गोरखपुरः शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने और लोगों को सुगम यात्रा कराने के लिए शुरू होने वाली इलेक्ट्रिक बसों की योजना अभी भी खटाई में पड़ी हुई है. जबकि बसें पीएम के लखनऊ कार्यक्रम के बाद से गोरखपुर के नौसढ़ बस डिपो पर लाकर खड़ी की जा चुकी हैं. यहां बसें धूल फांक रही हैं और समय-समय पर इनके इंजीनियर आकर इसके तकनीकी पहलू की जांच भी करते रहते हैं. लेकिन चार्जिंग बस स्टेशन के अभी भी तैयार न होने से ये बसें डिपों में ही खड़ी हैं.
पीएम मोदी 7 दिसंबर को गोरखपुर पहुंच रहे हैं. ऐसे में इन बसों को सड़कों पर चलाने का नगर निगम प्रशासन जोर आजमाइश कर रहा है. लेकिन वह इसको लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है. वजह चार्जिंग स्टेशन में अभी भी कई प्रकार की कमियां बरकरार हैं. ईटीवी भारत ने 2 महीने पहले ही गोरखपुर में इन बसों के समय से संचालित न हो पाने को लेकर खबर चलाई थी. इसके पीछे की कमियों और भ्रष्टाचार का भी पोल खोला था. जो अब हो रही लेटलतीफी इसकी पुष्टि का बड़ा कारण है.
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इन बसों के लिए किराया भी तय हो गया है. 3 किलोमीटर तक 5 रुपये. 3 से 6 किलोमीटर तक 11 रुपये, 6 से 11 किलोमीटर तक 16 रुपये, 11 से 15 किलोमीटर तक 21 रुपये, 15 से 20 किलोमीटर तक 32 रुपये और 25 किलोमीटर से ज्यादा पर 37 रुपये देने होंगे. लेकिन अभी सब खटाई में पड़ा हुआ है. क्योंकि बस का चार्जिंग स्टेशन ही नहीं बन पाया है. जिसको बनाने की जिम्मेदारी जल निगम की संस्था सीएनडीएस को मिली थी. महेसरा में जहां ये स्टेशन बन रहा है, वो पूरी तरह से जलभराव क्षेत्र है और भारी बारिश में ये क्षेत्र करीब 3 महीने तक पानी से घिरा हुआ था. यहां की जमीन भी दलदल हो चुकी है. ऐसे में कार्य की गति को कार्यदाई संस्था नहीं बना पाई. लेट लतीफी का यही बड़ी वजह है. जिससे परियोजना और सीएम योगी के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं.