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गर्मी के साइड इफेक्टः गोरखपुर जू में जानवर खा रहे विटामिन और इलेक्ट्रोलाइट

गर्मी बढ़ने से वन्यजीवों के खानपान में बदलाव किया जा रहा है. वन्यजीवों की खुराक की मात्रा उनके अनुसार कम और ज्यादा की गई है. गोरखपुर के अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर में वन्यजीवों के खाने में पानी वाले फलों की मात्रा बढ़ाई गई है.

अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर
अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर
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Published : Apr 4, 2023, 12:24 PM IST

Updated : Apr 4, 2023, 5:35 PM IST

गर्मी से अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर के वन्यजीव परेशान

गोरखपुर: मौसम में बदलाव का असर जितना इंसान पर पड़ रहा है, उससे कम वन्य जीवों पर भी नहीं है. यही वजह है कि गोरखपुर के अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर के वन्यजीवों के खानपान में परिवर्तन करना पड़ा है. बाघ और शेर की खुराक कम हो गई, जबकि मगरमच्छ और घड़ियाल की खुराक की मात्रा बढ़ गई है. वन्यजीवों के खाने में पानी वाले फलों की मात्रा बढ़ाई गई है. तेजी से बढ़ रही गर्मी को देखते हुए प्राणि उद्यान के वन्यजीवों के खानपान को लेकर सतर्कता बरती जा रही है. गर्मी के कारण बाघिन की हालत खराब हो गई है. उसका डॉक्टर इलाज कर रहे हैं.

चिड़ियाघर में ठंडे खून वाले सरीसृप वर्ग के वन्यजीवों जैसे घड़ियाल, मगरमच्छ, अजगर की भी खुराक बढ़ा दी गई है. सभी वन्यजीवों के भोजन में इलेक्ट्रोलाइट जोड़ दिया गया है. साथ ही विटामिन ए, डी-3, विटामिन ई, बी-कांप्लेक्स जैसी एंट्री स्ट्रेस दवाएं भी भोजन में दी जा रही हैं. चिड़ियाघर प्रशासन के मुताबिक, शेर और बाघ को 14 की जगह अब 10 किलोग्राम तक मांस ही दिया जा रहा है. इसी तरह तेंदुए और लकड़बग्घा जैसे छोटे मांसाहारी वन्यजीवों के भोजन की मात्रा पांच किलोग्राम से घटाकर तीन से चार किलो तक कर दी गई है. दरियाई घोड़ा और गैंडा को हरा चारा के साथ गुड़ दिया जा रहा है.

घड़ियाल, मगरमच्छ, अजगर के साथ सभी सांपों को ठंड में 20 दिन से एक महीने में एक बार भोजन (चूहा, खरगोश आदि) दिया जाता था. अब उन्हें यह भोजन सप्ताह में ही दिया जा रहा है. चिड़ियाघर के डॉक्टर योगेश सिंह के मुताबिक, इन वन्यजीवों को गर्मी में अधिक भूख लगती है. क्योंकि, ठंडे खून वाले वन्यजीव होने के चलते गर्मी में इनकी गतिविधियां बढ़ जाती हैं. ठंड में गतिविधि कम होने के चलते उन्हें भूख नहीं लगती. यही वजह है गर्मी बढ़ने के चलते चिड़ियाघर प्रशासन ने प्राणि उद्यान के खुलने और बंद होने के समय में परिवर्तन कर दिया है. अब यह सुबह 9:30 बजे खुलेगा और शाम पांच बजे तक टिकटों की ब्रिक्री जारी रहेगी. दर्शक शाम छह बजे तक प्राणि उद्यान में वन्यजीवों को देख सकेंगे.

डॉक्टर योगेश सिंह ने बताया है कि वन्यजीवों की प्रकृति के अनुसार उनके लिए गर्मी और जाड़े में अलग-अलग भोजन की मात्रा निर्धारित है. गर्मी में मांसाहारी वन्यजीवों का भोजन कम दिया जाता है, जबकि सरिसृप वर्ग के वन्यजीवों के भोजन की मात्रा बढ़ा दी जाती है. इसे ध्यान में रखकर ही प्राणि उद्यान के वन्यजीवों के भोजन की मात्रा में परिवर्तन सुनिश्चित किया गया है. शाकाहारी जानवरों के भोजन में पानी वाले फलों और सब्जियों को शामिल किया गया है.

गोरखपुर चिड़ियाघर आसपास के जिलों के लोगों का जहां विशेष पर्यटन केंद्र बना हुआ है, वहीं स्कूली बच्चों के लिए यह सबसे बड़ा पिकनिक स्पॉट हो गया है. लगभग हर स्कूल अपने बच्चों का एक टूर यहां जरूर लेकर आता है. ऐसे में अन्य दर्शकों के साथ स्कूली बच्चों को यहां आकर निराश न होना पड़े और जो जानवर और पक्षी यहां मौजूद हैं, उन्हें देखने का वह लोग लुत्फ उठा सकें. प्राणी उद्यान प्रबंधन उसके लिए पूरी मेहनत से जुटा रहता है. जानवरों को खानपान की सुविधा देने के साथ जो भी जरूरी दवाइयां, विटामिन हैं देने के बाद उन्हें उनके बाड़े में समय के साथ छोड़ दिया जाता है, जिससे आने वाले पर्यटकों को इन जानवरों को देखने समझने का आनंद मिल सके. यही वजह है कि मौसम को देखते हुए यह जानवर बीमार न पड़ने पाएं, इसलिए खानपान के सही तरीकों को अपनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: Aligarh News : जिले में बकरा-बकरियों की संख्या कम होने की वजह तलाशेगा AMU

गर्मी से अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर के वन्यजीव परेशान

गोरखपुर: मौसम में बदलाव का असर जितना इंसान पर पड़ रहा है, उससे कम वन्य जीवों पर भी नहीं है. यही वजह है कि गोरखपुर के अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर के वन्यजीवों के खानपान में परिवर्तन करना पड़ा है. बाघ और शेर की खुराक कम हो गई, जबकि मगरमच्छ और घड़ियाल की खुराक की मात्रा बढ़ गई है. वन्यजीवों के खाने में पानी वाले फलों की मात्रा बढ़ाई गई है. तेजी से बढ़ रही गर्मी को देखते हुए प्राणि उद्यान के वन्यजीवों के खानपान को लेकर सतर्कता बरती जा रही है. गर्मी के कारण बाघिन की हालत खराब हो गई है. उसका डॉक्टर इलाज कर रहे हैं.

चिड़ियाघर में ठंडे खून वाले सरीसृप वर्ग के वन्यजीवों जैसे घड़ियाल, मगरमच्छ, अजगर की भी खुराक बढ़ा दी गई है. सभी वन्यजीवों के भोजन में इलेक्ट्रोलाइट जोड़ दिया गया है. साथ ही विटामिन ए, डी-3, विटामिन ई, बी-कांप्लेक्स जैसी एंट्री स्ट्रेस दवाएं भी भोजन में दी जा रही हैं. चिड़ियाघर प्रशासन के मुताबिक, शेर और बाघ को 14 की जगह अब 10 किलोग्राम तक मांस ही दिया जा रहा है. इसी तरह तेंदुए और लकड़बग्घा जैसे छोटे मांसाहारी वन्यजीवों के भोजन की मात्रा पांच किलोग्राम से घटाकर तीन से चार किलो तक कर दी गई है. दरियाई घोड़ा और गैंडा को हरा चारा के साथ गुड़ दिया जा रहा है.

घड़ियाल, मगरमच्छ, अजगर के साथ सभी सांपों को ठंड में 20 दिन से एक महीने में एक बार भोजन (चूहा, खरगोश आदि) दिया जाता था. अब उन्हें यह भोजन सप्ताह में ही दिया जा रहा है. चिड़ियाघर के डॉक्टर योगेश सिंह के मुताबिक, इन वन्यजीवों को गर्मी में अधिक भूख लगती है. क्योंकि, ठंडे खून वाले वन्यजीव होने के चलते गर्मी में इनकी गतिविधियां बढ़ जाती हैं. ठंड में गतिविधि कम होने के चलते उन्हें भूख नहीं लगती. यही वजह है गर्मी बढ़ने के चलते चिड़ियाघर प्रशासन ने प्राणि उद्यान के खुलने और बंद होने के समय में परिवर्तन कर दिया है. अब यह सुबह 9:30 बजे खुलेगा और शाम पांच बजे तक टिकटों की ब्रिक्री जारी रहेगी. दर्शक शाम छह बजे तक प्राणि उद्यान में वन्यजीवों को देख सकेंगे.

डॉक्टर योगेश सिंह ने बताया है कि वन्यजीवों की प्रकृति के अनुसार उनके लिए गर्मी और जाड़े में अलग-अलग भोजन की मात्रा निर्धारित है. गर्मी में मांसाहारी वन्यजीवों का भोजन कम दिया जाता है, जबकि सरिसृप वर्ग के वन्यजीवों के भोजन की मात्रा बढ़ा दी जाती है. इसे ध्यान में रखकर ही प्राणि उद्यान के वन्यजीवों के भोजन की मात्रा में परिवर्तन सुनिश्चित किया गया है. शाकाहारी जानवरों के भोजन में पानी वाले फलों और सब्जियों को शामिल किया गया है.

गोरखपुर चिड़ियाघर आसपास के जिलों के लोगों का जहां विशेष पर्यटन केंद्र बना हुआ है, वहीं स्कूली बच्चों के लिए यह सबसे बड़ा पिकनिक स्पॉट हो गया है. लगभग हर स्कूल अपने बच्चों का एक टूर यहां जरूर लेकर आता है. ऐसे में अन्य दर्शकों के साथ स्कूली बच्चों को यहां आकर निराश न होना पड़े और जो जानवर और पक्षी यहां मौजूद हैं, उन्हें देखने का वह लोग लुत्फ उठा सकें. प्राणी उद्यान प्रबंधन उसके लिए पूरी मेहनत से जुटा रहता है. जानवरों को खानपान की सुविधा देने के साथ जो भी जरूरी दवाइयां, विटामिन हैं देने के बाद उन्हें उनके बाड़े में समय के साथ छोड़ दिया जाता है, जिससे आने वाले पर्यटकों को इन जानवरों को देखने समझने का आनंद मिल सके. यही वजह है कि मौसम को देखते हुए यह जानवर बीमार न पड़ने पाएं, इसलिए खानपान के सही तरीकों को अपनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: Aligarh News : जिले में बकरा-बकरियों की संख्या कम होने की वजह तलाशेगा AMU

Last Updated : Apr 4, 2023, 5:35 PM IST
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