गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिवाली के अवसर पर गोरखपुर के वनटांगिया गांव में दीप जलाकर अपनी दिवाली का शुभारंभ किया. इस गांव में उन्होंने अपने आने का सिलसिला लगातार 13वें वर्ष भी जारी रखा. बतौर सांसद 2009 से वे वनटांगिया गांव में दिवाली मनाते चला रहे हैं और सरकार में आने के बाद भी यहां आना नहीं भूले. कोरोना काल में भी उन्होंने दिवाली का आयोजन यहां किया था और लोगों के बीच उपहार और योजनाओं की भरमार करने से भी नहीं चूके थे.
इस बार भी सीएम योगी ने 3 करोड़ 50 लाख की योजनाओं का यहां लोकार्पण और शिलान्यास किया. इसमें सड़कों के निर्माण के साथ ओवरहेड टैंक का निर्माण होगा. इस दौरान योगी ने कहा कि अगर किसी को रामराज्य की कल्पना को पूरा होते देखना है तो वह वनटांगिया गांव में आ जाय. यहां विकास की सभी परियोजना धरताल पर दिखाई देंगी. आजादी के 70 साल बाद यहां के लोगों के जीवन में उजाला और अधिकार मिला है जिससे लोग आनंदित है.
सीएम योगी ने यहां मंच से अपनी सरकार की एक-एक उपलब्धियों को गिनाया. उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ आवास और बिजली, पानी यहां के 450 परिवारों को आज मिल रहा है. बच्चों के लिए स्कूल भी यहां खोला गया है. सीएम ने कहा कि कल अयोध्या में खुशी, समृद्धि और ज्ञान का दीप जलाया था. आज सुबह भी भगवान राम और हनुमानगढ़ी के दर्शन के बाद संतों से मिले.
एक अंत्योदय परिवार के बीच दीवाली मनाई. परिवार को दीये, मिठाई और फुलझड़ी भी भेंट की. यही नहीं अयोध्या की धरती से डीजल-पेट्रोल के दाम में भी कमी की घोषणा की है, जिससे महंगाई में कमी आएगी. इसके साथ ही उन गरीबों को होली तक मुफ्त राशन मिलेगा जो कोरोना काल से राशन पा रहे हैं.
सीएम योगी ने जनप्रतिनिधियों को गरीब परिवारों के बीच पहुंचकर दीवाली मनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि अपने परिवार के साथ अगर गरीब और जरूरतमंदों के बीच ऐसे पर्व मनाएं जाएं तो त्योहार का मजा दूना हो जाता है. सीएम ने इस दौरान विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया और उपहार दिया. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास की चाभी भी भेंट की. उन्होंने इसके बाद वनटांगिया गांव के परिवारों के बीच भी जाकर मिलने का कार्य किया और सरकारी योजनाओं के स्टॉल का भी अवलोकन किया. छोटे बच्चों का अन्नप्राशन भी कराया.
ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए बर्तानिया सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया. साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की "टांगिया विधि" का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए.
कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं, इसी के आसपास महराजगंज के जंगलों में अलग अलग स्थानों पर इनके 18 गांव बसे. 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा. जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी. नागरिक के रूप में मिलने वाली सुविधाएं तो दूर की कौड़ी थीं. जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण की इजाजत नहीं थी. पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं. समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग से.
वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने, उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं. नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी. इस काम में लगाया गया उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को, जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते आते मूर्त रूप लेने लगे. इस गांव के रामगणेश कहते है कि वनटांगिया तो अहिल्या थे, महराज जी (योगी आदित्यनाथ को वनटांगिया समुदाय के लोग इसी संबोधन से बुलाते हैं) यहां राम बनकर उद्धार करने आए.
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वनटांगिया लोगों को शिक्षा के जरिये समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने मुकदमा तक झेला है. 2009 में जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में योगी के सहयोगी वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण कर रहे थे. वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी. योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका. हिन्दू विद्यापीठ नाम से यह विद्यालय आज भी योगी के संघर्षों का साक्षी है.