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गोरखपुर: प्राथमिक स्कूल बना समंदर, पानी में डूबी शिक्षा व्यवस्था - प्राथमिक स्कूल बना समंदर

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के भरवलिया गांव का प्राथमिक स्कूल में पिछले बीस दिनों से पानी भरा हुआ है. स्कूल में पानी भरने से यहां पठन-पाठन पूरी तरह ठप है. स्कूल को समस्या विहीन बनाने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है. वहीं इस पर शिक्षा अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.

प्राथमिक स्कूल बना समंदर.
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Published : Oct 19, 2019, 8:40 PM IST

गोरखपुर: जिले का एक प्राथमिक स्कूल पिछले बीस दिनों से पानी में डूबकर समंदर बन चुका है. यहां पठन-पाठन पूरी तरह ठप है. बावजूद इसके जल निकासी और शिक्षा को लेकर कोई भी जिम्मेदार सजग नहीं दिखता. जबकि यह स्कूल शहर से ठीक 4 किमी की दूरी पर भरवलिया गांव में स्थित है.

प्राथमिक स्कूल बना समंदर.

प्राथमिक स्कूल बना समंदर

  • वीवीआईपी जिले के स्कूलों की ऐसी दशा है तो बाकी जगहों का क्या होगा.
  • भरवलिया गांव का प्राथमिक स्कूल तो एक नजीर है ऐसे और भी कई स्कूल हैं जहां पिछले बीस दिनों से बच्चे पढ़ने नहीं जा पा रहे.
  • बीते 29 सितंबर से करीब एक सप्ताह तक जमकर बारिश हुई, जिसमें गोरखपुर से लेकर राजधानी लखनऊ तक जलभराव के संकट से घिर गया था.
  • बरसात बीते दो हफ्ते से ज्यादा का समय बीत गया सभी जिम्मेदार इतने संवेदनहीन हैं कि उन्हें चिंता ही नहीं स्कूल चले तो कैसे.
  • यहां का प्रधान थोड़ी कोशिश कर रहे हैं तो शिक्षा अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर: केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय की टीम ने ओडीएफ की जमीनी हकीकत जांची

स्कूल की समंदर बन चुकी हालात इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकारी तंत्र की उदासीनता किस तरह से किसी भी व्यवस्था को चौपट कर सकती है. शिक्षक वेतन उठा रहे होंगे, लेकिन बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. स्कूल को समस्या विहीन बनाने की जिम्मेदारी जहां शिक्षा विभाग की है. वहीं ग्राम शिक्षा समिति भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है. मीडिया के दबाव में प्रधान ने आनन-फानन में स्कूल से पानी निकालने में अपने निजी प्रयास से जुट गया है, तो बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से पहल के नाम पर यहां के बच्चों को दूर के जूनियर स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है.

गोरखपुर: जिले का एक प्राथमिक स्कूल पिछले बीस दिनों से पानी में डूबकर समंदर बन चुका है. यहां पठन-पाठन पूरी तरह ठप है. बावजूद इसके जल निकासी और शिक्षा को लेकर कोई भी जिम्मेदार सजग नहीं दिखता. जबकि यह स्कूल शहर से ठीक 4 किमी की दूरी पर भरवलिया गांव में स्थित है.

प्राथमिक स्कूल बना समंदर.

प्राथमिक स्कूल बना समंदर

  • वीवीआईपी जिले के स्कूलों की ऐसी दशा है तो बाकी जगहों का क्या होगा.
  • भरवलिया गांव का प्राथमिक स्कूल तो एक नजीर है ऐसे और भी कई स्कूल हैं जहां पिछले बीस दिनों से बच्चे पढ़ने नहीं जा पा रहे.
  • बीते 29 सितंबर से करीब एक सप्ताह तक जमकर बारिश हुई, जिसमें गोरखपुर से लेकर राजधानी लखनऊ तक जलभराव के संकट से घिर गया था.
  • बरसात बीते दो हफ्ते से ज्यादा का समय बीत गया सभी जिम्मेदार इतने संवेदनहीन हैं कि उन्हें चिंता ही नहीं स्कूल चले तो कैसे.
  • यहां का प्रधान थोड़ी कोशिश कर रहे हैं तो शिक्षा अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर: केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय की टीम ने ओडीएफ की जमीनी हकीकत जांची

स्कूल की समंदर बन चुकी हालात इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकारी तंत्र की उदासीनता किस तरह से किसी भी व्यवस्था को चौपट कर सकती है. शिक्षक वेतन उठा रहे होंगे, लेकिन बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. स्कूल को समस्या विहीन बनाने की जिम्मेदारी जहां शिक्षा विभाग की है. वहीं ग्राम शिक्षा समिति भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है. मीडिया के दबाव में प्रधान ने आनन-फानन में स्कूल से पानी निकालने में अपने निजी प्रयास से जुट गया है, तो बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से पहल के नाम पर यहां के बच्चों को दूर के जूनियर स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है.

Intro:सम्मानित डेस्क...यह स्पेशल खबर है .

ओपनिंग पीटीसी...

गोरखपुर। परिषदीय स्कूलों को राइट टाइम करने के लिए प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग भले ही लाख दावे करें, लेकिन जब तक जरूरी संसाधन से विद्यालय लैस नहीं होंगे यहाँ शिक्षा का बेहतर माहौल तैयार करना संभव नहीं लगता। गोरखपुर का एक प्राथमिक स्कूल इसका बहुत बड़ा नजीर बनकर सामने आया है। स्कूल पिछले बीस दिनों से पानी में डूबकर समंदर बन चुका है। यहां पठन-पाठन पूरी तरह ठप है। बावजूद इसके जल निकासी और शिक्षा को लेकर कोई भी जिम्मेदार सजग नहीं दिखता। हैरानी तब जबकि यह स्कूल शहर से ठीक 4 किलो मीटर की दूरी पर भरवलिया गांव में स्थित है।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:बड़ा सवाल यह है कि वीवीआईपी जिले के स्कूलों की ऐसी दशा है तो बाकी जगहों का क्या होगा। भरवलिया गांव का प्राथमिक स्कूल पथरा तो एक नजीर है ऐसे और भी कई स्कूल हैं जहां पिछले बीस दिनों से बच्चे पढ़ने नहीं जा पा रहे। यह स्कूल सड़क से करीब तीन फीट नीचे है। बीते 29 सितंबर से करीब एक सप्ताह तक जमकर बारिश हुई जिसमें गोरखपुर से लेकर राजधानी लखनऊ तक जलभराव के संकट से घिर गया था। लेकिन बरसात बीते दो हफ्ते से ज्यादा का समय बीत गया सभी जिम्मेदार इतने संवेदनहीन हैं कि उन्हें चिंता ही नहीं स्कूल चले तो कैसे। यहां का प्रधान थोड़ी कोशिश कर रहा है तो शिक्षा अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं।

बाइट--दिनेश तिवारी, प्रधान, भरवलिया
बाइट--सौमेन्द्र मिश्र, स्थानीय


Conclusion:पथरा स्कूल की समंदर बन चुकी हालात इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकारी तंत्र की उदासीनता किस तरह से किसी भी व्यवस्था को चौपट कर सकती है। शिक्षक वेतन उठा रहे होंगे, लेकिन बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। स्कूल को समस्या विहीन बनाने की जिम्मेदारी जहां शिक्षा विभाग की है वहीं ग्राम शिक्षा समिति भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। मीडिया के दबाव में प्रधान ने आनन-फानन में स्कूल से पानी निकालने में अपने निजी प्रयास से जुट गया है तो बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से पहल के नाम पर यहां के बच्चों को दूर के जूनियर स्कूल में शिफ्ट कर देना हुआ है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि 20 दिनों से स्कूल जलमग्न है और बारिश भी 5 अक्टूबर से बंद है फिर भी हालत-जस के तस।

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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