गोरखपुर : माना जाता है कि 14 जून तक बारिश शुरू हो जाती है. मानसून दस्तक दे देता है. , लेकिन इस वर्ष अभी तक मानसून नहीं आया है. जून का महीना भी बीतने को है. गोरखपुर क्षेत्र बारिश से पूरी तरह वंचित है. इसका बड़ा असर किसानों और खेती पर पड़ रहा है. भगवान इंद्र की कृपा भी नहीं हो रही है. खेतों में धान की फसल की रोपाई न होने से किसान परेशान हैं. इस बीच सिंचाई विभाग की मनमानी भी किसानों पर भारी पड़ रही है. नहरों में एक बूंद पानी नहीं है. टेल तक पानी पहुंचाने के सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. वहीं, नहरें पूरी तरह घास और गंदगी से पटी पड़ी हैं. सिंचाई विभाग इस व्यवस्था को लेकर तनिक भी गंभीर और संजीदा नहीं है.
धान रोपने के लिए बारिश का इंतजार : किसान धान का बीज पानी से भरे खेत में रोपने के लिए पानी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पानी मयस्सर नहीं हो रहा है. सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता रजनीकांत से इस संबंध में जब बात की गई, तो उन्होंने बताया कि नहरों तक पानी पहुंचाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है. लेकिन, कुछ जगहों पर पानी इसलिए नहीं पहुंच रहा है, क्योंकि बीच में किसान नहर को काटकर अपने खेतों की पटाई करने में जुटे हैं.
नहरों में नहीं पानी : इस संबंध में प्रदेश के सिंचाई मंत्री सूर्य प्रताप शाही का कहना है कि कुछ जिलों में नहरों में पानी नहीं पहुंचने की सूचना है, लेकिन बहुत जल्द यहां पानी पहुंच जाएगा. अब मानसून भी दस्तक दे चुका है. गोरखपुर जिले का दक्षिणांचल हिस्सा, जिसे बड़हलगंज, गोला क्षेत्र कहा जाता है. यहां पर खेतों में सिंचाई का प्रमुख साधन नहरें और माइनर हैं. यहां कुछ किसान अपनी बोरिंग से ही सिंचाई करते हैं. लेकिन प्रमुख साधन नहर ही हैं, इसमें मौजूदा समय में भी पानी नहीं है.
गंदगी से अटी पड़ीं नहरें: बड़हलगंज क्षेत्र के तीहामुहम्दपुर, बभनवली, वैदवली, पैकवली, धौबवली में कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है. नहर पूरी तरह से घास और गंदगी से पटी पड़ी है. लगता ही नहीं कि सिंचाई विभाग ने कोई तैयारी की हो. कागजों में भले ही नहर साफ कर दी गई हो, लेकिन यहां तो टेल तक पानी पहुंचा ही नहीं है. सफाई कही भी दिखाई नहीं देती है.
भगवान इंद्र की कृपा की प्रतीक्षा: किसान सिर व माथे पर हाथ रखकर भगवान इंद्र की कृपा की प्रतीक्षा कर रहा है. लेकिन फटे और सूखे हुए खेत देखकर किसान का कलेजा फटा जा रहा है. धान की रोपाई के लिए खेत बिना पानी के तैयार नहीं हो पा रहा है. किसानों का कहना है कि महंगाई में कितना डीजल जलाकर पंपिंग सेट चलाएं. पानी कब आएगा नहर में उसका कोई पता नहीं है. विभागीय सूत्रों की मानें तो पहले समाजवादी सरकार तक प्रदेश में नहरों की दो बार सफाई होती थी. जब से भाजपा की सरकार बनी है सफाई सिर्फ एक बार होती है.
दक्षिणांचल में सर्वाधिक लंबी नहर: सरयू नहर परियोजना के तहत गोरखपुर में 200 किलोमीटर से अधिक लंबाई की मुख्य नहर एवं माइनर शाखाएं हैं. इनसे जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल सिंचित होता है. दक्षिणांचल में सर्वाधिक लंबी नहर है. यह नहर बढ़या बुजुर्ग, खोपापार, सुल्तानपुर, दुबौली आदि क्षेत्रों में किसानों के लिए वरदान है. गोला तहसील में सात हजार जबकि बांसगांव में छह हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल इससे सिंचित होता है. सहजनवां क्षेत्र में यह नहर 16 किलोमीटर से अधिक लंबाई में फैली है. इस क्षेत्र में करीब पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल सिंचित होता है. कैंपियरगंज क्षेत्र में इस नहर की शाखा करीब 62 किलोमीटर में फैली है. इससे क्षेत्र के बसंतपुर, शिवपुर, धर्मपुर, शिवलहिया,नेतवर, बैजनाथ गांव सहित पीपीगंज, जंगल कौड़़िया, मानीराम तक के क्षेत्र सिंचित होते हैं. इस क्षेत्र में आठ हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई हो सकेगी.
यह भी पढे़ं: बेमौसम आंधी-बरसात से आम की फसल चौपट, मेंथा और गन्ना को होगा लाभ