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कोरोना मरीज ने एम्बुलेंस में तोड़ा दम, BRD प्रशासन ने बेड न होने का दिया हवाला - गोरखपुर में कोरोना

गोरखपुर में एंबुलेंस में ही कोरोना मरीज की मौत होने का मामला सामने आया है. बताया जाता है कि मरीज के परिजन ढाई घंटे तक मरीज को एंबुलेंस से लेकर बीआरडी कॉलेज के बाहर परेशान होते रहे, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने बेड न होने का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती नहीं किया. इससे समय पर इलाज न मिलने से मरीज की मौत हो गई.

गोरखपुर कोरोना.
गोरखपुर कोरोना.
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Published : Apr 13, 2021, 3:34 PM IST

गोरखपुरः अगर आप कोरोना पेशेंट हैं और गोरखपुर के रहने वाले हैं तो कोविड-19 कमांड सेंटर के जरिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज या अन्य अस्पतालों के लिए भर्ती होने के लिए जाएं. नहीं तो यह अस्पताल आपको भर्ती नहीं करेंगे और आपका दम इलाज पाने से पहले ही निकल जाएगा. ऐसी एक घटना गोरखपुर में घटी है, जब जिले के खजनी क्षेत्र के रहने वाले 72 वर्षीय कोरोना संक्रमित को लेकर उसके परिजन भर्ती करने के लिए सीधे बीआरडी मेडिकल कॉलेज एंबुलेंस से पहुंच गए. परिजन ढाई घंटे तक एंबुलेंस में मरीज को लेकर परेशान और रोते रहे. बीआरडी में बनाए गए कोरोना वार्ड के डॉक्टर, प्रबंधन से गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन बेड न होने का हवाला देकर मरीज को भर्ती नहीं किया गया. अंत में उसका प्राण एंबुलेंस में ही निकल गया.

BRD के प्राचार्य की सलाह, सूचित करने बाद ही लेकर आएं मरीज

इस मामले में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार का कहना है कि आईसीयू में सभी बेड फुल चल रहे हैं. ऐसे में गंभीर मरीजों को भर्ती करना संभव नहीं है. उनकी परेशानी बढ़ेगी तो इलाज के लिए सुविधा देना मुश्किल होगा. मरीज को लेकर आने वाले परिजनों को चाहिए कि वह पहले कोविड-19 कमांड सेंटर के जरिए मिली सुविधाओं और सूचनाओं के आधार पर भर्ती होने के लिए अस्पताल में आवें. नहीं तो दिक्कतें उठानी पड़ सकती हैं. BRD प्रशासन नहीं चाहता कि किसी भी मरीज व उनके परिजन को परेशानी हो. प्रशासन सबकी जान बचाने की कोशिश में लगा है.

इसे भी पढ़ें- कोरोना पर आस्था पड़ी भारी, नवरात्र के पहले दिन मां के दर्शन को उमड़े भक्त

सीएम योगी की समीक्षा के बाद भी नहीं सुधर रही व्यवस्था

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी 3 दिनों पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही कोविड-19 की तैयारियों को लेकर मंडल स्तर की समीक्षा की थी. उन्होंने बेड के साथ अन्य सुविधाओं को भी बढ़ाने का निर्देश दिया था. बावजूद इसके इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. इसके पीछे कारण जो भी हो, लेकिन बीआरडी से लेकर निजी अस्पताल भी बेड न होने का हवाला दे रहे हैं. जिले में हालत यह है कि प्रतिदिन 300 से ऊपर कोरोना पॉजिटिव के मरीज पाए जा रहे हैं. जिसमें ज्यादातर लोग घर में ही आइसोलेट हो रहे हैं. काफी गंभीर किस्म के लोग ही अस्पताल पहुंच रहे हैं. फिर भी उन्हें अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है और उन्हें वापस किया जा रहा है. शिकायतें यह भी मिल रही है कि जो मरीज घर पर आइसोलेट हैं. उन्हें क्विक रिस्पांस टीम भी अपना रिस्पांस नहीं दे रही. यहां तक कि दवा लेने के लिए नजदीकी अस्पताल पर जाने का सलाह देती है.

गोरखपुरः अगर आप कोरोना पेशेंट हैं और गोरखपुर के रहने वाले हैं तो कोविड-19 कमांड सेंटर के जरिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज या अन्य अस्पतालों के लिए भर्ती होने के लिए जाएं. नहीं तो यह अस्पताल आपको भर्ती नहीं करेंगे और आपका दम इलाज पाने से पहले ही निकल जाएगा. ऐसी एक घटना गोरखपुर में घटी है, जब जिले के खजनी क्षेत्र के रहने वाले 72 वर्षीय कोरोना संक्रमित को लेकर उसके परिजन भर्ती करने के लिए सीधे बीआरडी मेडिकल कॉलेज एंबुलेंस से पहुंच गए. परिजन ढाई घंटे तक एंबुलेंस में मरीज को लेकर परेशान और रोते रहे. बीआरडी में बनाए गए कोरोना वार्ड के डॉक्टर, प्रबंधन से गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन बेड न होने का हवाला देकर मरीज को भर्ती नहीं किया गया. अंत में उसका प्राण एंबुलेंस में ही निकल गया.

BRD के प्राचार्य की सलाह, सूचित करने बाद ही लेकर आएं मरीज

इस मामले में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार का कहना है कि आईसीयू में सभी बेड फुल चल रहे हैं. ऐसे में गंभीर मरीजों को भर्ती करना संभव नहीं है. उनकी परेशानी बढ़ेगी तो इलाज के लिए सुविधा देना मुश्किल होगा. मरीज को लेकर आने वाले परिजनों को चाहिए कि वह पहले कोविड-19 कमांड सेंटर के जरिए मिली सुविधाओं और सूचनाओं के आधार पर भर्ती होने के लिए अस्पताल में आवें. नहीं तो दिक्कतें उठानी पड़ सकती हैं. BRD प्रशासन नहीं चाहता कि किसी भी मरीज व उनके परिजन को परेशानी हो. प्रशासन सबकी जान बचाने की कोशिश में लगा है.

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सीएम योगी की समीक्षा के बाद भी नहीं सुधर रही व्यवस्था

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी 3 दिनों पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही कोविड-19 की तैयारियों को लेकर मंडल स्तर की समीक्षा की थी. उन्होंने बेड के साथ अन्य सुविधाओं को भी बढ़ाने का निर्देश दिया था. बावजूद इसके इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. इसके पीछे कारण जो भी हो, लेकिन बीआरडी से लेकर निजी अस्पताल भी बेड न होने का हवाला दे रहे हैं. जिले में हालत यह है कि प्रतिदिन 300 से ऊपर कोरोना पॉजिटिव के मरीज पाए जा रहे हैं. जिसमें ज्यादातर लोग घर में ही आइसोलेट हो रहे हैं. काफी गंभीर किस्म के लोग ही अस्पताल पहुंच रहे हैं. फिर भी उन्हें अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है और उन्हें वापस किया जा रहा है. शिकायतें यह भी मिल रही है कि जो मरीज घर पर आइसोलेट हैं. उन्हें क्विक रिस्पांस टीम भी अपना रिस्पांस नहीं दे रही. यहां तक कि दवा लेने के लिए नजदीकी अस्पताल पर जाने का सलाह देती है.

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