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पेड़ों से किसान पा सकेंगे कार्बन क्रेडिट का लाभ, गोरखपुर मंडल में बड़े स्तर पर आयोजित हुआ सेमिनार

गोरखपुर में किसान अब पेड़ों से कार्बन क्रेडिट का लाभ ले सकेंगे. किसान प्रत्येक पेड़ पर कार्बन क्रेडिट के रूप में प्रतिवर्ष 200 से 250 रुपये तक प्राप्त कर सकेंगे

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राज्य स्तरीय अधिकारियों की बड़ी बैठक
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Published : Sep 13, 2022, 9:11 PM IST

गोरखपुरः कृषि-वानिकी के तहत पौधरोपण करने वाले किसान अब पेड़ों से कार्बन क्रेडिट का लाभ ले सकेंगे. इसकी सफलता को लेकर मंगलवार को गोरखपुर में वन और कृषि विभाग के जिला और राज्य स्तरीय अधिकारियों की बड़ी बैठक हुई. कृषि-वानिकी के तहत पौधरोपण करने वाले किसानों प्रत्येक पेड़ पर कार्बन क्रेडिट के रूप में प्रतिवर्ष 200 से 250 रुपये तक प्राप्त कर सकेंगे. कार्बन क्रेडिट बिक्री में वन विभाग किसानों की मदद करेगा.

दो दिनों तक गोरखपुर में मंगलवार एवं बुधवार को कृषि भवन चरगांवा में कार्बन फाइनेंस के लिए क्षमता निर्माण और हित धारक परामर्श एवं स्वैच्छिक कार्बन बाजार परियोजनाओं का विकास विषयक एक दिवसीय कार्यशाला में इसपर गंभीर चर्चा हुई. कार्यशाला में प्रगतिशील किसान, गोरखपुर वन मंडल के फ्रंटलाइन कर्मचारियों, रेंज अधिकारियों, एसडीओ, वन दरोगा को प्रशिक्षण दिया गया. कृषि विभाग के चार जिलों के अधिकारी, हेरिटेज फाउंडेशन की टीम ने भी इसमें प्रतिभाग किया.

इस संबंध में प्रभागीय वन अधिकारी विकास यादव ने बताया कि किसानों को यूकेलिप्टस, पॉपुलर, शीशम जैसे पेड़ों की अन्य प्रजातियों के लिए पौधरोपण के प्रचलित मॉडल के आधार पर कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा. गोरखपुर मंडल के किसानों को अपनी निजी भूमि पर कृषि वानिकी के तहत बड़े पैमाने पर प्रेरित किया जाएगा. कार्यशाला को मुख्य वन संरक्षण गोरखपुर मण्डल भीम सेन, टेरी के भूमि संसाधन विभाग के निदेशन आईएफएस डॉ. जेवी शर्मा, सीनियर फैलो डॉ योगेश गोखले और शोधार्थी अंकित ने संबोधित किया.

पढ़ेंः आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयकर विभाग का छापा

वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनिल तिवारी के मुताबिक भारत सरकार ने साल 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की घोषणा की है. इंडिया सीईओ 'फोरम ऑन क्लाइमेट चेंज' ने पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और निजी क्षेत्र के बीच एक दीर्घकालिक और स्थायी साझेदारी की है, जिसके अंतर्गत इस तरह किसानों द्वारा किए कृषि वानिकी में किए गए पौधरोपण से कार्बन क्रेडिट खरीदने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है.

क्या है कार्बन क्रेडिट?
कार्बन क्रेडिट किसी देश द्वारा अपने पर्यावरण परिवेश में हानिकारक गैसों की उत्सर्जन क्षमता को कम करने पर उसे विश्व सम्मेलन से मिलता है. कार्बन क्रेडिट को एक प्रकार से वन द्वारा संजोए कार्बन की बिक्री से प्राप्त कीमत कहा जा सकता है. यह 6 अमेरिकी डॉलर प्रति पेड़ की दर से मिलेगा.

पढ़ेंः दुधवा टाइगर रिजर्व की कार्बन क्रेडिट से हर साल होगी करोड़ों की कमाई

पौधरोपण से से प्राप्त कार्बन के लिए किसानों को अतिरिक्त धनराशि मिल सकती है. ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई) उत्तर प्रदेश वन विभाग संयुक्त रूप से कार्बन वित्त प्राप्त करने के लिए दस्तावेज तैयार करेंगे. वीएनवी सलाहकार बेंगलुरु 6 अमेरिकी डॉलर की दर से कार्बन क्रेडिट खरीदेगा. इस तरह किसानों को उनके द्वारा लगाए गए प्रत्येक पेड़ के लिए अलग कार्बन क्रेडिट के रूप में 250 से 350 रुपये प्राप्त होंगे.

कार्बन क्रेडिट के लिए किसानों को देना होगा यह विवरण
कार्बन क्रेडिट का यह लाभ उन किसानों को मिल सकेगा, जिन्होंने कम से कम 25 या उससे अधिक पेड़ वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 में लगाए हों. इसके लिए किसानों को नाम, पता, बैंक एकाउंट का विवरण आईएफएससी कोड सहित, आधार नंबर, कृषि वानिकी का क्षेत्रफल, भूमि की खसरा खतौनी, मोबाइल नंबर समेत किसान का पूरा विवरण वन विभाग को उपलब्ध कराना होगा.

पढ़ेंः मोटे अनाजों में छिपा है सेहत का खजाना, जानिए इसकी खूबियां

गोरखपुरः कृषि-वानिकी के तहत पौधरोपण करने वाले किसान अब पेड़ों से कार्बन क्रेडिट का लाभ ले सकेंगे. इसकी सफलता को लेकर मंगलवार को गोरखपुर में वन और कृषि विभाग के जिला और राज्य स्तरीय अधिकारियों की बड़ी बैठक हुई. कृषि-वानिकी के तहत पौधरोपण करने वाले किसानों प्रत्येक पेड़ पर कार्बन क्रेडिट के रूप में प्रतिवर्ष 200 से 250 रुपये तक प्राप्त कर सकेंगे. कार्बन क्रेडिट बिक्री में वन विभाग किसानों की मदद करेगा.

दो दिनों तक गोरखपुर में मंगलवार एवं बुधवार को कृषि भवन चरगांवा में कार्बन फाइनेंस के लिए क्षमता निर्माण और हित धारक परामर्श एवं स्वैच्छिक कार्बन बाजार परियोजनाओं का विकास विषयक एक दिवसीय कार्यशाला में इसपर गंभीर चर्चा हुई. कार्यशाला में प्रगतिशील किसान, गोरखपुर वन मंडल के फ्रंटलाइन कर्मचारियों, रेंज अधिकारियों, एसडीओ, वन दरोगा को प्रशिक्षण दिया गया. कृषि विभाग के चार जिलों के अधिकारी, हेरिटेज फाउंडेशन की टीम ने भी इसमें प्रतिभाग किया.

इस संबंध में प्रभागीय वन अधिकारी विकास यादव ने बताया कि किसानों को यूकेलिप्टस, पॉपुलर, शीशम जैसे पेड़ों की अन्य प्रजातियों के लिए पौधरोपण के प्रचलित मॉडल के आधार पर कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा. गोरखपुर मंडल के किसानों को अपनी निजी भूमि पर कृषि वानिकी के तहत बड़े पैमाने पर प्रेरित किया जाएगा. कार्यशाला को मुख्य वन संरक्षण गोरखपुर मण्डल भीम सेन, टेरी के भूमि संसाधन विभाग के निदेशन आईएफएस डॉ. जेवी शर्मा, सीनियर फैलो डॉ योगेश गोखले और शोधार्थी अंकित ने संबोधित किया.

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वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनिल तिवारी के मुताबिक भारत सरकार ने साल 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की घोषणा की है. इंडिया सीईओ 'फोरम ऑन क्लाइमेट चेंज' ने पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और निजी क्षेत्र के बीच एक दीर्घकालिक और स्थायी साझेदारी की है, जिसके अंतर्गत इस तरह किसानों द्वारा किए कृषि वानिकी में किए गए पौधरोपण से कार्बन क्रेडिट खरीदने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है.

क्या है कार्बन क्रेडिट?
कार्बन क्रेडिट किसी देश द्वारा अपने पर्यावरण परिवेश में हानिकारक गैसों की उत्सर्जन क्षमता को कम करने पर उसे विश्व सम्मेलन से मिलता है. कार्बन क्रेडिट को एक प्रकार से वन द्वारा संजोए कार्बन की बिक्री से प्राप्त कीमत कहा जा सकता है. यह 6 अमेरिकी डॉलर प्रति पेड़ की दर से मिलेगा.

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पौधरोपण से से प्राप्त कार्बन के लिए किसानों को अतिरिक्त धनराशि मिल सकती है. ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई) उत्तर प्रदेश वन विभाग संयुक्त रूप से कार्बन वित्त प्राप्त करने के लिए दस्तावेज तैयार करेंगे. वीएनवी सलाहकार बेंगलुरु 6 अमेरिकी डॉलर की दर से कार्बन क्रेडिट खरीदेगा. इस तरह किसानों को उनके द्वारा लगाए गए प्रत्येक पेड़ के लिए अलग कार्बन क्रेडिट के रूप में 250 से 350 रुपये प्राप्त होंगे.

कार्बन क्रेडिट के लिए किसानों को देना होगा यह विवरण
कार्बन क्रेडिट का यह लाभ उन किसानों को मिल सकेगा, जिन्होंने कम से कम 25 या उससे अधिक पेड़ वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 में लगाए हों. इसके लिए किसानों को नाम, पता, बैंक एकाउंट का विवरण आईएफएससी कोड सहित, आधार नंबर, कृषि वानिकी का क्षेत्रफल, भूमि की खसरा खतौनी, मोबाइल नंबर समेत किसान का पूरा विवरण वन विभाग को उपलब्ध कराना होगा.

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