गोरखपुर : गोरखपुर में नगर निगम प्रशासन द्वारा स्थापित व पूर्व सैनिकों का प्रवर्तन दल अपने सराहनीय कार्यों से, आज सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं. ये भूतपूर्व सैनिक कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के शवों का सह-सम्मान अंतिम संस्कार कर रहे हैं. दरअसल, इनके ऊपर शहर को अतिक्रमण मुक्त रखने के साथ ही प्रतिबंधित पॉलिथीन पर पूर्ण रूप से रोकथाम लगाने की जिम्मेदारी है. लेकिन वो अपनी इन जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के साथ ही, इस वैश्विक महामारी में संक्रमण से हुई मौतों के शवों का पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर रहे हैं.
भूतपूर्व सैनिकों के कार्यों की हो रही चर्चा
कोरोना की पहली लहर से ही लगातार आम लोगों के बीच पूर्व सैनिकों का यह दल उनके कंधे से कंधा मिलाकर हर संभव मदद करने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में दूसरी लहर में जब मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ने लगा, तब भी यह पूर्व सैनिक पूरी जिम्मेदारी के साथ समाज के हर वर्ग के साथ पूरी निष्ठा और तत्परता से उनके सहयोग में डटे रहे. जब लोग अपनों के शवों को छोड़कर दूर हट जाते थे, तब यह पूर्व सैनिक उन शवों को पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम क्रिया कर्म कर अस्थि को संग्रहित कर, परिजनों को मुहैया कराने का कार्य भी कर रहे हैं. पूर्व सैनिकों के इस कार्य ने जहां समाज को एक आईना दिखाया है, वहीं उनकी कार्यों की चर्चा चहु ओर हो रही है.
प्रवर्तन दल के प्रभारी कर्नल सीपी सिंह ने कहा-
इस संबंध में प्रवर्तन दल के प्रभारी कर्नल सीपी सिंह ने बताया कि वैश्विक महामारी वायरस के प्रथम फेज से ही हमारी टीम लगातार लोगों की मदद कर रही है. दूसरे फेज में स्थिति बद से बत्तर होती जा रही थी, ऐसे में संक्रमितों के शवों की मानों शव दाह स्थल पर कतार सी लग गई थी. शव दाह स्थल पर मौजूद प्राइवेट लोग मनमाने तरीके से पैसा लेकर शवों का अंतिम संस्कार कर रहे थे. ऐसे में लगातार जिला प्रशासन के पास यह शिकायत आ रही थी, कि शवों को उनका सम्मान नहीं मिल रहा है. इस पर नगर निगम प्रशासन ने शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी प्रवर्तन दल को सौंपी.
उन्होंने कहा कि हमारी टीम के 4-4 सदस्य 24 घंटे कार्य कर शवों को पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कराने में लग गए. वहीं कुछ परिजन अपनों के शवों को छूने से भी मना कर देते थे, उन्हें डर होता था कि उन्हें भी संक्रमण हो जाएगा. इन सब बातों की परवाह किए बगैर हमारी टीम के जवान जैसे सीमाओं पर पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं. ठीक उसी तरह हम लोगों ने भी पूरे सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए एक-एक शवों को सह-सम्मान उनका अंतिम संस्कार कराया और धीरे-धीरे स्थिति अब संभालने लगी है. अब सिर्फ 1 से 2 शव ही आते हैं. 20 अप्रैल के बाद से अभी तक सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है. वहीं हम कोरोना संक्रमितों के शवों को नि:शुल्क लकड़ी भी मुहैया कराते हैं. उनका एक पैसा भी खर्च होने नहीं देते और पूरे सम्मान के साथ उनकी अंतिम विदाई करते हैं.
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स्वयंसेवी संस्था से जुड़े विक्रमादित्य बताते हैं कि प्रवर्तन दल की टीम के साथ मिलकर वह लगातार लावारिस संक्रमित मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार कराने में लगे हुए हैं. जिस कर्तव्य निष्ठा के साथ ही सैनिक सीमाओं पर तैनात रहकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते थे, ठीक उसी प्रकार पूरी तन्मयता के साथ उन्होंने एक-एक शवों को सम्मान देने का कार्य किया है. यह सैनिक वाकई ही काबिले तारीफ है. इनसे हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है. इन्हीं की प्रेरणा की वजह से हम इनके साथ कार्य कर रहे हैं.