गोरखपुर: सोमवार को जनपद के अलीनगर स्थित अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह की मूर्ति पर उनके वंशजों और शुभचिंतकों द्वारा माल्यार्पण कर 161वें शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल, उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन, अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह के वंशज अजय कुमार सिंह टप्पू, क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे.
कौन थे स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम साल 1857 में ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ भड़के सशक्त जन विद्रोही समर के नायक अमर शहीद बाबू बंधू सिंह का जन्म चौरीचौरा क्षेत्र के डुमरी रियासत में बाबू शिवप्रसाद सिंह के घर 1 मई, 1835 को हुआ था. छह भाइयों में सबसे बड़े बंधु सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहला बिगुल उस समय बजाया, जब इस क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा था. बंधु सिंह ने अपने साथियों के साथ गोरखपुर पर हमलाकर अपना शासन कायम कर लिया. हताश होकर अंग्रेजों ने इनकी डूंगरी रियासत पर तीन तरफ से हमले किए. बंधु सिंह के भाइयों करिया सिंह, दलसिंह, हममन सिंह, विजय सिंह और फतेह सिंह ने अंग्रेजों का कड़ा मुकाबला किया, लेकिन अंततः शहीद हो गए.
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धोखे से अंग्रेजों ने किया गिरफ्तार
अंग्रेजों ने बंधु सिंह का घर ध्वस्त कर रियासत जला डाली. बंधु सिंह जंगलों में रहने लगे और गोरिल्ला रणनीति के तहत अंग्रेजों का सर कलम कर देवी मंदिर के पास कुएं में डाल देते थे. वह अंग्रेजों से लड़ने के लिए देवी से शक्ति प्राप्त करने के लिए आराधना करते थे. अपनी तबाही से घबराकर ब्रिटिश हुकूमत ने धोखे से जंगल में उन्हें गिरफ्तार करवा दिया और 12 अगस्त 1858 को गोरखपुर शहर के अलीनगर चौराहे पर स्थित बरगद के पेड़ पर सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया.
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जनश्रुतियों के अनुसार बाबू बंधू सिंह का 7 बार फांसी का फंदा टूटा. अंततः आठवीं बार उन्होंने फंदा स्वयं हाथ में लेकर आराध्य देवी से विनती की और आठवीं बार उनका गला फांसी के फंदे पर लटक गया और बंधू सिंह भारत मां के चरणों में शहीद हो गए.
इस मौके पर अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह के वंशज अजय कुमार सिंह टप्पू ने बताया कि आज 161वें शहादत दिवस के अवसर पर हम सभी बंधु सिंह की शहादत स्थली पर उपस्थित हुए हैं. यहां पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.