गोरखपुरः जिले की सदर विधानसभा में यूं तो कई जनसमस्याएं और विकास के मुद्दे हैं. लेकिन ये चुनाव में कभी भी हावी नहीं होतीं. ये सीट बीजेपी की गढ़ मानी जाती है. जिसकी एक बड़ी वजह सीएम योगी आदित्यनाथ का यहां प्रभावशाली व्यक्तित्व है. मौजूदा साल में शहर में जल जमाव और निकासी की भयंकर समस्या झेला है. जाम, यातायात, सड़कों का चौड़ीकरण भी मुद्दा है.
बीजेपी साल 1989 से 1997 तक के विधानसभा चुनाव में इस सीट को लगातार जीतती आई है. 2002 के चुनाव में इस सीट से हिंदू महासभा के प्रत्याशी डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल जीतने में कामयाब हुए थे. जिन्हें योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी प्रत्याशी शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ खुलकर लड़ाया था. हालांकि आगे चलकर डॉक्टर राधामोहन बीजेपी के साथ आ गए थे. साल 2007,2012 और 2017 की बात करें तो वे ही बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2017 में इन्होंने सपा-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी राणा राहुल सिंह को पराजित किया था.
सदर विधानसभा के तहत गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर एम्स, चिड़ियाघर, वॉटर स्पोर्ट कॉम्पलेक्स जैसी बड़ी संस्थाएं काम कर रही हैं. विधायक की निजी उपलब्धियों में देखा जाए तो कुछ खास नहीं जोड़ा जा सकता है. एम्स की स्थापना, इंसेफलाइटिस उन्मूलन को लेकर सालों से चली आ रही मांग का परिणाम है. जिसका क्रेडिट सीएम योगी आदित्यनाथ को जाता है. एम्स की आधारशिला पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में रखा था. ये अब बनकर तैयार हो गया है, जिसका उद्घाटन एक बार फिर मोदी अक्टूबर 2022 में करने जा रहे हैं. खाद कारखाना भी गोरखपुर की उपलब्धि है, जो सदर और पिपराइच दोनों विधानसभा क्षेत्र में आता है.
सदर विधानसभा में मौजूदा समय में 4,41,755 कुल मतदाता हैं. जिसमें पुरुष मतदाता 2,38,632 और महिला मतदाता 2,03,123 हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां वोटरों की संख्या 4,28,086 थी. यह विधानसभा ब्राह्मण और कायस्थ जाति की बहुलता वाली मानी जाती है. इसके बाद बैकवर्ड और मुस्लिम समाज के मतदाता ज्यादा है. ब्राह्मण और कायस्थ करीब-करीब 30-30 प्रतिशत हैं. जबकि मुस्लिम और बैकवर्ड 14 प्रतिशत हैं. दलित और अन्य समाज कुल मिलाकर 12 प्रतिशत हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में यह सीट बेहद खास हो सकती है. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अगर उनकी पार्टी चुनाव लड़ाती है, तो वह गोरखपुर सदर से भी चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में वर्तमान विधायक के लिए पार्टी क्या रणनीति बनाएगी यह देखने लायक होगा. वर्तमान नगर विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल की छवि सरल, सहज और ईमानदार नेता की है. कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है. इसके अलावा वह जल निकासी और अन्य मुद्दों को लेकर अपनी ही सरकार में विधानसभा से लेकर सड़क तक आवाज बुलंद करते रहे हैं.
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डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल का जन्म गोरखपुर में हुआ है. उन्होंने बीएचयू से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री हासिल की है. 5 साल तक BHU में असिस्टेंट प्रोफेसर भी थे. शहर के यह ऐसे बाल रोग विशेषज्ञ हैं. जो अपने पर्चे पर दवाओं का नाम हिंदी में लिखते हैं. लगातार चार बार जीत के बाद बीजेपी की 2017 में बनी सरकार में उन्हें मंत्री पद पाने की उम्मीद थी, लेकिन उनकी उम्मीद टूट गई. बच्चों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर फिलहाल अपनी क्लिनिक तो नहीं चलाते, लेकिन जब वक्त मिलता है तो वह इलाज में मदद जरूर करते हैं.
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