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दीपावली मनाने सीएम योगी पहुंचे वनटांगिया गांव, 153 करोड़ का उपहार देंगे - सीएम योगी की ताजी न्यूज

गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के साथ दीपावली की खुशियां साझा करने वनटांगियां गांव पहुंच चुके हैं. यहां वह 153 करोड़ की योजना की सौगात देंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 12, 2023, 6:51 AM IST

Updated : Nov 12, 2023, 11:10 AM IST

गोरखपुर: दीपावली की खुशियां साझा करने सीएम योगी आदित्यनाथ वनटांगिया गांव पहुंच चुके हैं. वह यहां 153 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं की सौगात देंगे. सीएम योगी यहां वनवासियों के साथ दीपावली मनाएंगे. वह 2009 से यहां हर वर्ष दीपावली के मौके पर लगातार आ रहे हैं. सीएम के आगमन पर वनवासी बेहद खुश हैं.

करीब सौ साल तक उपेक्षा का दंश झेलने वाले वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन को, अब जिले के अति विशिष्ट गांव के रूप में जाना जाता है. इसकी वजह है वर्ष 2017 से ही मुख्यमंत्री योगी द्वारा इस गांव में दीपोत्सव मनाना. योगी यहां वर्ष 2009 से ही बतौर सांसद दीपावली मनाते रहे हैं. छह साल पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने खुद द्वारा शुरू की गई इस परंपरा में रुकावट नहीं आने दी.

योगी के कदम पड़ने के साथ ही वनटांगियों की बदहाली खुशहाली में बदलती चली गई. यहां के मुखिया रहे राम गणेश कहते हैं कि बतौर सांसद योगी जी लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाया. 2017 में मुख्यमंत्री बने तो वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर उन्हें शासन द्वारा प्रदत्त सभी सुविधाओं का हकदार बना दिया. उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, जैसे संसाधनों के साथ ही यहां रहने वालों को जनहित की सभी योजनाओं से आच्छादित कर दिया है. रविवार को वनटांगिया गांव में मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं तो गांव के लोग भी उमंग-तरंग के साथ स्वागत को तैयार हैं. यहां की निवासी लल्ली देवी और रजही गांव के प्रधान मुन्ना सिंह कहते हैं कि योगी जी यहां के लिए भगवान के समान हैं.

रविवार को जंगल तिकोनिया नंबर तीन में वनटांगिया दीपोत्सव मनाने के साथ ही मुख्यमंत्री, जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों को 153 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का दीपावली गिफ्ट भी देंगे. मुख्यमंत्री के हाथों 91 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण तथा 62 करोड़ रुपये की लागत वाली विकास परियोजनाओं का शिलान्यास होगा. वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में हर साल दीपावली मनाने वाले मुख्यमंत्री के प्रयासों से इस गांव समेत गोरखपुर-महराजगंज के 23 गांवों और प्रदेश की सभी वनवासी बस्तियों में विकास और हक-हुकूक का अखंड दीप जल रहा है.

गोरखपुर-महराजगंज में 23 वनटांगिया गांव
ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए ब्रिटिश सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया. साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की "टांगिया विधि" का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए. कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं. इसी के आसपास महराजगंज के जंगलों में अलग अलग स्थानों पर इनके 18 गांव बसे। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा. जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी. नागरिक के रूप में मिलने वाली सुविधाएं तो दूर की कौड़ी थीं. जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण की इजाजत नहीं थी. पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं. समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग से रहा. तिकोनिया नम्बर तीन के बुजुर्ग चंद्रजीत बताते हैं कि इसी सिलसिले में वन विभाग की टीम 6 जुलाई 1985 को जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में पहुंची और उन्हे जंगल से जाने को कहा. उन्होंने जंगल से निकलने को मना कर दिया जिस पर वन विभाग की तरफ से फायरिंग कर दी गई. इस घटना में परदेशी और पांचू नाम के वनटांगियों को जान गंवानी पड़ी जबकि 28 लोग घायल ही गए. इसके बाद भी वन विभाग सख्ती करता रहा. यह सख्ती तब शिथिल हुई जब सांसद बनने के बाद 1998 से योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों की सुध ली.

गोरखपुर: दीपावली की खुशियां साझा करने सीएम योगी आदित्यनाथ वनटांगिया गांव पहुंच चुके हैं. वह यहां 153 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं की सौगात देंगे. सीएम योगी यहां वनवासियों के साथ दीपावली मनाएंगे. वह 2009 से यहां हर वर्ष दीपावली के मौके पर लगातार आ रहे हैं. सीएम के आगमन पर वनवासी बेहद खुश हैं.

करीब सौ साल तक उपेक्षा का दंश झेलने वाले वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन को, अब जिले के अति विशिष्ट गांव के रूप में जाना जाता है. इसकी वजह है वर्ष 2017 से ही मुख्यमंत्री योगी द्वारा इस गांव में दीपोत्सव मनाना. योगी यहां वर्ष 2009 से ही बतौर सांसद दीपावली मनाते रहे हैं. छह साल पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने खुद द्वारा शुरू की गई इस परंपरा में रुकावट नहीं आने दी.

योगी के कदम पड़ने के साथ ही वनटांगियों की बदहाली खुशहाली में बदलती चली गई. यहां के मुखिया रहे राम गणेश कहते हैं कि बतौर सांसद योगी जी लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाया. 2017 में मुख्यमंत्री बने तो वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर उन्हें शासन द्वारा प्रदत्त सभी सुविधाओं का हकदार बना दिया. उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, जैसे संसाधनों के साथ ही यहां रहने वालों को जनहित की सभी योजनाओं से आच्छादित कर दिया है. रविवार को वनटांगिया गांव में मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं तो गांव के लोग भी उमंग-तरंग के साथ स्वागत को तैयार हैं. यहां की निवासी लल्ली देवी और रजही गांव के प्रधान मुन्ना सिंह कहते हैं कि योगी जी यहां के लिए भगवान के समान हैं.

रविवार को जंगल तिकोनिया नंबर तीन में वनटांगिया दीपोत्सव मनाने के साथ ही मुख्यमंत्री, जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों को 153 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का दीपावली गिफ्ट भी देंगे. मुख्यमंत्री के हाथों 91 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण तथा 62 करोड़ रुपये की लागत वाली विकास परियोजनाओं का शिलान्यास होगा. वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में हर साल दीपावली मनाने वाले मुख्यमंत्री के प्रयासों से इस गांव समेत गोरखपुर-महराजगंज के 23 गांवों और प्रदेश की सभी वनवासी बस्तियों में विकास और हक-हुकूक का अखंड दीप जल रहा है.

गोरखपुर-महराजगंज में 23 वनटांगिया गांव
ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए ब्रिटिश सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया. साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की "टांगिया विधि" का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए. कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं. इसी के आसपास महराजगंज के जंगलों में अलग अलग स्थानों पर इनके 18 गांव बसे। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा. जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी. नागरिक के रूप में मिलने वाली सुविधाएं तो दूर की कौड़ी थीं. जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण की इजाजत नहीं थी. पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं. समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग से रहा. तिकोनिया नम्बर तीन के बुजुर्ग चंद्रजीत बताते हैं कि इसी सिलसिले में वन विभाग की टीम 6 जुलाई 1985 को जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में पहुंची और उन्हे जंगल से जाने को कहा. उन्होंने जंगल से निकलने को मना कर दिया जिस पर वन विभाग की तरफ से फायरिंग कर दी गई. इस घटना में परदेशी और पांचू नाम के वनटांगियों को जान गंवानी पड़ी जबकि 28 लोग घायल ही गए. इसके बाद भी वन विभाग सख्ती करता रहा. यह सख्ती तब शिथिल हुई जब सांसद बनने के बाद 1998 से योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों की सुध ली.

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Last Updated : Nov 12, 2023, 11:10 AM IST
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