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गोरखपुर: गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है शहीद बाबा का आस्ताना

यूपी के गोरखपुर में स्तिथ शहीद बाबा का आस्ताना हिन्दू-मुस्लिम या यूं कहें कि समाज के सभी वर्गों में समान रूप से लोकप्रिय है. कहते हैं कि यहां जो भी मन्नत मांगो वह जरूर पूरी होती है. सभी धर्मों के लोग यहां समान रूप से आते हैं. प्रत्येक गुरुवार को यहां मेला भी लगता है.

शहीद बाबा का आस्ताने पर हर जुमेरात को लगता है मेला.
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Published : Nov 22, 2019, 1:34 PM IST

गोरखपुर: महाराजगंज मुख्य मार्ग पर बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना गंगा-जमुनी तहजीब की आनोखी मिशाल है. बाबा के आस्ताना से सभी वर्ग के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. यहां श्रद्धालू मुरादें पुरी होने पर मुर्गा और चादर-गागर का चढ़ावा चढ़ाते हैं. यह क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है. लोग यहां मुरादें मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर प्रसाद लेकर हर जुमेरात को चादर-गागर चढ़ाने आते हैं. वर्ष के 12 महीने हर गुरुवार को वहां भव्य मेला लगता है. मेले में काफी भीड़भाड़ लगती है.

शहीद बाबा का आस्ताने पर हर जुमेरात को लगता है मेला.


सैकड़ों वर्ष पुराना है आस्ताना
जनपद के गुलरिहा थाना क्षेत्र में शहीद बाबा का आस्ताना सदियों से गंगा-जमुनी तहजीब का मिशाल पेश करता चला आ रहा है. यहां आस्ताना कब से स्थापित है इसकी प्रमाणित जानकारी किसी के पास नहीं है लेकिन स्थानीय लोग इतना जरुर बताते हैं कि आस्ताना सैकड़ों वर्ष पुराना है. बाबा पर आस्था रखने वाले लोग पूर्वांचल के जनपदों के ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रदेश बिहार, उत्तराखण्ड और नेपाल देश में भी हैं.

प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा और चादर-गागर का चढ़ता है चढ़ावा

शहीद बाबा के आस्ताने से श्रद्धा रखने वाले और दूर-दूर से यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि मुराद पूरी होने पर हिन्दु-मुस्लिम सभी वर्ग के लोग अपने करीबियों के साथ प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा लेकर आते हैं. मुर्गा का प्रसाद चढ़ाते हैं, मिलजुल कर धुमधाम से गागर-चादर चढ़ाते है. उसके बाद मुर्गा सिरनी (प्रसाद) का नियाज फातिहा करते हैं.

एक जमाने से स्थापित है बाबा का आस्ताना
आस्ताना के ईमाम हाफिज मुहम्मद ग्यासुद्दीन बरकाती बताते है कि यहां पर शहीद बाबा की मजार सदियों से है. किसी को यह नहीं पता है कि बाबा कब यहां आए. कई पुस्तों से बाबा का आस्ताना है. लेकिन यहां किसी भी धर्म को मानने वाला हो उनका बाबा से दिली लगाव है. उनका अकीदत है कि बाबा के दरबार में जाकर जो भी मुरादें मांगेगे बाबा उसको पूरा कर देंगे.

क्या कहते बाबा से अकीदा रखने वाले श्रद्धालु
पिपराइच के भलूहीं निवासी विरेंद्र शर्मा वहां मुर्गा लेकर प्रसाद चढ़ाने गए थे. उन्होंने बताया कि हमको बाहर जाना था जाने के लिए घरवालों ने मन्नत मांगी थी. मेरी मन्नत पूरी हो गई. अब मैं अपने परिवार के साथ मुर्गे का प्रसाद चढाने यहां आया हूं. बाबा से मेरे परिवार की आस्था बहुत दिनों से जुड़ी हुई है.

ग्राम प्रधान सर्वेश सिंह का कहना है कि यहां के लोगों में सदियों से ऐसी मान्यता है कि बाबा से जो भी मन्नते मांगते है पूरी होती हैं. मन्नत पुरी होने के बाद लोग यहां आकर चादर, मुर्गा प्रसाद अपनी मन्नत के ऐतबार से चढ़ाते हैं. हर वर्ग के लोग यहां आते हैं. किसी के लिए कोई भेदभाव नहीं है. हिन्दू-मुस्लिम सबकी आस्था बाबा से जुड़ी है.

गोरखपुर: महाराजगंज मुख्य मार्ग पर बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना गंगा-जमुनी तहजीब की आनोखी मिशाल है. बाबा के आस्ताना से सभी वर्ग के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. यहां श्रद्धालू मुरादें पुरी होने पर मुर्गा और चादर-गागर का चढ़ावा चढ़ाते हैं. यह क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है. लोग यहां मुरादें मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर प्रसाद लेकर हर जुमेरात को चादर-गागर चढ़ाने आते हैं. वर्ष के 12 महीने हर गुरुवार को वहां भव्य मेला लगता है. मेले में काफी भीड़भाड़ लगती है.

शहीद बाबा का आस्ताने पर हर जुमेरात को लगता है मेला.


सैकड़ों वर्ष पुराना है आस्ताना
जनपद के गुलरिहा थाना क्षेत्र में शहीद बाबा का आस्ताना सदियों से गंगा-जमुनी तहजीब का मिशाल पेश करता चला आ रहा है. यहां आस्ताना कब से स्थापित है इसकी प्रमाणित जानकारी किसी के पास नहीं है लेकिन स्थानीय लोग इतना जरुर बताते हैं कि आस्ताना सैकड़ों वर्ष पुराना है. बाबा पर आस्था रखने वाले लोग पूर्वांचल के जनपदों के ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रदेश बिहार, उत्तराखण्ड और नेपाल देश में भी हैं.

प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा और चादर-गागर का चढ़ता है चढ़ावा

शहीद बाबा के आस्ताने से श्रद्धा रखने वाले और दूर-दूर से यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि मुराद पूरी होने पर हिन्दु-मुस्लिम सभी वर्ग के लोग अपने करीबियों के साथ प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा लेकर आते हैं. मुर्गा का प्रसाद चढ़ाते हैं, मिलजुल कर धुमधाम से गागर-चादर चढ़ाते है. उसके बाद मुर्गा सिरनी (प्रसाद) का नियाज फातिहा करते हैं.

एक जमाने से स्थापित है बाबा का आस्ताना
आस्ताना के ईमाम हाफिज मुहम्मद ग्यासुद्दीन बरकाती बताते है कि यहां पर शहीद बाबा की मजार सदियों से है. किसी को यह नहीं पता है कि बाबा कब यहां आए. कई पुस्तों से बाबा का आस्ताना है. लेकिन यहां किसी भी धर्म को मानने वाला हो उनका बाबा से दिली लगाव है. उनका अकीदत है कि बाबा के दरबार में जाकर जो भी मुरादें मांगेगे बाबा उसको पूरा कर देंगे.

क्या कहते बाबा से अकीदा रखने वाले श्रद्धालु
पिपराइच के भलूहीं निवासी विरेंद्र शर्मा वहां मुर्गा लेकर प्रसाद चढ़ाने गए थे. उन्होंने बताया कि हमको बाहर जाना था जाने के लिए घरवालों ने मन्नत मांगी थी. मेरी मन्नत पूरी हो गई. अब मैं अपने परिवार के साथ मुर्गे का प्रसाद चढाने यहां आया हूं. बाबा से मेरे परिवार की आस्था बहुत दिनों से जुड़ी हुई है.

ग्राम प्रधान सर्वेश सिंह का कहना है कि यहां के लोगों में सदियों से ऐसी मान्यता है कि बाबा से जो भी मन्नते मांगते है पूरी होती हैं. मन्नत पुरी होने के बाद लोग यहां आकर चादर, मुर्गा प्रसाद अपनी मन्नत के ऐतबार से चढ़ाते हैं. हर वर्ग के लोग यहां आते हैं. किसी के लिए कोई भेदभाव नहीं है. हिन्दू-मुस्लिम सबकी आस्था बाबा से जुड़ी है.

Intro:गोरखपुर महराजगंज मुख्य मार्ग पर बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना गंगा जमुनी तहजीब का आनोखा मिशाल है. वहां हर जुमेरात को मेला लगता है. बाबा के आस्ताने से सभी वर्ग के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. श्रद्धालुओं की मुरादें पुरी होने पर मुर्गा फातेहा व चादर गागर का चढावा लेकर चढाने जाते है.

पिपराइच गोरखपुरः जनपद के बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना गंगा जमुनी तहजीब का एक आनोखा मिशाल है. समाज से जुड़े हिन्दू मुस्लिम सभी वर्ग के लोग शहीद बाबा के चाहने वाले मुरीद है. क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है. आकीदतमंद मुरादें मागने और मन्नत पूरी होने हर प्रसाद लेकर हर जुमेरात को चादर गागर चढाने वहां जाते है. वर्ष के 12 महीने हर वृहस्पतिवार को वहां भव्य मेला लगता है. मेले में काफि भीड़भाड़ लगती है.

जनपद के गुलरिहा थाना क्षेत्र के बरगदहीं स्थिति शहीद बाबा का आस्ताना सदियों से गंगा जमुनी तहजीब का मिशाल पेश करता चला आरहा है. वहां का आस्ताना कब से स्थापित है इसका प्रमाणित जानकारी किसी के पास तो नही है. हां अलबत्ता स्थानीय लोग इतना जरुर बताते है कि वहां का आस्ताना सैकड़ों वर्ष पुराना है. बाबा पर आस्था रखने वाले आकिदतमंद पूर्वांचल के सभी जनपद ही नही पढोसी प्रदेश विहार उत्तरा खण्ड और नेपाल देश में भी चाहने वाले है. श्रद्धालु मुरादें मागने और पूरी होने पर प्रसाद मुर्गा गागर-चादर चढाने औ फतेहा कराने वहां बेझिझक जाते है.Body:$ प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा चादर-गागर चढ़ता है चढ़ावा$

शहीद बाबा के आस्ताने से श्रद्धा रखने वाले और दूर दूर पहूंचने वाले श्रद्धालु बताते है कि मुराद पुरी होने पर हिन्दु मुस्लिम सभी वर्ग के लोग अपने करीबी नात रिस्तेदारों के साथ प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा लेकर आते है. मुर्गा का प्रसाद चढ़ाते है एवं उसको कटते पकाते है मिलजुल कर धुमधाम से गागर चादर चढ़ाते है. मुर्गा सिरनी (प्रसाद) का नियाज फाहतेहा कारत है उसके बाद सभी लोग भोजन करकते है.

$एक जमाने से स्थापित है बाबा का आस्ताना$

वहां के ईमाम हाफिज मुहम्मद ग्यासुद्दीन बरकाती बताते है कि यहां पर शहीद बाबा का मजार सदियों से है. किसी को ये मालूम नही है कि बाबा कबसे यहां आए. लेकिन यहां मुस्लिम हो चाहे गैर मुस्लिम हो किसी भी धर्म को मनने वाला हो उनका बाबा से दिली लगाव है. उनका अकीदत है कि बाबा के दरबार में जाकर जो भी चीज, मुरादें मांगेगे बाबा उसको पूरा कर देंगे. इसी अकीदे के साथ हिन्दू मुस्लिम सभी धर्म के लोग यहां आते है. प्रसाद मुर्गा नजरों नेयाज पेश करते है. बताते है सैकड़ों वर्ष मतलब एक जमाने से है. कई पुस्तों से बाबा का आस्ताना है.
बाइट- हाफिज ग्यासुद्दीन (आस्ताना मस्जिद ईमाम)

$क्या कहते बाबा से अकीदा रखने वाले श्रद्धालु$

पिपराइच के भलूहीं निवासी विरेंद्र शर्मा वहां मुर्गा लेकर प्रसाद चढाने गए थे. उन्होंने बताया कि हमको बाहार जाना था जाने के लिए घरवाले ने मन्नत मांगी थी. मैं बाहर चला गया. मेरी मन्नत पूरी हो गई. आज मैं अपने परिवार के मुर्गा प्रसाद चढाने यहां आया हूं. बाबा से मेरे परिवार की आस्था काफि दिनो से जुडी हुई है.
बाइट- विरेन्द्र शर्मा (श्रद्धालु)


Conclusion:यहां के लोगों में सदियों से ऐसी मान्यता है कि बाबा से जोभी लोग मन्नते मांगते है पूरा होती है. पुरा होने के बाद यहाँ आकर चादर मुर्गा प्रसाद अपनी मन्नत के ऐतबार से चढाते है. लगभग हर वर्ग के लोग आते है. किसी के लिए कोई भेदभाव नही है. हिन्दू मुस्लिम सबकी आस्था बाबा से जुड़ी है.

बाइट- सर्वेश सिंह (ग्राम प्रधान)

यहां पर हर जुमेरात को मेला लगने की परमपरा सदियों से चलता चला आरहा है. मेरे पुर्वजों के जमाने से. इन लोगों की ऐसी मान्यता है कि सभी लोगों की मनोकामनाएं बाबा के दरबार में पूरी होती है. उसके उपलक्ष्य में लोग यहां अपना पर्व मनाते आते है. प्रसाद आदि चढाते है.

बाइट-बुद्धि सागर तिवारी (ग्रामीण)


मै यहां 25 वर्षों से आता हूं. हमारी इनसे श्रद्धा विश्वास है. मेरी हर मनोकामना पुरी होती है. मैं बाबा पर विश्वास रखता हूं. यहां पर हिन्दू मुस्लिम किसी के लिए कोई भेदभाव नही है. गंगा जमुनी तहजीब का मिशाल है.

बाइट-सीता राम जयसवाल (श्रद्धालु)


रफिउल्लाह अन्सारी-8318103822
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