गोरखपुर: इस बार की छठ पूजा कई मायनों में खास है. करीब 54 वर्ष बाद एक विशिष्ट योग में इस पूजा को करने का लोगों को लाभ मिलेगा. अखिल भारतीय विद्वत महासभा की गणना में जो तथ्य निकल कर आए हैं, उसके अनुसार छठ पूजा का प्रारंभ 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को 'शोभन योग' में नहाए -खाय के साथ हो जाएगा. वहीं इसका समापन 3 नवंबर को 'अमृत योग' में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होगा. इस योग में इस छठ पूजा का विशेष महत्व माना गया है. जिससे समाज में सुख- समृद्धि तो आएगी ही राष्ट्र भी विकासोन्मुख होगा.
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स्कंद पुराण में लिखा है व्रत का महत्व
छठ पूजा कुल 4 दिनों में संपन्न होती है. जिसका पहला दिन आज 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. जिसको व्रती महिलाएं नहाए-खाय, मतलब पूरी तरह शुद्ध होकर प्रारंभ करेंगी. पंडित शरदचंद्र मिश्र के अनुसार इस दिन 6:27 बजे से चतुर्थी तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात्रि शेष 4:22 बजे तक है. इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र पूरे दिन और रात को 1:31 बजे तक है. 'शोभन योग' दोपहर बाद 2:12 तक है. खरना 1 नवंबर को रहेगा. छठ व्रत का (निर्जल उपवास) 2 नवंबर को है. इस दिन सूर्योदय 6:28 बजे और षष्टि तिथि पूरे दिन और रात्रि शेष 4:22 बजे तक है. व्रत के महत्व को स्कंद पुराण में बहुत ढंग से बताया गया है. अमृत योग में इसके समापन होने से यह विशेष फल देने वाला है.
2 नवंबर को व्रती महिलाएं द्वारा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य शाम 5:32 बजे दिया जाएगा, तो 3 नवंबर को सूर्योदय 6:29 बजे है. इस समय प्रातः कालीन सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा. इस दिन सप्तमी तिथि पूरे दिन और रात्रि शेष 5:12 बजे तक है. इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, धृति योग और अमृत नामक महाऔदायिक योग भी है जो काफी फल दायीं है.
-पंडित शरद चंद्र मिश्र, ज्योतिष