गोरखपुर: गोरखपुर के चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के छितहरी गांव के बाहर सड़क पर पिछले कई माह से 70 वर्षीय बुजुर्ग बैजनाथ अपनी पत्नी के साथ प्लास्टिक डालकर रह रहे थे. उन्होंने ब्रह्मपुर ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारियों से सरकारी सुविधाओं की मांग की थी. लेकिन बेपरवाह जिम्मेदारों ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया और आखिरकार आवास की आस में बुजुर्ग बैजनाथ ने दम तोड़ दिया. वहीं, बुजुर्ग की मौत के बाद उनकी पत्नी बेसहारा हो गई है.
बता दें कि छितहरी गांव चौरी चौरा तहसील के सीमावर्ती इलाके में पड़ता है. इसलिए शायद यहां सरकारी मुलाजिमों के दावे और सरकार की योजनाओं की पहुंच संभव नहीं हो पा रही है या फिर यूं कहे कि अधिकारियों की लापरवाही अपने चरम पर है. इधर, गांव की सीमा में प्रवेश करते ही बैजनाथ की पत्नी इस समय भी ठंड में सड़क के किनारे बनी अस्थायी आशियाना में दुबकी बैठी है कि उसका सहारा कौन बनेगा. हालांकि समाजसेवी अम्बरीश यादव ने उससे मुलाकात कर उसको हर सभंव मदद का भरोसा दिलाया है.
छितहरी गांव के रहने वाले कुछ युवाओं ने बताया है कि फूलमती अपने पति बैजनाथ के साथ कई वर्षों से इस गांव में रहती है. इनके पति की तबीयत खराब होने पर इनकी जमीन को बिक गई. फूलमती ने सोचा था कि अपने पति के सहारे जीवन गुजार लेंगी. इसी बीच रसोईया की गांव में नौकरी कर ली. लेकिन गांव के जालिमों ने फूलमती को प्राथमिक विद्यालय की रसोईया की नौकरी से हटवा दिया.
बरसात और बाढ़ के दिनों में सांप-बिच्छू के खतरे से बचने के लिए फूलमती को आवास दिलाने के लिए युवाओं ने ब्रह्मपुर ब्लॉक के अधिकारी से गुहार लगाई, लेकिन लापरवाह अधिकारी ने उनकी एक न सुनी. अब फूलमती पति बैजनाथ गौड़ की मौत के बाद बेसहारा हो गई है.
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