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गोरखपुर में बारिश से किसान परेशान, 150 गांवों में धान की फसल बर्बाद

यूपी के गोरखपुर जिले में जून-जुलाई महीने की भारी बारिश से किसानों की खेती को भारी नुकसान पहुंचा है. भारी बारिश से जिले के तकरीबन डेढ़ सौ गांवों की धान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है.

किसानों की फसल बर्बाद.
किसानों की फसल बर्बाद.
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Published : Aug 19, 2020, 8:10 PM IST

गोरखपुर: भारी बरसात में जिले के करीब डेढ़ सौ गांव की धान की फसल पूरी तरह चौपट हो गई. जून-जुलाई महीने में हुई बेजोड़ बारिश से धान के खेतों में इतना पानी भर गया कि फसल पूरी तरह से सड़ गई, जहां पानी थोड़ा कम था. वहां की फसल पीली पड़ गई है, जिससे पैदावार होने की उम्मीद खत्म हो गई है. फसलों के बर्बाद होने से किसानों के चेहरे मायूस हुए तो उनकी गाढ़ी कमाई भी फसल की बर्बादी के साथ डूब गई. धान के बीज खरीदने से लेकर खेत की जुताई, बुवाई और पहले चरण की होने वाली सिंचाई में किसानों ने जो अपनी जमा पूंजी लगाई थी, वह उनकी आंखों के सामने ही बर्बाद हो चुकी है.

इस साल जून-जुलाई महीने में पिछले कई वर्षों से अत्यधिक बारिश हुई है. इसकी वजह से जिले के सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में है. वहीं 150 गांवों में फसलों के बर्बाद होने की बात खुद कृषि विभाग के उपनिदेशक कह रहे हैं. उनका कहना है कि जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है, उन्हें हर हाल में क्षतिपूर्ति मिलेगी. वहीं जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा कराया होगा, उन्हें बीमा कंपनी की तरफ से क्षतिपूर्ति का भुगतान होगा. इसके साथ ही जो फसलें बीमित नहीं होंगी, उनके नुकसान का 33% भुगतान राजस्व विभाग की पैमाइश के आधार पर किया जाएगा, जिसे राज्य सरकार वहन करेगी. उन्होंने कहा कि खेतों में पानी के कम होने के बाद ही क्षतिपूर्ति का आकलन किया जा सकेगा, इसके लिए टीमें भी गठित की गई हैं.

मानसून के निर्धारित समय से पहले आने के चलते जून में बारिश का आंकड़ा औसत से 119 फीसदी बढ़ा है. जबकि साल 2013 में 727.7 मिलीमीटर बारिश जून माह में दर्ज हुई थी, लेकिन पिछले साल 2019 में 83.7 मिलीमीटर ही बारिश हुई थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खेतों के बाहर भी पानी गया होगा. वहीं जुलाई माह में बारिश का आंकड़ा 383.4 मिलीमीटर पर पहुंच गया. इसकी वजह से खेतों में जमकर तबाही मची और धान की फसलें जमींदोज हो गई हैं.

गोरखपुर: भारी बरसात में जिले के करीब डेढ़ सौ गांव की धान की फसल पूरी तरह चौपट हो गई. जून-जुलाई महीने में हुई बेजोड़ बारिश से धान के खेतों में इतना पानी भर गया कि फसल पूरी तरह से सड़ गई, जहां पानी थोड़ा कम था. वहां की फसल पीली पड़ गई है, जिससे पैदावार होने की उम्मीद खत्म हो गई है. फसलों के बर्बाद होने से किसानों के चेहरे मायूस हुए तो उनकी गाढ़ी कमाई भी फसल की बर्बादी के साथ डूब गई. धान के बीज खरीदने से लेकर खेत की जुताई, बुवाई और पहले चरण की होने वाली सिंचाई में किसानों ने जो अपनी जमा पूंजी लगाई थी, वह उनकी आंखों के सामने ही बर्बाद हो चुकी है.

इस साल जून-जुलाई महीने में पिछले कई वर्षों से अत्यधिक बारिश हुई है. इसकी वजह से जिले के सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में है. वहीं 150 गांवों में फसलों के बर्बाद होने की बात खुद कृषि विभाग के उपनिदेशक कह रहे हैं. उनका कहना है कि जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है, उन्हें हर हाल में क्षतिपूर्ति मिलेगी. वहीं जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा कराया होगा, उन्हें बीमा कंपनी की तरफ से क्षतिपूर्ति का भुगतान होगा. इसके साथ ही जो फसलें बीमित नहीं होंगी, उनके नुकसान का 33% भुगतान राजस्व विभाग की पैमाइश के आधार पर किया जाएगा, जिसे राज्य सरकार वहन करेगी. उन्होंने कहा कि खेतों में पानी के कम होने के बाद ही क्षतिपूर्ति का आकलन किया जा सकेगा, इसके लिए टीमें भी गठित की गई हैं.

मानसून के निर्धारित समय से पहले आने के चलते जून में बारिश का आंकड़ा औसत से 119 फीसदी बढ़ा है. जबकि साल 2013 में 727.7 मिलीमीटर बारिश जून माह में दर्ज हुई थी, लेकिन पिछले साल 2019 में 83.7 मिलीमीटर ही बारिश हुई थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खेतों के बाहर भी पानी गया होगा. वहीं जुलाई माह में बारिश का आंकड़ा 383.4 मिलीमीटर पर पहुंच गया. इसकी वजह से खेतों में जमकर तबाही मची और धान की फसलें जमींदोज हो गई हैं.

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