गोरखपुर: महाराजगंज मुख्य मार्ग पर बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना गंगा-जमुनी तहजीब की आनोखी मिशाल है. बाबा के आस्ताना से सभी वर्ग के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. यहां श्रद्धालू मुरादें पुरी होने पर मुर्गा और चादर-गागर का चढ़ावा चढ़ाते हैं. यह क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है. लोग यहां मुरादें मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर प्रसाद लेकर हर जुमेरात को चादर-गागर चढ़ाने आते हैं. वर्ष के 12 महीने हर गुरुवार को वहां भव्य मेला लगता है. मेले में काफी भीड़भाड़ लगती है.
सैकड़ों वर्ष पुराना है आस्ताना
जनपद के गुलरिहा थाना क्षेत्र में शहीद बाबा का आस्ताना सदियों से गंगा-जमुनी तहजीब का मिशाल पेश करता चला आ रहा है. यहां आस्ताना कब से स्थापित है इसकी प्रमाणित जानकारी किसी के पास नहीं है लेकिन स्थानीय लोग इतना जरुर बताते हैं कि आस्ताना सैकड़ों वर्ष पुराना है. बाबा पर आस्था रखने वाले लोग पूर्वांचल के जनपदों के ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रदेश बिहार, उत्तराखण्ड और नेपाल देश में भी हैं.
प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा और चादर-गागर का चढ़ता है चढ़ावा
शहीद बाबा के आस्ताने से श्रद्धा रखने वाले और दूर-दूर से यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि मुराद पूरी होने पर हिन्दु-मुस्लिम सभी वर्ग के लोग अपने करीबियों के साथ प्रसाद के रुप में देशी मुर्गा लेकर आते हैं. मुर्गा का प्रसाद चढ़ाते हैं, मिलजुल कर धुमधाम से गागर-चादर चढ़ाते है. उसके बाद मुर्गा सिरनी (प्रसाद) का नियाज फातिहा करते हैं.
एक जमाने से स्थापित है बाबा का आस्ताना
आस्ताना के ईमाम हाफिज मुहम्मद ग्यासुद्दीन बरकाती बताते है कि यहां पर शहीद बाबा की मजार सदियों से है. किसी को यह नहीं पता है कि बाबा कब यहां आए. कई पुस्तों से बाबा का आस्ताना है. लेकिन यहां किसी भी धर्म को मानने वाला हो उनका बाबा से दिली लगाव है. उनका अकीदत है कि बाबा के दरबार में जाकर जो भी मुरादें मांगेगे बाबा उसको पूरा कर देंगे.
क्या कहते बाबा से अकीदा रखने वाले श्रद्धालु
पिपराइच के भलूहीं निवासी विरेंद्र शर्मा वहां मुर्गा लेकर प्रसाद चढ़ाने गए थे. उन्होंने बताया कि हमको बाहर जाना था जाने के लिए घरवालों ने मन्नत मांगी थी. मेरी मन्नत पूरी हो गई. अब मैं अपने परिवार के साथ मुर्गे का प्रसाद चढाने यहां आया हूं. बाबा से मेरे परिवार की आस्था बहुत दिनों से जुड़ी हुई है.
ग्राम प्रधान सर्वेश सिंह का कहना है कि यहां के लोगों में सदियों से ऐसी मान्यता है कि बाबा से जो भी मन्नते मांगते है पूरी होती हैं. मन्नत पुरी होने के बाद लोग यहां आकर चादर, मुर्गा प्रसाद अपनी मन्नत के ऐतबार से चढ़ाते हैं. हर वर्ग के लोग यहां आते हैं. किसी के लिए कोई भेदभाव नहीं है. हिन्दू-मुस्लिम सबकी आस्था बाबा से जुड़ी है.