गोरखपुर: पेट्रोल-डीजल और खाद्य पदार्थों की मंहगाई से जनता बेहद परेशान है. ऐसे में अगर कामकाजी और मानदेय कर्मियों को समय से उनका मानदेय नहीं मिलेगा तो वह सरकार और व्यवस्था के संचालकों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने को मजबूर होते हैं. सीएम सिटी में कुछ ऐसा ही देखने को मिला रहा है, जहां पिछले आठ माह से प्राइमरी स्कूलों में रसोइया का काम करने वाली महिलाओं को मानदेय नहीं मिला है.
मानदेय भी मात्र 15 सौ रुपये महीने का. वह भी सरकार देने में सक्षम नहीं है. रसोइया अपनी समस्या स्कूल के प्रिंसिपल और बीएसए कार्यालय तक पहुंचा रही हैं. लगातार स्कूल में काम भी कर रहीं हैं लेकिन उनकी समस्या और जरूरत पर मंत्री, मुख्यमंत्री किसी का ध्यान ही नहीं है. यही वजह है जब उनके बीच ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो रसोइयों ने सबको खरी-खोटी सुनाई और चुनाव में बीजेपी-योगी को वोट न देने की बात कही.
ईटीवी की चौपाल में इनका गुस्सा योगी-मोदी सबके खिलाफ जमकर फूटा. इन्होंने कहा कि जिनके परिवार ही नहीं वह घर-परिवार चलाने के खर्च और जरूरत क्या जाने. वह तो सरकारी खजाने से खा रहे हैं. आजकल पंद्रह सौ रुपये से क्या होने वाला है, लेकिन जो मिलता है उसी से कुछ काम होता है. लेकिन वह भी जब आठ माह से बंद है तो आक्रोश नहीं फूटेगा तो और क्या होगा।
रसोइयों की मांग 21 हजार मानदेय करे सरकार
रसोईयों ने कहा कि वह दिनभर काम करती हैं. एक मजदूर भी एक दिन की मजदूरी चार सौ रुपये पाता है. उन्हें बकाया मानदेय तो सरकार जल्द से जल्द दे ही इसे बढ़ाकर 21 हजार करे नहीं तो वह लोग चुनाव में वोट नहीं देंगे. योगी-बीजेपी का विरोध करेंगे. वह अपनी मांग को हर स्तर पर उठा चुकी हैं लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं. काम छोड़ दें तो नौकरी जाने का खतरा अलग.
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ऐसे में परेशान और निराश इन रसोइया को कुछ भी समझ नहीं आता. कर्मचारी संगठन के नेता भी इनके मामले में कुछ नहीं करा पा रहे हैं. लेकिन जैसे ही सरकार शिक्षकों, कर्मचारियों को कोई लाभ दे रही है यह रसोइया आग बबूला हो जा रही हैं.