गोरखपुर: करगिल विजय दिवस के अवसर पर शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग को लोगों ने याद किया. यह कार्यक्रम 'इंडो- नेपाल मैत्री संघ' के बैनर तले किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वीर सपूत को याद किया. करगिल युद्ध के दौरान गौतम गुरुंग की तैनाती कश्मीर में थी और वह भारत मां की सेवा और रक्षा के दौरान अपने प्राणों की आहुति देकर अमर हो गए.
शहादत के लिए याद किए जाते हैं गौतम गुरुंग -
- गौतम गुरुंग मूलत: नेपाल के थे.
- उनके पिता पीएस गुरुंग गोरखा रेजिमेंट में ब्रिगेडियर थे.
- गौतम अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे और अपने खानदान के तीसरे ऐसे सपूत थे जो भारतीय सेना के गोरखा रेजीमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट सेवा दे रहे थे.
- करगिल युद्ध के दौरान उनकी तैनाती कश्मीर में थी और वह भारत मां की सेवा और रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
- शहादत दिवस के अवसर पर लोग कूड़ाघाट तिराहे पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
- इस मौके पर सेना के रिटायर्ड जवान और अधिकारियों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
- उनकी याद में कूड़ाघाट तिराहे पर उनकी प्रतिमा बनाई गई है.
1999 में जब गौतम गुरुंग की शहादत हुई थी तो पूरा गोरखपुर रो पड़ा था. गौतम के पिता गोरखपुर में ही बतौर ब्रिगेडियर तैनात थे और अपने बेटे का शव वह बतौर ब्रिगेडियर रिसीव करने गए थे. फिर अपने आंख के तारे को पिता के रूप में मुखाग्नि दी थी. मौजूदा समय में जिस कूड़ाघाट चौराहे पर गौतम की प्रतिमा स्थापित है, उससे कुछ ही दूरी पर गोरखा रेजीमेंट की टुकड़ी रहती है. इस क्षेत्र में नेपाली और सेना से जुड़े लोगों का परिवार भी रहता है. यही वजह है कि गौतम की प्रतिमा कूड़ाघाट पर स्थापित हुई जो लोगों की श्रद्धा का केंद्र है और देशभक्ति की भावना का एक अमिट पहचान भी. यह प्रतिमा लोगों को एहसास कराती है कि देश पर मर -मिटने वालों को नमन करने और सम्मान देने वालों की कमी नहीं है. ईटीवी भारत भी ऐसे वीर सपूतों को नमन करता है.