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अर्पित किए गए फूलों से महकेंगे मंदिर, सीएम ने 'आशीर्वाद' अगरबत्ती का किया लोकार्पण

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Published : Nov 15, 2020, 2:21 PM IST

Updated : Nov 15, 2020, 6:23 PM IST

दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने के बाद रात्रि विश्राम गुरु गोरखनाथ मंदिर में किया. रविवार को सीएसआईआर और श्री गुरु गोरक्षनाथ मंदिर द्वारा निर्मित आशीर्वाद अगरबत्ती का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया.

गोरखपुर में आशीर्वाद का लोकार्पण करते सीएम योगी आदित्यनाथ.
गोरखपुर में आशीर्वाद का लोकार्पण करते सीएम योगी आदित्यनाथ.

गोरखपुरः सीएसआईआर सीमैप द्वारा विकसित तकनीक से मंदिर में अर्पित फूलों से अब मंदिर और घर महकेंगे. श्री गोरखनाथ मंदिर द्वारा निर्मित अगरबत्ती 'आशीर्वाद' का लोकार्पण रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. कार्यक्रम का आयोजन सीएसआईआर केंद्रीय औषधि, सौगंध पौधा संस्थान सीमैप लखनऊ और गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किया गया. गोरखनाथ मंदिर के हिंदू सेवा आश्रम में सीमैप के निदेशक डॉ. प्रमोद द्विवेदी सहित अन्य लोग की मौजूदगी में अगरबत्ती का लोकार्पण किया गया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आशीर्वाद अगरबत्ती का किया लोकार्पण.

दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर पहुंचे सीएम
दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने के बाद रात्रि विश्राम गुरु गोरखनाथ मंदिर में किया. रविवार को सीएसआईआर और श्री गुरु गोरक्षनाथ मंदिर द्वारा निर्मित अगरबत्ती श्री गोरखनाथ आशीर्वाद का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया.

फूलों का सद्पुयोग होने के साथ महिलाओं की बढ़ेगी आमदनी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मनमोहक और सुगंधित फूलों का इस्तेमाल न किसी स्थान की सुंदरता बढ़ाने व सजावट के लिए किया जाता है, वहीं श्रद्धालुओं द्वारा पूजा स्थलों पर बड़ी मात्रा में अर्पित किया जाता है. प्रायः यह देखा जाता है कि फूल इस्तेमाल के बाद उन्हें या तो सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है अथवा सार्वजनिक स्थलों तालाबों व नदियों में फेंक दिया जाता है. इससे पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या खड़ी होती है. सीएम ने कहा कि सीमैप ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे कि ऐसे फूलों सहित अन्य प्रकार की वनस्पति संपदा का इस्तेमाल के बाद भी सदुपयोग हो सके. इससे प्रदूषण की समस्या से छुटकारे के साथ ही लोगों के लिए अतिरिक्त आय के साधन भी पैदा हो सकेगा.

पांच हजार महिलाओं को अगरबत्ती बनाने का दिया प्रशिक्षण
सीमैप के निदेशक डॉ. प्रमोद द्विवेदी ने बताया कि सीएफआई आरसी मैप द्वारा विकसित इस तकनीक से अब तक लगभग 5000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है. देश के लगभग सभी बड़े पूजा स्थलों जैसे शिर्डी साईं बाबा, मां वैष्णो देवी कटरा जम्मू, हरिद्वार, उज्जैन, मैहर देवी, मां विंध्यवासिनी देवी, दिल्ली, झारखंड में खाले उड़ीसा चित्रकूट आदि जगहों पर अगरबत्ती बनाने का कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है. प्रदेश के सबसे बड़े मठ गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में यह कार्य पहली बार महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र और गुरु गोरखनाथ मंदिर द्वारा अगरबत्ती का निर्माण किया जा रहा है. यहां हजारों महिलाओं को रोजगार के साथ साथ फूलों के समुचित प्रयोग होगा. इससे स्वस्थ एवं कुशल भारत मिशन को भी सशक्त किया जा रहा है.


एक किलो कच्चे माल से 1500 अगरबत्तियां होती हैं तैयार
समूह की महिला व प्रधान प्रशिक्षक नीलम पांडे ने बताया कि कच्चे माल में फूलों का पाउडर और बाइंडिंग मैटेरियल होता है. 1 किलोग्राम कच्चे माले से लगभग 1500 अगरबत्तियां बनाई जाती हैं. यह अगरबत्ती या बाजार में सीधे 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेची जाती है. इसके निर्माण में लगभग 35 से 40 रुपये की लागत आती है. इन अगरबत्तियों में सुगंध डालने व पैकेट बनाने के बाद लगभग 5 रुपये प्रति पैकेट के भाव से बेचा जाता है. इस प्रकार लगभग 500 रुपये का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है. एक महिला अपने घरेलू कामकाज निपटाने के बाद अगरबत्ती बनाकर प्रतिमाह 2000 से 3000 रुपये अतिरिक्त आमदनी कर सकती है.

आशीर्वाद अगरबत्ती की विशेषताएं
आशीर्वाद अगरबत्ती में किसी भी प्रकार के कोयले का प्रयोग नहीं किया गया है. इस आगरबत्ती में 70% फूलों का चूर्ण प्रयोग में लिया गया है. आगर में प्रयुक्त रासायनिक सुगंध स्थिरक दुष्प्रभाव विहीन है. खस के पुष्दण्डों का प्रयोग कर बनाई गई अगरबत्ती लगभग धुआं रहित है. प्राकृतिक सुगंध तेल एवं सुगंधित का प्रयोग कर बनाई गई आशीर्वाद अगरबत्ती लगभग 35 से 40 मिनट तक सुगंध फैलाएगी.

गोरखपुरः सीएसआईआर सीमैप द्वारा विकसित तकनीक से मंदिर में अर्पित फूलों से अब मंदिर और घर महकेंगे. श्री गोरखनाथ मंदिर द्वारा निर्मित अगरबत्ती 'आशीर्वाद' का लोकार्पण रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. कार्यक्रम का आयोजन सीएसआईआर केंद्रीय औषधि, सौगंध पौधा संस्थान सीमैप लखनऊ और गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किया गया. गोरखनाथ मंदिर के हिंदू सेवा आश्रम में सीमैप के निदेशक डॉ. प्रमोद द्विवेदी सहित अन्य लोग की मौजूदगी में अगरबत्ती का लोकार्पण किया गया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आशीर्वाद अगरबत्ती का किया लोकार्पण.

दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर पहुंचे सीएम
दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने के बाद रात्रि विश्राम गुरु गोरखनाथ मंदिर में किया. रविवार को सीएसआईआर और श्री गुरु गोरक्षनाथ मंदिर द्वारा निर्मित अगरबत्ती श्री गोरखनाथ आशीर्वाद का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया.

फूलों का सद्पुयोग होने के साथ महिलाओं की बढ़ेगी आमदनी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मनमोहक और सुगंधित फूलों का इस्तेमाल न किसी स्थान की सुंदरता बढ़ाने व सजावट के लिए किया जाता है, वहीं श्रद्धालुओं द्वारा पूजा स्थलों पर बड़ी मात्रा में अर्पित किया जाता है. प्रायः यह देखा जाता है कि फूल इस्तेमाल के बाद उन्हें या तो सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है अथवा सार्वजनिक स्थलों तालाबों व नदियों में फेंक दिया जाता है. इससे पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या खड़ी होती है. सीएम ने कहा कि सीमैप ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे कि ऐसे फूलों सहित अन्य प्रकार की वनस्पति संपदा का इस्तेमाल के बाद भी सदुपयोग हो सके. इससे प्रदूषण की समस्या से छुटकारे के साथ ही लोगों के लिए अतिरिक्त आय के साधन भी पैदा हो सकेगा.

पांच हजार महिलाओं को अगरबत्ती बनाने का दिया प्रशिक्षण
सीमैप के निदेशक डॉ. प्रमोद द्विवेदी ने बताया कि सीएफआई आरसी मैप द्वारा विकसित इस तकनीक से अब तक लगभग 5000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है. देश के लगभग सभी बड़े पूजा स्थलों जैसे शिर्डी साईं बाबा, मां वैष्णो देवी कटरा जम्मू, हरिद्वार, उज्जैन, मैहर देवी, मां विंध्यवासिनी देवी, दिल्ली, झारखंड में खाले उड़ीसा चित्रकूट आदि जगहों पर अगरबत्ती बनाने का कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है. प्रदेश के सबसे बड़े मठ गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में यह कार्य पहली बार महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र और गुरु गोरखनाथ मंदिर द्वारा अगरबत्ती का निर्माण किया जा रहा है. यहां हजारों महिलाओं को रोजगार के साथ साथ फूलों के समुचित प्रयोग होगा. इससे स्वस्थ एवं कुशल भारत मिशन को भी सशक्त किया जा रहा है.


एक किलो कच्चे माल से 1500 अगरबत्तियां होती हैं तैयार
समूह की महिला व प्रधान प्रशिक्षक नीलम पांडे ने बताया कि कच्चे माल में फूलों का पाउडर और बाइंडिंग मैटेरियल होता है. 1 किलोग्राम कच्चे माले से लगभग 1500 अगरबत्तियां बनाई जाती हैं. यह अगरबत्ती या बाजार में सीधे 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेची जाती है. इसके निर्माण में लगभग 35 से 40 रुपये की लागत आती है. इन अगरबत्तियों में सुगंध डालने व पैकेट बनाने के बाद लगभग 5 रुपये प्रति पैकेट के भाव से बेचा जाता है. इस प्रकार लगभग 500 रुपये का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है. एक महिला अपने घरेलू कामकाज निपटाने के बाद अगरबत्ती बनाकर प्रतिमाह 2000 से 3000 रुपये अतिरिक्त आमदनी कर सकती है.

आशीर्वाद अगरबत्ती की विशेषताएं
आशीर्वाद अगरबत्ती में किसी भी प्रकार के कोयले का प्रयोग नहीं किया गया है. इस आगरबत्ती में 70% फूलों का चूर्ण प्रयोग में लिया गया है. आगर में प्रयुक्त रासायनिक सुगंध स्थिरक दुष्प्रभाव विहीन है. खस के पुष्दण्डों का प्रयोग कर बनाई गई अगरबत्ती लगभग धुआं रहित है. प्राकृतिक सुगंध तेल एवं सुगंधित का प्रयोग कर बनाई गई आशीर्वाद अगरबत्ती लगभग 35 से 40 मिनट तक सुगंध फैलाएगी.

Last Updated : Nov 15, 2020, 6:23 PM IST
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