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करगिल विजय दिवस: शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग को किया गया याद

करगिल विजय दिवस के अवसर पर गोरखपुर में भी 'इंडो- नेपाल मैत्री संघ' के बैनर तले शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरु को लोगों ने याद किया और उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया. इस मौके पर सेना के रिटायर्ड जवान और अधिकारी शामिल हुए. मुख्य अतिथि के रूप में नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने भी वीर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.

शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग को किया गया याद.
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Published : Jul 26, 2019, 4:11 PM IST

गोरखपुर: करगिल विजय दिवस के अवसर पर शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग को लोगों ने याद किया. यह कार्यक्रम 'इंडो- नेपाल मैत्री संघ' के बैनर तले किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वीर सपूत को याद किया. करगिल युद्ध के दौरान गौतम गुरुंग की तैनाती कश्मीर में थी और वह भारत मां की सेवा और रक्षा के दौरान अपने प्राणों की आहुति देकर अमर हो गए.

जानकारी देते संवाददाता.

शहादत के लिए याद किए जाते हैं गौतम गुरुंग -

  • गौतम गुरुंग मूलत: नेपाल के थे.
  • उनके पिता पीएस गुरुंग गोरखा रेजिमेंट में ब्रिगेडियर थे.
  • गौतम अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे और अपने खानदान के तीसरे ऐसे सपूत थे जो भारतीय सेना के गोरखा रेजीमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट सेवा दे रहे थे.
  • करगिल युद्ध के दौरान उनकी तैनाती कश्मीर में थी और वह भारत मां की सेवा और रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
  • शहादत दिवस के अवसर पर लोग कूड़ाघाट तिराहे पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
  • इस मौके पर सेना के रिटायर्ड जवान और अधिकारियों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
  • उनकी याद में कूड़ाघाट तिराहे पर उनकी प्रतिमा बनाई गई है.

1999 में जब गौतम गुरुंग की शहादत हुई थी तो पूरा गोरखपुर रो पड़ा था. गौतम के पिता गोरखपुर में ही बतौर ब्रिगेडियर तैनात थे और अपने बेटे का शव वह बतौर ब्रिगेडियर रिसीव करने गए थे. फिर अपने आंख के तारे को पिता के रूप में मुखाग्नि दी थी. मौजूदा समय में जिस कूड़ाघाट चौराहे पर गौतम की प्रतिमा स्थापित है, उससे कुछ ही दूरी पर गोरखा रेजीमेंट की टुकड़ी रहती है. इस क्षेत्र में नेपाली और सेना से जुड़े लोगों का परिवार भी रहता है. यही वजह है कि गौतम की प्रतिमा कूड़ाघाट पर स्थापित हुई जो लोगों की श्रद्धा का केंद्र है और देशभक्ति की भावना का एक अमिट पहचान भी. यह प्रतिमा लोगों को एहसास कराती है कि देश पर मर -मिटने वालों को नमन करने और सम्मान देने वालों की कमी नहीं है. ईटीवी भारत भी ऐसे वीर सपूतों को नमन करता है.

गोरखपुर: करगिल विजय दिवस के अवसर पर शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग को लोगों ने याद किया. यह कार्यक्रम 'इंडो- नेपाल मैत्री संघ' के बैनर तले किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वीर सपूत को याद किया. करगिल युद्ध के दौरान गौतम गुरुंग की तैनाती कश्मीर में थी और वह भारत मां की सेवा और रक्षा के दौरान अपने प्राणों की आहुति देकर अमर हो गए.

जानकारी देते संवाददाता.

शहादत के लिए याद किए जाते हैं गौतम गुरुंग -

  • गौतम गुरुंग मूलत: नेपाल के थे.
  • उनके पिता पीएस गुरुंग गोरखा रेजिमेंट में ब्रिगेडियर थे.
  • गौतम अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे और अपने खानदान के तीसरे ऐसे सपूत थे जो भारतीय सेना के गोरखा रेजीमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट सेवा दे रहे थे.
  • करगिल युद्ध के दौरान उनकी तैनाती कश्मीर में थी और वह भारत मां की सेवा और रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
  • शहादत दिवस के अवसर पर लोग कूड़ाघाट तिराहे पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
  • इस मौके पर सेना के रिटायर्ड जवान और अधिकारियों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
  • उनकी याद में कूड़ाघाट तिराहे पर उनकी प्रतिमा बनाई गई है.

1999 में जब गौतम गुरुंग की शहादत हुई थी तो पूरा गोरखपुर रो पड़ा था. गौतम के पिता गोरखपुर में ही बतौर ब्रिगेडियर तैनात थे और अपने बेटे का शव वह बतौर ब्रिगेडियर रिसीव करने गए थे. फिर अपने आंख के तारे को पिता के रूप में मुखाग्नि दी थी. मौजूदा समय में जिस कूड़ाघाट चौराहे पर गौतम की प्रतिमा स्थापित है, उससे कुछ ही दूरी पर गोरखा रेजीमेंट की टुकड़ी रहती है. इस क्षेत्र में नेपाली और सेना से जुड़े लोगों का परिवार भी रहता है. यही वजह है कि गौतम की प्रतिमा कूड़ाघाट पर स्थापित हुई जो लोगों की श्रद्धा का केंद्र है और देशभक्ति की भावना का एक अमिट पहचान भी. यह प्रतिमा लोगों को एहसास कराती है कि देश पर मर -मिटने वालों को नमन करने और सम्मान देने वालों की कमी नहीं है. ईटीवी भारत भी ऐसे वीर सपूतों को नमन करता है.

Intro:ओपनिंग पीटीसी ...

गोरखपुर। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर गोरखपुर में भी 'इंडो- नेपाल मैत्री संघ' के बैनर तले शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरु को लोगों ने याद किया और उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस मौके पर सेना के रिटायर्ड जवान और अधिकारी तो शामिल हुए ही नगर निगम की सीमा में स्थापित इस वीर शहीद की प्रतिमा को माल्यार्पण करने मुख्य अतिथि के रूप में नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह भी पहुंचे। अपने वीर सपूत को याद करते और उसे श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए रिटायर्ड सैनिकों में वही भाव और जोश भरा दिखाई दे रहा था जो उन्हें पाकिस्तान पर मिली इस विजय के दौरान प्राप्त हुआ था।

नोट--कम्प्लीट पैकेज... वॉइस ओवर अटैच है।


Body:गौतम गुरुंग मूलतः नेपाल के थे। उनके पिता पीएस गुरुंग गोरखा रेजिमेंट में ब्रिगेडियर थे। गौतम अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे और अपने खानदान के तीसरे ऐसे सपूत थे जो भारतीय सेना के गोरखा रेजीमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट सेवा दे रहे थे। कारगिल युद्ध के दौरान उनकी तैनाती कश्मीर में थी और यह जवान भारत मां की सेवा और रक्षा के दौरान अपने प्राणों की आहुति देकर अमर हो गया। लेकिन उसके अमरता की निशानी लोगों के जेहन में अभी भी मौजूद है। यही वजह है कि जब-जब कारगिल दिवस और गौतम का शहादत दिवस आता है तो लोग कूड़ाघाट तिराहे पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने चले आते हैं ,जो उनकी याद में बनाया गया है।

बाइट--अंजनी कुमार सिंह, नगर आयुक्त, गोरखपुर
बाइट--अनिल गुप्ता-अध्यक्ष, इंडो-नेपाल मैत्री संघ


Conclusion:1999 में जब गौतम गुरुंग की शहादत हुई थी तो पूरा गोरखपुर रो पड़ा था। गौतम के पिता गोरखपुर में ही बतौर ब्रिगेडियर तैनात थे और अपने बेटे का शव वह बतौर ब्रिगेडियर रिसीव करने गए थे। फिर अपने आंख के तारे को पिता के रूप में मुखाग्नि दिये थे। मौजूदा समय में जिस कूड़ाघाट चौराहे पर गौतम की प्रतिमा स्थापित है उससे कुछ ही दूरी पर गोरखा रेजीमेंट की टुकड़ी रहती है। तो इस क्षेत्र में नेपाली और सेना से जुड़े लोगों का परिवार भी रहता है। यही वजह है कि गौतम की प्रतिमा कूड़ाघाट पर स्थापित हुई जो लोगों की श्रद्धा का केंद्र है और देशभक्ति की भावना का एक अमिट पहचान भी। यह प्रतिमा लोगों को एहसास कराती है कि देश पर मर -मिटने वालों को नमन करने और सम्मान देने वालों की कमी नहीं है। ईटीवी भारत भी ऐसे वीर सपूत को नमन करता है।

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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