वोटों से शिकस्त देकर विधायक बनें.
- बसपा की मुखिया मायावती ने उन्हें सैनिक कल्याण और मत्स्य विभाग का स्वतंत्र प्रभार देकर मंत्री नियुक्त किया.
सड़क दुर्घटना में आकस्मिक निधन
बताया जाता है कि राजनैतिक षड्यंत्र के तहत उन्हें जेल जाना और मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. जमानत पर रिहा होने के बाद 19 नवंबर 2010 को घर आते समय लखनऊ के सफदरगंज हाइवे पर सड़क दुर्घटना में उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई. इनकी सड़क दुर्घटना को भी षड्यंत्र माना जाता है.