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बाढ़ से घिरे 285 गांवों के लोग बेहद परेशान, 1998 के डेंजर लेवल को भी पार कर गया जलस्तर - 1998 Gorakhpur flood

गोरखपुर में बाढ़ से प्रभावित लोगों के बचाव के साथ-साथ राहत पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधि और अधिकारी स्टीमर और नाव के सहारे लोगों तक पहुंच रहे हैं लेकिन एक समय पर एक साथ सभी को राहत नहीं पहुंच पा रही. ऐसे में लोगों की आवाज प्रशासन के खिलाफ उठ रही है और लोग परेशान हैं.

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गोरखपुर में बाढ़
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Published : Oct 17, 2022, 9:05 PM IST

गोरखपुरः बरसात व घाघरा और सरयू जैसी नदियों के जलस्तर बढ़ने से गोरखपुर के करीब 285 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. 120 से अधिक गांव चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं, जहां से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना और उन तक भोजन और राहत सामग्री पहुंचाना. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए भी चैलेंज बना हुआ है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश और डांट के बाद बाढ़ बचाव के साथ लोगों को राहत पहुंचाने के लिए गोरखपुर में जनप्रतिनिधि और अधिकारी स्टीमर और नाव के सहारे लोगों तक पहुंच रहे हैं लेकिन परेशानी का क्षेत्र इतना बड़ा है कि एक समय में एक साथ सभी को राहत नहीं पहुंच पा रही. ऐसे में लोगों की आवाज प्रशासन के खिलाफ उठ रही है और लोग परेशान हैं.

जानकारी देते अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह

जिला प्रशासन की रिपोर्टः जिला प्रशासन की सोमवार की रिपोर्ट है उसके अनुसार नदियों का जलस्तर घटना शुरू हो गया है. घाघरा का जलस्तर अयोध्या पुल पर घटाव की ओर है. वहीं, राप्ती नदी भी घटनी शुरू हो गई है. रोहिन नदी जहां घट रही है. वहीं, गोरा स्थिर है. जिले में कैंपियरगंज और गोला तहसील क्षेत्र ज्यादा प्रभावित है. जिले के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह की माने तो इन क्षेत्रों में नदी का जलस्तर फैलाव के साथ बढ़ता है. बंधे के टूटने की कोई समस्या नहीं खड़ी होती है.

जलस्तर के बढ़ने से ही समस्या बड़ी हो जाती है. यही वजह है कि पिछले एक सप्ताह के अंदर नदियों के जलस्तर में काफी बढ़ाव देखा गया है. जिससे भारी संख्या में गांव जलमग्न हुए हैं. फिलहाल लोगों को राहत पहुंचाई जा रही है. जो गांव दोबारा से बाढ़ की चपेट में आए हैं उन गांव में फिर से राशन किट का वितरण किया जा रहा है और इसका अनुपालन राहत आयुक्त के निर्देश के क्रम में किया जा रहा है. वहीं, बाढ़ प्रभावित लोग अभी भी व्यवस्था से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे.

1998 के डेंजर लेवल को भी पार कर गया जलस्तरःजल स्तर बढ़ने के साथ जो खतरा होता है वह जलस्तर घटने के साथ भी बना होता है. यही वजह है कि नदियों के तटबंध की निगरानी बढ़ा दी गई है. इस बार नदी का जलस्तर जिस डेंजर लेवल को पार किया वह वर्ष 1998 में गोरखपुर क्षेत्र में बाढ़ की मची तबाही से ज्यादा था लेकिन बंधों का हुआ अनुरक्षण इसे बचाने में कारगर साबित हुआ.

प्रशासन और सिंचाई विभाग का मानना है कि घटता जलस्तर बंधे के लिए नुकसानदाई हो सकता है इसलिए निगरानी जरूरी है. राजस्व, सिंचाई और पुलिस की संयुक्त टीम इस काम में लगी है. शनिवार को बड़हलगंज क्षेत्र में टेडिया बांध टूटने की वजह खड़ेसरी में स्थापित राजकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज में पानी भर गया है. यहां के विद्यार्थियों और स्टाफ कॉलेज छोड़कर जाने को मजबूर हुए हैं. सहजनवा क्षेत्र में भी निर्माणाधीन राजकीय पॉलिटेक्निक पानी से घिर गया है. क्षेत्र के मझवालिया, सेमरा,ददरी, मठिया और शनिचरा गांव में अभी तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है.

ये भी पढ़ेंः आज से आरोग्यधाम में आयुर्वेद और धन्वंतरि पर्व समारोह, ये है प्लानिंग

गोरखपुरः बरसात व घाघरा और सरयू जैसी नदियों के जलस्तर बढ़ने से गोरखपुर के करीब 285 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. 120 से अधिक गांव चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं, जहां से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना और उन तक भोजन और राहत सामग्री पहुंचाना. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए भी चैलेंज बना हुआ है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश और डांट के बाद बाढ़ बचाव के साथ लोगों को राहत पहुंचाने के लिए गोरखपुर में जनप्रतिनिधि और अधिकारी स्टीमर और नाव के सहारे लोगों तक पहुंच रहे हैं लेकिन परेशानी का क्षेत्र इतना बड़ा है कि एक समय में एक साथ सभी को राहत नहीं पहुंच पा रही. ऐसे में लोगों की आवाज प्रशासन के खिलाफ उठ रही है और लोग परेशान हैं.

जानकारी देते अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह

जिला प्रशासन की रिपोर्टः जिला प्रशासन की सोमवार की रिपोर्ट है उसके अनुसार नदियों का जलस्तर घटना शुरू हो गया है. घाघरा का जलस्तर अयोध्या पुल पर घटाव की ओर है. वहीं, राप्ती नदी भी घटनी शुरू हो गई है. रोहिन नदी जहां घट रही है. वहीं, गोरा स्थिर है. जिले में कैंपियरगंज और गोला तहसील क्षेत्र ज्यादा प्रभावित है. जिले के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह की माने तो इन क्षेत्रों में नदी का जलस्तर फैलाव के साथ बढ़ता है. बंधे के टूटने की कोई समस्या नहीं खड़ी होती है.

जलस्तर के बढ़ने से ही समस्या बड़ी हो जाती है. यही वजह है कि पिछले एक सप्ताह के अंदर नदियों के जलस्तर में काफी बढ़ाव देखा गया है. जिससे भारी संख्या में गांव जलमग्न हुए हैं. फिलहाल लोगों को राहत पहुंचाई जा रही है. जो गांव दोबारा से बाढ़ की चपेट में आए हैं उन गांव में फिर से राशन किट का वितरण किया जा रहा है और इसका अनुपालन राहत आयुक्त के निर्देश के क्रम में किया जा रहा है. वहीं, बाढ़ प्रभावित लोग अभी भी व्यवस्था से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे.

1998 के डेंजर लेवल को भी पार कर गया जलस्तरःजल स्तर बढ़ने के साथ जो खतरा होता है वह जलस्तर घटने के साथ भी बना होता है. यही वजह है कि नदियों के तटबंध की निगरानी बढ़ा दी गई है. इस बार नदी का जलस्तर जिस डेंजर लेवल को पार किया वह वर्ष 1998 में गोरखपुर क्षेत्र में बाढ़ की मची तबाही से ज्यादा था लेकिन बंधों का हुआ अनुरक्षण इसे बचाने में कारगर साबित हुआ.

प्रशासन और सिंचाई विभाग का मानना है कि घटता जलस्तर बंधे के लिए नुकसानदाई हो सकता है इसलिए निगरानी जरूरी है. राजस्व, सिंचाई और पुलिस की संयुक्त टीम इस काम में लगी है. शनिवार को बड़हलगंज क्षेत्र में टेडिया बांध टूटने की वजह खड़ेसरी में स्थापित राजकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज में पानी भर गया है. यहां के विद्यार्थियों और स्टाफ कॉलेज छोड़कर जाने को मजबूर हुए हैं. सहजनवा क्षेत्र में भी निर्माणाधीन राजकीय पॉलिटेक्निक पानी से घिर गया है. क्षेत्र के मझवालिया, सेमरा,ददरी, मठिया और शनिचरा गांव में अभी तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है.

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