ETV Bharat / state

गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट, चीनी मिल और बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या

गोरखपुर सीएम योगी का क्षेत्र है. यहां भारतीय जनता पार्टी का डंका बजता है. 9 विधानसभा सीटों में आठ पर बीजेपी का कब्जा है.

चिल्लूपार विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट
चिल्लूपार विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट
author img

By

Published : Oct 4, 2021, 7:35 PM IST

गोरखपुरः जिले के चिल्लूपार विधानसभा सीट की बात की जाए तो 2017 में ये बीएसपी की झोली में थी और 2012, 2013 में भी उसी के पास थी. अब ये बीएसपी की झोली में है. हालांकि 2007 और 2012 के बीएसपी प्रत्याशी 2017 के चुनाव में बीजेपी के कमल पर सवार होकर जीतने की जुगत लगाए तो थे, लेकिन यहां से पूर्व विधायक बाहुबली नेता के रूप में पहचान रखने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर त्रिपाठी बीएसपी के टिकट पर सवाल होकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब हो गए.

उन्होंने भाजपा के राजेश त्रिपाठी को 4 हजार से अधिक मतों से हराया. हालांकि राजेश त्रिपाठी बाहुबली हरिशंकर तिवारी को 2007 और 2012 के चुनाव में शिकस्त दिए थे. जिसके बाद वे मायावती की सरकार में धर्मार्थ कार्य और होम्योपैथ विभाग के मंत्री बनाए गए थे. मौजूदा समय में भी इन्हीं दोनों नेताओं के बीच में राजनीतिक लड़ाई सिमटी है. हालांकि दावेदारी के लिए कई चेहरे सामने हैं. क्षेत्र के मुद्दे की बात करें तो यहां की बंद पड़ी धुरियापार चीनी मिल फिर से शुरू नहीं हो पाई और बंधों की मरम्मत, नदी का विस्तार क्षेत्र यहां बाढ़ की स्थिति बनाती है. यह क्षेत्र बाढ़ में डूब जाता है.

बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या
बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या

पंडित हरिशंकर तिवारी का नाम अपराध की दुनिया में सिर्फ गोरखपुर ही नहीं 80 के दशक में अमेरिका तक गूंजता था. वाशिंगटन के साथ गोरखपुर के क्राइम रेट की तुलना होती थी. पहले निर्दलीय फिर कांग्रेस के टिकट पर 7 बार विधानसभा का चुनाव जीतकर हरिशंकर तिवारी कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मायावती, राम नरेश गुप्ता, जगदंबिका पाल(एक दिन के शपथ वाले) जैसे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे. लेकिन क्षेत्र में समाज सेवा की लिए समर्पित राजेश तिवारी से वह दो चुनाव लगातार हारे. लेकिन अंत में इनके पुत्र विनय शंकर तिवारी 2017 के चुनाव में अपने पिता के हार का बदला लेते हुए राजेश त्रिपाठी को हराया. विनय शंकर तिवारी ने कई वादे किए थे. जिसमें से कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे हैं. बड़हलगंज टाउन एरिया का सीमा विस्तार, अंबेडकर पार्क का सुंदरीकरण, धुरियापार चीनी मिल को शुरू कराने और जगदीशपुर-सरैया मार्ग बनवाने का वादा उनका पूरा नहीं हो सका है.

बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या
बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या

विधायक निधि के तौर पर मिले साढ़े सात करोड़ के बजट को उन्होंने अधिकांश सड़कों के निर्माण पर खर्च किया है. इसके अलावा डेहरीभार में पारेषण और रतनपुरा में विद्युत सबस्टेशन शुरू कराने का काम उन्होंने किया तो कोहरा बुजुर्ग में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, आर्सेनिक प्रभावित गांव में पानी की टंकी, बड़हलगंज बस स्टेशन के नवीनीकरण, गोला बस स्टेशन के लिए जमीन की स्वीकृति कराने का श्रेय उनको जाता है. जनता भी इस बात को मानती है. लेकिन गोला-बड़हलगंज,रामजानकी मार्ग, मदरिया-बेलखेड़ा मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे लोगों को परेशानी बढ़ा रहे हैं. विनय शंकर तिवारी कहते हैं कि राम जानकी मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिलाने का मामला हो या गोरखपुर- वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को रफ्तार देने का, उन्होंने व्यक्तिगत कई बार नितिन गडकरी से प्रयास करके इसको गति दिलाने का कार्य किया है. उनके जो वादे अधूरे रहे हैं, इन सब विषयों पर उन्होंने विधानसभा में सवाल उठाए हैं. संबंधित मंत्रियों से भी मुलाकात की है. जनता भी इस बात को बखूबी जानती है. लेकिन सत्ताधारी दल का विधायक न होने से शायद उनकी मांगों पर सरकार ने इसीलिए विचार नहीं किया है. लेकिन जनता के लिए जो वादे और लड़ाई शुरु किया है वह निरंतर जारी रहेगा.

चिल्लूपार विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट
चिल्लूपार विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट

क्षेत्र में मतदाताओं की बात करें तो 4,28,383 कुल मतदाता हैं. जिनमें 2,34,894 पुरुष मतदाता और 1,93,489 महिला मतदाता हैं. इस क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य माना जाता है और क्षत्रिय बिरादरी भी यहां जीत में बड़ा रोल अदा करती है. बसपा भी आज चुनाव इसलिए जीतने में सफल रही क्योंकि उसका प्रत्याशी ब्राह्मण बिरादरी से था. यहां पर बैकवर्ड बिरादरी के नेता के रूप में श्याम लाल यादव की बड़ी ख्याति रही. लेकिन वह चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुए. सपा से बसपा की तरफ भी वह जा बैठे थे और मायावती ने उन्हें बिना चुनाव जीते राज्यमंत्री का दर्जा दिया था.

इसे भी पढ़ें- लखीमपुर कांड के बीच PM मोदी का लखनऊ दौरा कल, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अफसरों के फूले हाथ-पैर

पूर्व मंत्री और 2017 के विधानसभा चुनाव में विनय तिवारी से हारे राजेश त्रिपाठी कहते हैं कि विधायक का कार्यकाल पूरी तरह असफल और जनता की उम्मीदों पर खरा न उतरने वाला है. जनता उनके पिता का अक्स उनमें देखना चाहती थी, जिसमें वह अक्षम साबित हुए हैं. उनके बयानों में विरोधाभास है. जब कोई काम उनकी सरकार में हो जाता है तो उसका श्रेय विनय शंकर ले लेते हैं और नहीं होता है तो फिर सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. उन्हें बताना चाहिए कि वह जनता की जरूरतों के लिए मुख्यमंत्री कितने बार मिले हैं और उन्हें क्या आश्वासन मिला है. आने वाले 2022 के चुनाव में जनता इसका हिसाब जरूर करेगी.

गोरखपुरः जिले के चिल्लूपार विधानसभा सीट की बात की जाए तो 2017 में ये बीएसपी की झोली में थी और 2012, 2013 में भी उसी के पास थी. अब ये बीएसपी की झोली में है. हालांकि 2007 और 2012 के बीएसपी प्रत्याशी 2017 के चुनाव में बीजेपी के कमल पर सवार होकर जीतने की जुगत लगाए तो थे, लेकिन यहां से पूर्व विधायक बाहुबली नेता के रूप में पहचान रखने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर त्रिपाठी बीएसपी के टिकट पर सवाल होकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब हो गए.

उन्होंने भाजपा के राजेश त्रिपाठी को 4 हजार से अधिक मतों से हराया. हालांकि राजेश त्रिपाठी बाहुबली हरिशंकर तिवारी को 2007 और 2012 के चुनाव में शिकस्त दिए थे. जिसके बाद वे मायावती की सरकार में धर्मार्थ कार्य और होम्योपैथ विभाग के मंत्री बनाए गए थे. मौजूदा समय में भी इन्हीं दोनों नेताओं के बीच में राजनीतिक लड़ाई सिमटी है. हालांकि दावेदारी के लिए कई चेहरे सामने हैं. क्षेत्र के मुद्दे की बात करें तो यहां की बंद पड़ी धुरियापार चीनी मिल फिर से शुरू नहीं हो पाई और बंधों की मरम्मत, नदी का विस्तार क्षेत्र यहां बाढ़ की स्थिति बनाती है. यह क्षेत्र बाढ़ में डूब जाता है.

बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या
बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या

पंडित हरिशंकर तिवारी का नाम अपराध की दुनिया में सिर्फ गोरखपुर ही नहीं 80 के दशक में अमेरिका तक गूंजता था. वाशिंगटन के साथ गोरखपुर के क्राइम रेट की तुलना होती थी. पहले निर्दलीय फिर कांग्रेस के टिकट पर 7 बार विधानसभा का चुनाव जीतकर हरिशंकर तिवारी कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मायावती, राम नरेश गुप्ता, जगदंबिका पाल(एक दिन के शपथ वाले) जैसे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे. लेकिन क्षेत्र में समाज सेवा की लिए समर्पित राजेश तिवारी से वह दो चुनाव लगातार हारे. लेकिन अंत में इनके पुत्र विनय शंकर तिवारी 2017 के चुनाव में अपने पिता के हार का बदला लेते हुए राजेश त्रिपाठी को हराया. विनय शंकर तिवारी ने कई वादे किए थे. जिसमें से कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे हैं. बड़हलगंज टाउन एरिया का सीमा विस्तार, अंबेडकर पार्क का सुंदरीकरण, धुरियापार चीनी मिल को शुरू कराने और जगदीशपुर-सरैया मार्ग बनवाने का वादा उनका पूरा नहीं हो सका है.

बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या
बाढ़ की परेशानी यहां की अहम समस्या

विधायक निधि के तौर पर मिले साढ़े सात करोड़ के बजट को उन्होंने अधिकांश सड़कों के निर्माण पर खर्च किया है. इसके अलावा डेहरीभार में पारेषण और रतनपुरा में विद्युत सबस्टेशन शुरू कराने का काम उन्होंने किया तो कोहरा बुजुर्ग में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, आर्सेनिक प्रभावित गांव में पानी की टंकी, बड़हलगंज बस स्टेशन के नवीनीकरण, गोला बस स्टेशन के लिए जमीन की स्वीकृति कराने का श्रेय उनको जाता है. जनता भी इस बात को मानती है. लेकिन गोला-बड़हलगंज,रामजानकी मार्ग, मदरिया-बेलखेड़ा मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे लोगों को परेशानी बढ़ा रहे हैं. विनय शंकर तिवारी कहते हैं कि राम जानकी मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिलाने का मामला हो या गोरखपुर- वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को रफ्तार देने का, उन्होंने व्यक्तिगत कई बार नितिन गडकरी से प्रयास करके इसको गति दिलाने का कार्य किया है. उनके जो वादे अधूरे रहे हैं, इन सब विषयों पर उन्होंने विधानसभा में सवाल उठाए हैं. संबंधित मंत्रियों से भी मुलाकात की है. जनता भी इस बात को बखूबी जानती है. लेकिन सत्ताधारी दल का विधायक न होने से शायद उनकी मांगों पर सरकार ने इसीलिए विचार नहीं किया है. लेकिन जनता के लिए जो वादे और लड़ाई शुरु किया है वह निरंतर जारी रहेगा.

चिल्लूपार विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट
चिल्लूपार विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट

क्षेत्र में मतदाताओं की बात करें तो 4,28,383 कुल मतदाता हैं. जिनमें 2,34,894 पुरुष मतदाता और 1,93,489 महिला मतदाता हैं. इस क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य माना जाता है और क्षत्रिय बिरादरी भी यहां जीत में बड़ा रोल अदा करती है. बसपा भी आज चुनाव इसलिए जीतने में सफल रही क्योंकि उसका प्रत्याशी ब्राह्मण बिरादरी से था. यहां पर बैकवर्ड बिरादरी के नेता के रूप में श्याम लाल यादव की बड़ी ख्याति रही. लेकिन वह चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुए. सपा से बसपा की तरफ भी वह जा बैठे थे और मायावती ने उन्हें बिना चुनाव जीते राज्यमंत्री का दर्जा दिया था.

इसे भी पढ़ें- लखीमपुर कांड के बीच PM मोदी का लखनऊ दौरा कल, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अफसरों के फूले हाथ-पैर

पूर्व मंत्री और 2017 के विधानसभा चुनाव में विनय तिवारी से हारे राजेश त्रिपाठी कहते हैं कि विधायक का कार्यकाल पूरी तरह असफल और जनता की उम्मीदों पर खरा न उतरने वाला है. जनता उनके पिता का अक्स उनमें देखना चाहती थी, जिसमें वह अक्षम साबित हुए हैं. उनके बयानों में विरोधाभास है. जब कोई काम उनकी सरकार में हो जाता है तो उसका श्रेय विनय शंकर ले लेते हैं और नहीं होता है तो फिर सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. उन्हें बताना चाहिए कि वह जनता की जरूरतों के लिए मुख्यमंत्री कितने बार मिले हैं और उन्हें क्या आश्वासन मिला है. आने वाले 2022 के चुनाव में जनता इसका हिसाब जरूर करेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.