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राष्ट्रीय दलों से बात बनी तो ठीक नहीं तो अपने दम पर लड़ेंगे चुनाव : राजन सिंह सूर्यवंशी

गोरखपुर में भारतीय अपना समाज पार्टी (Bhartiya Apna Samaj Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) राजन सिंह सूर्यवंशी (Rajan Singh Suryavanshi) ने कहा कि किसी भी राष्ट्रीय दल से गठबंधन न होने की स्थिति में अपने बलबूते पर पूर्वांचल की 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी पार्टी.

राजन सिंह सूर्यवंशी
राजन सिंह सूर्यवंशी
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Published : Nov 21, 2021, 9:30 PM IST

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी, सपा और कांग्रेस जैसे बड़े दल जहां घमासान मचाना शुरू कर दिए हैं, वही छोटे-छोटे राजनीतिक दल भी बड़ों के साथ अपना गठजोड़ बनाकर सत्ता में भागीदारी का सपना संजोए बैठे हैं. ओमप्रकाश राजभर की भारतीय सुहेलदेव पार्टी, अनुप्रिया पटेल का अपना दल, इनकी सफलता के बाद ऐसे कई दल मैदान में है.

पिछले दिनों कई दल जहां बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिए वहीं, पूर्वांचल में पिछड़े और दलित समाज के बीच मजबूती के साथ काम कर रही, भारतीय अपना समाज पार्टी किसी भी राष्ट्रीय दलों से गठबंधन न होने की स्थिति में अपने बलबूते पर पूर्वांचल की 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन सिंह सूर्यवंशी ने साफ कहा कि उनका दल कमजोर तबकों को आगे बढ़ाने और राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ देश के विकास की सोच लेकर जनता के बीच काम कर रहा है.

राजन सिंह सूर्यवंशी, राष्ट्रीय अध्यक्ष ,भारतीय अपना समाज पार्टी

उन्होंने यह भी कहा कि जितने भी दल हैं, वह समाज के भीतर जातिगत भावना को भड़काने, जातियों को लड़ाने का काम कर रहे हैं. नौजवानों के विकास और रोजगार को लेकर किसी की सोच स्पष्ट नहीं है. यही वजह है कि यहां से पलायन करके दूसरे प्रदेशों को जाने वाले नौजवान अपमानित भी होते हैं. उन्होंने कहा कि उनका संगठन प्रदेश की आने वाली सरकार में शामिल होती है, तो निश्चित रूप से बेरोजगारी और पलायन को रोकने के लिए पूरी मजबूती के साथ काम करेगी. महंगाई को लेकर केंद्र और प्रदेश में बैठी हुई सरकार चिंतित नहीं है. इसका नतीजा है कि जनता काफी परेशान है, जिसका असर चुनाव में देखने को मिलेगा.

इसे भी पढ़ेः UP में राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने में जुटे छोटे राजनीतिक दल

सुभाष चंद्र बोस को आदर्श मानने वाले भारतीय अपना समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने सिर पर उनकी पहचान से जुड़ी टोपी लगाते हैं. उन्होंने कहा कि वह गरीब, किसान परिवार के बीच से आते हैं इसलिए गरीबों का दर्द समझते हैं.

उनका दल अन्याय के खिलाफ लगातार आवाज उठाता है. आरक्षण को लेकर भी उनका दल संघर्ष कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भी अपना समर्थन जताता है, लेकिन सत्ता में बैठी सरकारों और दलों की नियति साफ नहीं है.

निश्चित रूप से चुनाव को लेकर उनका दल लगातार जनता के बीच है. दलों से गठबंधन की भी बात हो रही है. सहमति बनी तो ठीक नहीं तो अपने बल पर जनता की आवाज उठाएंगे.


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गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी, सपा और कांग्रेस जैसे बड़े दल जहां घमासान मचाना शुरू कर दिए हैं, वही छोटे-छोटे राजनीतिक दल भी बड़ों के साथ अपना गठजोड़ बनाकर सत्ता में भागीदारी का सपना संजोए बैठे हैं. ओमप्रकाश राजभर की भारतीय सुहेलदेव पार्टी, अनुप्रिया पटेल का अपना दल, इनकी सफलता के बाद ऐसे कई दल मैदान में है.

पिछले दिनों कई दल जहां बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिए वहीं, पूर्वांचल में पिछड़े और दलित समाज के बीच मजबूती के साथ काम कर रही, भारतीय अपना समाज पार्टी किसी भी राष्ट्रीय दलों से गठबंधन न होने की स्थिति में अपने बलबूते पर पूर्वांचल की 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन सिंह सूर्यवंशी ने साफ कहा कि उनका दल कमजोर तबकों को आगे बढ़ाने और राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ देश के विकास की सोच लेकर जनता के बीच काम कर रहा है.

राजन सिंह सूर्यवंशी, राष्ट्रीय अध्यक्ष ,भारतीय अपना समाज पार्टी

उन्होंने यह भी कहा कि जितने भी दल हैं, वह समाज के भीतर जातिगत भावना को भड़काने, जातियों को लड़ाने का काम कर रहे हैं. नौजवानों के विकास और रोजगार को लेकर किसी की सोच स्पष्ट नहीं है. यही वजह है कि यहां से पलायन करके दूसरे प्रदेशों को जाने वाले नौजवान अपमानित भी होते हैं. उन्होंने कहा कि उनका संगठन प्रदेश की आने वाली सरकार में शामिल होती है, तो निश्चित रूप से बेरोजगारी और पलायन को रोकने के लिए पूरी मजबूती के साथ काम करेगी. महंगाई को लेकर केंद्र और प्रदेश में बैठी हुई सरकार चिंतित नहीं है. इसका नतीजा है कि जनता काफी परेशान है, जिसका असर चुनाव में देखने को मिलेगा.

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सुभाष चंद्र बोस को आदर्श मानने वाले भारतीय अपना समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने सिर पर उनकी पहचान से जुड़ी टोपी लगाते हैं. उन्होंने कहा कि वह गरीब, किसान परिवार के बीच से आते हैं इसलिए गरीबों का दर्द समझते हैं.

उनका दल अन्याय के खिलाफ लगातार आवाज उठाता है. आरक्षण को लेकर भी उनका दल संघर्ष कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भी अपना समर्थन जताता है, लेकिन सत्ता में बैठी सरकारों और दलों की नियति साफ नहीं है.

निश्चित रूप से चुनाव को लेकर उनका दल लगातार जनता के बीच है. दलों से गठबंधन की भी बात हो रही है. सहमति बनी तो ठीक नहीं तो अपने बल पर जनता की आवाज उठाएंगे.


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