गोरखपुर: इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी के उन्मूलन के लिए शहर के जाने माने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरएन सिंह अभियान चला रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कोरोना जैसे वायरस से बचाव के लिए कुछ जरूरी जानकारियां साझा कीं. बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि भारत में इस वायरस की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे जरूरी कदम के बीच एयरपोर्ट के साथ 'लैंडपोर्ट' पर भी सरकारी महकमे को काम करना बेहद जरूरी है. भारत को नेपाल से जोड़ने वाली सीमा पर भी निगरानी बढ़ानी होगी. इससे वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.
डॉ. आरएन सिंह ने कहा कि लैंडपोर्ट का मतलब खासतौर से भारत से लगी नेपाल की सीमा का है, जो करीब 14 सौ किलोमीटर लंबी है. यहां से नेपाल के अलावा चीन, ताइवान, जापान आदि देशों से पर्यटक और बौद्ध धर्म के अनुयायी धार्मिक दर्शन करने आते-रहते हैं. नेपाल से भारत रोजाना हजारों लोग आते हैं, ऐसे में गोरखपुर क्षेत्र के सोनौली और भैरहवा जैसे चेक पोस्ट पर सघन जांच करनी चाहिए.
इंडो-नेपाल बॉर्डर है निर्बाध आवागमन
डॉ. आरएन सिंह ने कहा कि एयरपोर्ट पर तो चीन और अन्य कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले लोगों की चेकिंग हो रही है, लेकिन इंडो-नेपाल बॉर्डर पर अभी तक निर्बाध आवागमन बना हुआ है. उन्होंने आशंका जाहिर की कि इस रास्ते कोरोना वायरस शहर में प्रवेश करने में कामयाब हो गया तो हजारों लोगों को प्रभावित करेगा.
सरकार से की सिफारिश
इस समस्या को हल करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार से सिफारिश है कि इन बॉर्डर पर हेल्थ चेक पोस्ट बनाया जाए, जिससे प्रभावित देशों से आने वाले नागरिकों की कोरोना से संक्रमित होने की जांच हो. अगर सैलानी पॉजिटिव हों तो उन्हें इंसोलेटेड रखा जाए. इससे हम इस महामारी को देश में प्रवेश करने से रोक सकेंगे.
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर चेक पोस्ट स्थापित किया जाए
उन्होंने कहा कि साल 2002-03 में 'सार्स' जैसी महामारी को देश में फैलने से रोकने के क्रम में इंडो- नेपाल बॉर्डर पर चेक पोस्ट स्थापित किए गए थे, जिससे बड़ी सफलता मिली थी.
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