गोरखपुर: भारतीय किसान यूनियन में किसान आंदोलन के बाद राकेश टिकैत का विरोधी गुट अपने संगठन को मजबूती देने और राकेश टिकैत को किसान विरोधी बताने मे जुटा हुआ है. टिकैत पर सरकार के खिलाफ विरोधी राजनीतिक दलों से मिले होने का आरोप लगाया है. गोरखपुर पहुंचे भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत राजनीति कर रहे हैं. उनका किसान और आंदोलन से कुछ भी लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 33 साल से काम करने वाले कार्यकर्ता नहीं बल्कि परिवार के लोग गुप्त तरीके से उनके संगठन में शामिल हुए और वह लोग छूट गये.
राकेश के 13 महीने के किसान आंदोलन में किसानों को कुछ नहीं मिला. चुनाव के दौरान राकेश विपक्षी दल का चेहरा बनकर घूम रहे थे. घूम-घूम कर एक पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे. जबकि सभी राजनीतिक बयान महेंद्र सिंह टिकैत के सिद्धांतों के विपरीत था. जिसे दुखी होकर राजेश चौहान के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन और अराजनैतिक का गठन 15 मई को हुआ.
धर्मेंद्र मलिक ने राकेश टिकैत पर लगाए आरोप राष्ट्रीय प्रवक्ता मलिक के साथ संगठन के प्रदेश अध्यक्ष हरिनाथ वर्मा, दिगंबर सिंह, मनोज नागर समेत दर्जनभर नेता गोरखपुर आये. अपने संगठन को मजबूती देने के लिये किसान साथियों और पदाधिकारियों से मिले. इस दौरान उन्होंने कहा कि, उनका संगठन नया भले है. लेकिन यह किसानों की आवाज बुलंद करेगा. किसानों की समस्याओं को सरकार और अधिकारियों को बताकर हल कराने का प्रयास करेगा. सुनवाई नहीं होने पर ही आंदोलन प्रदर्शन होगा. उन्होंने कहा कि संगठन की योजना है कि भाकियू के पुराने साथियों को अपने साथ जोडा जाए. इसके लिये संपर्क अभियान चलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि बाबा टिकैत की जन भावना से जुड़े लोग उनके संगठन का हिस्सा बन रहे हैं.
इसे भी पढ़े-सरकार मेरी हत्या कराना चाहती है: राकेश टिकैतधर्मेंद्र मलिक ने कहा कि, किसानों के हितों की रक्षा, संवाद और निष्पक्ष आंदोलन से ही की जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि उनका संगठन केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के प्रति किसानों को जागरुक करने के साथ सरकार पर भी दबाव बनाएगा और सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों को दिलाएगा. किसान अपने हक के प्रति जागरुक होंगे तो खुद ही योजनाओं का लाभ हानि समझ लेंगे. इसके लिए किसानों को भी आगे आना होगा. खेती अच्छे से करने के लिए सरकार को किसानों को 25 हजार सालाना देना चाहिए ₹6 हजार किसान के लिये कम है. किसान सम्मान निधि की वसूली रोकने और पात्रों को आगे से बचत करने की भी उन्होंने बात कही.
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