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राजेश कोटेजा बोले, छह साल में छह गुना बढ़ी आयुष मेडिसिन इंडस्ट्री

गोरखपुर में केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य डॉक्टर राजेश कोटेजा (Dr Rajesh Koteja) ने कहा कि देश में आयुष को महत्व दिए जाने से इस पर आधारित मेडिसिन इंडस्ट्री छह गुना रफ्तार से आगे बढ़ी है.

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महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस 28 अगस्त के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय व्याख्यानमाला में पद्मश्री वैद्य डॉक्टर राजेश कोटेजा ने कहा कि मेडिसिन इंडस्ट्री छह गुना रफ्तार से आगे बढ़ी है
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Published : Aug 24, 2022, 10:11 PM IST

गोरखपुरः केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य डॉक्टर राजेश कोटेजा ने बताया कि जनपद में 2014 के बाद भारत सरकार द्वारा आयुष को महत्व दिए जाने से इस पर आधारित मेडिसिन इंडस्ट्री छह गुना रफ्तार से आगे बढ़ी है. एक उच्च स्तरीय अध्ययन में निष्कर्ष निकला था कि देश में 2014 में आयुष मेडिसिन इंडस्ट्री (AYUSH medicine industry) का आकार तीन बिलियन डॉलर का था. जो 2020 में दोबारा हुए अध्ययन में यह आंकड़ा 18.1 बिलियन डॉलर पहुंच चुका है. छह साल में छह गुना विकास दर्शाने वाला यह आंकड़ा देश में आयुष को बढ़ावा देने के कदमों की एक झलक दिखा रहा है.

आयुष मंत्रालय के सचिव ने बुधवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस 28 अगस्त के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय व्याख्यानमाला के तीसरे दिन 'आजाद भारत में आयुर्वेद 2014 के पूर्व एवं इसके बाद' विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे. वैद्य ने कहा कि कोरोना संकटकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूरदर्शी सोच से आयुष विभाग (Department of AYUSH) को इस संकट को अवसर के रूप में लेने की नसीहत दी थी. इसके बाद टास्क फोर्स बनाकर लोगों को कोरोना से मुक्त कराने का अभियान शुरू कर दिया गया. उस समय आयुष को लेकर काफी दुष्प्रचार भी किया गया था. लेकिन लोगों ने भ्रामक प्रचार को दरकिनार करते हुए इस पर पूरा भरोसा रखा. कोरोना के दौर में लोगों को रोग मुक्त व निरोग रखने में गिलोय, अश्वगंधा आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

पद्मश्री वैद्य (Padmashree Vaidya) ने कहा कि आयुष पर लोगों के भरोसे को इससे समझा जा सकता है कि करीब दो हजार करोड़ रुपये का कारोबार सिर्फ आयुष काढ़ा का हुआ था. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के समय हुए एक सर्वे में 89.9 प्रतिशत लोग आयुष दवाओं का प्रयोग करते पाए गए थे. कोरोना के दौर में आयुष विभाग की तरफ से किए गए कई अध्ययनों के निष्कर्ष को साझा करते हुए बताया कि आयुष की सफलता पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी मुरीद हो गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) गुजरात के जामनगर में अपना एक सेंटर भी स्थापित कर रहा है. इसमें आयुष की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है. आयुष शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी सुधार हुए हैं. इससे आने वाले समय में आयुर्वेद व आयुष के क्षेत्र में सुपर स्पेशलिटी कोर्सेज की भी शुरुआत की जाएगी.


इस व्याख्यान के दूसरे विशिष्ट वक्ता केजीएमयू लखनऊ (KGMU Lucknow) के पूर्व कुलपति प्रो. एलएमबी भट्ट (Vice Chancellor Prof LMB Bhatt) ने कहा कि आयुर्वेद का प्रादुर्भाव वैदिक काल के अथर्ववेद में हुआ था. आयुर्वेद बीमारियों से रोकथाम एवं बचाव के साथ ही उनके उपचार की एक सुव्यवस्थित प्रणाली है. यह आयुर्वेद की महत्ता ही है कि इसे हमारी ज्ञान परम्परा और संस्कृति में पंचम वेद के रूप में मान्यता दी गई. प्रो. भट्ट ने कहा कि देश की आजादी के बाद से वर्ष 2014 तक समय-समय पर आयुर्वेद के विकास के लिए कदम उठाए गए. लेकिन अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ तुलनात्मक रूप से देखें तो कहीं न कहीं आयुर्वेद नीति नियंताओं के सौतेले व्यवहार का शिकार रहा है.

यह भी पढ़ें- गोरखपुर में विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार, कुशीनगर रोड पर बसेगा नया शहर

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में तथा 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद एवं आयुष के विकास व नवाचार की एक आंधी देखने को मिली. जिसके बाद देश में आयुर्वेद के विकास के लिए 2014 में नेशनल आयुष मिशन (National Ayush Mission) की स्थापना कर दी गई. इसके तहत 31 मार्च 2020 तक जिला अस्पताल स्तर पर 497 पीएचसी (PHC) स्तर पर 7779 तथा सब सेंटर स्तर पर 3922 आयुष केंद्रों की स्थापना की गई है. प्रो भट्ट ने बताया कि मिशन कार्यों के लिए वर्ष 2022-23 में सरकार ने बजट को बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये कर दिया है.

यह भी पढ़ें- UPSC की परीक्षाओं के लिए आवेदन जमा करने की प्रक्रिया हुई आसान, OTR Launch

गोरखपुरः केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य डॉक्टर राजेश कोटेजा ने बताया कि जनपद में 2014 के बाद भारत सरकार द्वारा आयुष को महत्व दिए जाने से इस पर आधारित मेडिसिन इंडस्ट्री छह गुना रफ्तार से आगे बढ़ी है. एक उच्च स्तरीय अध्ययन में निष्कर्ष निकला था कि देश में 2014 में आयुष मेडिसिन इंडस्ट्री (AYUSH medicine industry) का आकार तीन बिलियन डॉलर का था. जो 2020 में दोबारा हुए अध्ययन में यह आंकड़ा 18.1 बिलियन डॉलर पहुंच चुका है. छह साल में छह गुना विकास दर्शाने वाला यह आंकड़ा देश में आयुष को बढ़ावा देने के कदमों की एक झलक दिखा रहा है.

आयुष मंत्रालय के सचिव ने बुधवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस 28 अगस्त के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय व्याख्यानमाला के तीसरे दिन 'आजाद भारत में आयुर्वेद 2014 के पूर्व एवं इसके बाद' विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे. वैद्य ने कहा कि कोरोना संकटकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूरदर्शी सोच से आयुष विभाग (Department of AYUSH) को इस संकट को अवसर के रूप में लेने की नसीहत दी थी. इसके बाद टास्क फोर्स बनाकर लोगों को कोरोना से मुक्त कराने का अभियान शुरू कर दिया गया. उस समय आयुष को लेकर काफी दुष्प्रचार भी किया गया था. लेकिन लोगों ने भ्रामक प्रचार को दरकिनार करते हुए इस पर पूरा भरोसा रखा. कोरोना के दौर में लोगों को रोग मुक्त व निरोग रखने में गिलोय, अश्वगंधा आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

पद्मश्री वैद्य (Padmashree Vaidya) ने कहा कि आयुष पर लोगों के भरोसे को इससे समझा जा सकता है कि करीब दो हजार करोड़ रुपये का कारोबार सिर्फ आयुष काढ़ा का हुआ था. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के समय हुए एक सर्वे में 89.9 प्रतिशत लोग आयुष दवाओं का प्रयोग करते पाए गए थे. कोरोना के दौर में आयुष विभाग की तरफ से किए गए कई अध्ययनों के निष्कर्ष को साझा करते हुए बताया कि आयुष की सफलता पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी मुरीद हो गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) गुजरात के जामनगर में अपना एक सेंटर भी स्थापित कर रहा है. इसमें आयुष की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है. आयुष शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी सुधार हुए हैं. इससे आने वाले समय में आयुर्वेद व आयुष के क्षेत्र में सुपर स्पेशलिटी कोर्सेज की भी शुरुआत की जाएगी.


इस व्याख्यान के दूसरे विशिष्ट वक्ता केजीएमयू लखनऊ (KGMU Lucknow) के पूर्व कुलपति प्रो. एलएमबी भट्ट (Vice Chancellor Prof LMB Bhatt) ने कहा कि आयुर्वेद का प्रादुर्भाव वैदिक काल के अथर्ववेद में हुआ था. आयुर्वेद बीमारियों से रोकथाम एवं बचाव के साथ ही उनके उपचार की एक सुव्यवस्थित प्रणाली है. यह आयुर्वेद की महत्ता ही है कि इसे हमारी ज्ञान परम्परा और संस्कृति में पंचम वेद के रूप में मान्यता दी गई. प्रो. भट्ट ने कहा कि देश की आजादी के बाद से वर्ष 2014 तक समय-समय पर आयुर्वेद के विकास के लिए कदम उठाए गए. लेकिन अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ तुलनात्मक रूप से देखें तो कहीं न कहीं आयुर्वेद नीति नियंताओं के सौतेले व्यवहार का शिकार रहा है.

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उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में तथा 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद एवं आयुष के विकास व नवाचार की एक आंधी देखने को मिली. जिसके बाद देश में आयुर्वेद के विकास के लिए 2014 में नेशनल आयुष मिशन (National Ayush Mission) की स्थापना कर दी गई. इसके तहत 31 मार्च 2020 तक जिला अस्पताल स्तर पर 497 पीएचसी (PHC) स्तर पर 7779 तथा सब सेंटर स्तर पर 3922 आयुष केंद्रों की स्थापना की गई है. प्रो भट्ट ने बताया कि मिशन कार्यों के लिए वर्ष 2022-23 में सरकार ने बजट को बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये कर दिया है.

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