गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख एजेंडे में गोवंश का संरक्षण और पालन शामिल है. अभी हाल में ही उन्होंने बेसहारा पशुओं को जन सहयोग लेकर भी पोषण करने की बात कही है. लेकिन, सरकार मौजूदा समय में कान्हा उपवन समेत अन्य गौशालाओं में जो पशुपालन विभाग या नगर निगम के अधीन चल रहा है, वहां पर रहने वाले पशुओं को मात्र 30 रपुये प्रति पशु के हिसाब से खुराक का पैसा दे रही है. लेकिन, यह बजट किसी भी पशु के एक दिन की खुराक के लिए काफी नहीं है. जिस तरह से आटा, दाल, साग- सब्जी के दाम में आग लगी है. वैसे ही पशुओं के चारा में भी महंगाई चरम पर है. ऐसे में 30 रुपये में पशुओं को भरपेट चारा खिला पाना संभव नहीं हो पा रहा है.
अपर निदेशक गोरखपुर मंडल गिरेंद्र सिंह कहते हैं कि जो बजट सरकार से मिलता है, उसी में हम व्यवस्था करते हैं. 30 रुपये का बजट ग्रामीण अंचल पर संचालित हो रही गौशालाओं का है. नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त से अपने स्तर से इसे बढ़ा सकते हैं. गोरखपुर में यह दर नगर निगम क्षेत्र में 38 रुपये तय की गई है. पशुओं को चारा की भरपाई में अन्य ग्राम पंचायत का बजट भी उपयोग करने का प्रावधान किया गया है, जिससे बेजुबानों को जीवन के लिए खुराक की कमी न होने पाए.
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लेकिन जो अग्रणी पशुपालक हैं, वह किसी भी सूरत में यह मानने को तैयार नहीं कि 30 रुपये में एक पशु का चारा एक दिन के लिए हो जाएगा. पशुपालकों का कहना है कि सरकार की नीयत गो संरक्षण की हो तो उसके लिए बजट भी बड़ा होना चाहिए, नहीं तो गो संरक्षण की बात बेमानी लगती है. पशुपालक आशुतोष कुमार और गांगुली उपाध्याय ने कहा कि एक किलो भूसे की कीमत 12 से 15 रुपये है. पशु आहार भी 25 से 30 रुपये किलो बिक रहा है. हरा चारा अपने आप मंहगा है. एक गाय को प्रतिदिन 4 से 5 किलो भूसा लगता है और पशु आहार दो से तीन किलो खाती है. हरा चारा और खरी भी महंगा है. ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि एक गाय के पालन पर प्रतिदिन का कितना रुपये खर्च आ रहा होगा. 30 में गोवंशियों का पेट नहीं भरेगा. आशुतोष कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गोपालक हैं. उन्हें और उनके पशुपालकों को पता होगा की एक गाय पर कितना खर्चा आता है. यह जरूर है कि पेट की कटौती से पशु बीमार और मौत के मुंह में जाने लायक हो जाएंगे.
मुख्यमंत्री की प्रेरणा से सरकारी गौशाला से जो गरीब पशुपालक गायों को ले गए हैं, उन्हें इनका पालन करना कठिन हो गया है. कम खान पान की वजह से यह पशु इतना दूध भी नहीं देते कि पशुपालक की आमदनी बढ़ सके. यही कारण है कि 4 साल में गोरखपुर में मात्र 74 गरीब पशुपालकों ने 330 गोवंशीय पालने में दिलचस्पी दिखाई है. वर्ष 2019 में शुरू हुई मुख्यमंत्री सहभागिता योजना में गरीब पशुपालकों को न्यूनतम एक और अधिकतम चार गोवंश दिए जाने की व्यवस्था है. वर्ष 2022-23 में किसी गरीब पशुपालक ने पालने के लिए गोवंश नहीं लिया. 92 जरूरतमंद पशुपालकों के यहां वर्तमान में कुल 154 गोवंश पाल रहे हैं. इन्हें पैसे का भुगतान हर महीने जांच के बाद किया जाता है. जिले में कुल 10 गो आश्रय स्थल अस्थाई हैं, जबकि तीन कान्हा गौशाला हैं. दो वृहद गौशाला आश्रय स्थल भी है. इनमें बेसहारा और निराश्रित गोवंशियों की देखभाल की जा रही है, जिनकी कुल संख्या 4017 है.
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