गोरखपुर: यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक और योगी सरकार में एससी-एसटी आयोग के चेयरमैन बृजलाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा है कि प्रदेश में दलितों का उत्पीड़न न हो, इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. दलित उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना की जा रही है. इसके साथ ही जब तक आरोप की पुष्टि न हो गिरफ्तारी पर रोक का आदेश है.
मायावती ने किया था दलितों का उत्पीड़न
पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि प्रदेश में दलितों का उत्पीड़न बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण बसपा की सरकार रही है, जिसकी मुखिया मायावती ने मुख्यमंत्री बनते ही दलित उत्पीड़न के मामलों में कानून को शिथिल कर दिया था. बृजलाल ने कहा कि उनका आयोग दलित उत्पीड़न के मामलों की पूरी गंभीरता से निगरानी कर रहा है. यही वजह है कि जिन जिलों में मामलों के निस्तारण में ढिलाई बरती जा रही है, वहां के संबंधित अधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक को आयोग नोटिस भेज रहा और तलब करके मामले के शीघ्र निस्तारण का आदेश दे रहा है.
एससी-एसटी कैटेगरी के दारोगा को मिलेगी थानेदारी
इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका आयोग यूपी पुलिस में भी बड़ा सुधार करने जा रहा है. शासनादेश के तहत 23% एससी-एसटी कैटेगरी के दारोगा को थानेदारी मिलनी चाहिए, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि पुलिस महकमे को एक माह का समय दिया गया है. अगर नियम के तहत तैनाती नहीं की गई तो जवाब के लिए आयोग में डीजीपी को भी तलब करूंगा.
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अब अध्यक्ष से लेकर सभी सदस्य एससी-एसटी कैटेगरी के होंगे
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बृजलाल ने एक बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा कि मायावती ने अपने सरकार में एससी आयोग के मेंबर को लेकर शासनादेश में बदलाव करते हुए हर वर्ग के लोगों को इसमें शामिल करने का आदेश कर दिया था, जिसकी देन थी कि सपा की सरकार में एससी-एसटी आयोग का चेयरमैन बैकवर्ड बिरादरी के थे. सिर्फ इतना ही नहीं कई सदस्य भी बैकवर्ड कोटे के थे. उन्होंने कहा कि चेयरमैन का दायित्व संभालने के साथ सबसे पहले उन्होंने इसमें सुधार कराने का प्रयास किया और अब यहां पर अध्यक्ष से लेकर सभी सदस्य एससी-एसटी कैटेगरी से हैं.