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गोरखपुर: डीएम ऑफिस का कम्प्यूटर हैक कर बाबुओं ने बनवाए फर्जी शस्त्र लाइसेंस - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने के मामले का भंडाफोड़ हुआ है. इस बात की पुष्टि डीएम विजेंद्र पांडियन ने की है. इस मामले में सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है जबकि 3 तीन लोगों की गिरफ्तारी अभी बाकी है.

डीएम ने की प्रेसवार्ता.
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Published : Sep 6, 2019, 8:33 PM IST

गोरखपुर: गोरखपुर में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने के खेल का खुलासा हुआ है. जिलाधिकारी विजेंद्र पांडियन ने शुक्रवार को अपने कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के जरिए इस बात का खुलासा किया. डीएम ने बताया कि इस मामले में जिलाधिकारी कार्यालय के 3 लिपिक भी लिप्त पाए गए हैं, जिनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.

फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में डीएम ने की प्रेसवार्ता.

डीएम का कहना है कि इस मामले में जांच पूरी गंभीरता के साथ आगे बढ़ाई जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है. डीएम ने बताया कि जिले में कुल 22 हजार लाइसेंस हैं, जो जांच के दायरे में हैं.

लाइसेंस बनाने का खेल 1947 के बाद से चल रहा-

जांच में यह भी पता चला है कि फर्जी लाइसेंस बनाने का खेल 1947 के बाद से चल रहा है. पहले यह मैनुअल आधार पर जांच के दायरे में आता था लेकिन अब इसकी यूनिक आईडी जारी कर दी गई है जो चलन में 2015 से चल रही है. इससे फर्जी शस्त्र लाइसेंस के खेल को उजागर करने में सहायक बनी है. जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन की मानें तो जब एक शख्स ने यूनिक आईडी को कार्यालय में आकर जांच कराने की कोशिश की तो उस नंबर पर शस्त्र लाइसेंस जारी ही नहीं हुआ था. उस शख्स की यूनिक आईडी भी फर्जी पाई गई थी. इसके बाद जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि जिलाधिकारी कार्यालय के तीन बाबुओं ने इस खेल में अहम भूमिका निभाई है. रवि गन हाउस से फर्जी शस्त्र लाइसेंस के आधार पर शस्त्रों की बिक्री की गई है. डीएम ने बताया कि इस मामले में सरकारी कार्यालय की उस आईडी के पासवर्ड को हैक किया गया है. जिसके लॉगइन से शस्त्र लाइसेंस बनाए जाते थे और यूनिक नंबर जनरेट किया जाता था.

फर्जी शस्त्र लाइसेंस के इस खेल में रवि आर्म्स को सरगना बताया जा रहा है. वहीं 1994 से लेकर 2003 तक जिलाधिकारी कार्यालय में रहे शस्त्र बाबुओं की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. जांच में कई तरह के बिंदु सामने आ रहे हैं. शस्त्र के बाबुओं ने फील्ड रिपोर्ट को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से कभी मिलान भी नहीं कराया और फर्जी यूनिक आईडी जारी कर दी गई. इस खेल में 9 असलहा बाबू और 5 शस्त्र विक्रेताओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जो जांच के दायरे में है.

डीएम ने बताया कि इस मामले में कुल 10 गिरफ्तारी होनी है. सात की गिरफ्तारी हो चुकी है, तीन की गिरफ्तारी बाकी है. जिन बाबुओं की गिरफ्तारी हुई है उनमें रिटायर राम सिंह, अशोक गुप्ता और कम्प्यूटर बाबू अजय गिरी को कैंट पुलिस ने गिरफ्तार का जेल भेज दिया है.

गोरखपुर: गोरखपुर में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने के खेल का खुलासा हुआ है. जिलाधिकारी विजेंद्र पांडियन ने शुक्रवार को अपने कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के जरिए इस बात का खुलासा किया. डीएम ने बताया कि इस मामले में जिलाधिकारी कार्यालय के 3 लिपिक भी लिप्त पाए गए हैं, जिनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.

फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में डीएम ने की प्रेसवार्ता.

डीएम का कहना है कि इस मामले में जांच पूरी गंभीरता के साथ आगे बढ़ाई जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है. डीएम ने बताया कि जिले में कुल 22 हजार लाइसेंस हैं, जो जांच के दायरे में हैं.

लाइसेंस बनाने का खेल 1947 के बाद से चल रहा-

जांच में यह भी पता चला है कि फर्जी लाइसेंस बनाने का खेल 1947 के बाद से चल रहा है. पहले यह मैनुअल आधार पर जांच के दायरे में आता था लेकिन अब इसकी यूनिक आईडी जारी कर दी गई है जो चलन में 2015 से चल रही है. इससे फर्जी शस्त्र लाइसेंस के खेल को उजागर करने में सहायक बनी है. जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन की मानें तो जब एक शख्स ने यूनिक आईडी को कार्यालय में आकर जांच कराने की कोशिश की तो उस नंबर पर शस्त्र लाइसेंस जारी ही नहीं हुआ था. उस शख्स की यूनिक आईडी भी फर्जी पाई गई थी. इसके बाद जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि जिलाधिकारी कार्यालय के तीन बाबुओं ने इस खेल में अहम भूमिका निभाई है. रवि गन हाउस से फर्जी शस्त्र लाइसेंस के आधार पर शस्त्रों की बिक्री की गई है. डीएम ने बताया कि इस मामले में सरकारी कार्यालय की उस आईडी के पासवर्ड को हैक किया गया है. जिसके लॉगइन से शस्त्र लाइसेंस बनाए जाते थे और यूनिक नंबर जनरेट किया जाता था.

फर्जी शस्त्र लाइसेंस के इस खेल में रवि आर्म्स को सरगना बताया जा रहा है. वहीं 1994 से लेकर 2003 तक जिलाधिकारी कार्यालय में रहे शस्त्र बाबुओं की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. जांच में कई तरह के बिंदु सामने आ रहे हैं. शस्त्र के बाबुओं ने फील्ड रिपोर्ट को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से कभी मिलान भी नहीं कराया और फर्जी यूनिक आईडी जारी कर दी गई. इस खेल में 9 असलहा बाबू और 5 शस्त्र विक्रेताओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जो जांच के दायरे में है.

डीएम ने बताया कि इस मामले में कुल 10 गिरफ्तारी होनी है. सात की गिरफ्तारी हो चुकी है, तीन की गिरफ्तारी बाकी है. जिन बाबुओं की गिरफ्तारी हुई है उनमें रिटायर राम सिंह, अशोक गुप्ता और कम्प्यूटर बाबू अजय गिरी को कैंट पुलिस ने गिरफ्तार का जेल भेज दिया है.

Intro:गोरखपुर। मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने के खेल का खुलासा हुआ है। जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने आज शुक्रवार को अपने कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के जरिए इस गोरखधंधे का खुलासा किया। साथ ही बताया कि इस मामले में जिलाधिकारी कार्यालय के 3 लिपिक भी लिप्त पाए गए हैं जिनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उन्होंने कहा इस मामले में जांच पूरी गंभीरता से आगे बढ़ाई जा रही है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने बताया कि जिले में कुल 22000 लाइसेंस है जो जांच के दायरे में हैं।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:इस जांच में यह भी पता चला है कि फर्जी लाइसेंस बनाने का खेल 1947 के बाद से चल रहा है। पहले यह मैनुअल आधार पर जांच के दायरे में आता था लेकिन अब इसकी यूनिक आईडी जारी कर दी गई है जो चलन में 2015 से चल रही है। यही प्रक्रिया इससे फर्जी शस्त्र लाइसेंस के खेल को उजागर करने में सहायक बनी है। जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन की माने तो जब एक शख्स अपनी यूनीक आईडी को कार्यालय में आकर जांच कराने की कोशिश किया तो उस नंबर पर शस्त्र लाइसेंस जारी ही नहीं हुआ था। उसकी यूनिक आईडी भी फर्जी पाई गई थी। इसके बाद जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि जिलाधिकारी कार्यालय के तीन बाबुओं ने इस खेल में अहम भूमिका निभाई है। वहीं रवि गन हाउस से फर्जी शस्त्र लाइसेंस के आधार पर शस्त्रों की बिक्री की गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में सरकारी कार्यालय की उस आईडी- पासवर्ड को हैक किया गया है जिसके लॉगइन से शस्त्र लाइसेंस बनाए जाते थे और यूनिक नंबर जनरेट किया जाता था।

बाइट--के विजेंद्र पांडियन, डीएम गोरखपुर


Conclusion:फर्जी शस्त्र लाइसेंस के इस खेल में रवि आर्म्स को सरगना बताया जा रहा है। तो वहीं 1994 से लेकर 2003 तक जिलाधिकारी कार्यालय में रहे शस्त्र बाबुओं की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। जांच में कई तरह के बिंदु सामने आ रहे हैं। जैसे शस्त्र के बाबुओं ने फील्ड रिपोर्ट को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से कभी मिलान भी नहीं कराया और फर्जी यूनिक आईडी जारी कर दिया। इस खेल में 9 असलहा बाबू और 5 शस्त्र विक्रेताओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई है जो जांच के दायरे में है। उन्होंने बताया कि इस मामले में कुल 10 गिरफ्तारी होनी है सात की गिरफ्तारी हो चुकी है। तीन की बाकी है। जिन बाबुओं की गिरफ्तारी हुई है उनमें राम सिंह जो अब रिटायर हो गया है तो अशोक गुप्ता और कम्प्यूटर बाबू अजय गिरी को कैंट पुलिस ने गिरफ्तार का जेल भेज दिया है।

बाइट--के विजेंद्र पांडियन, डीएम, गोरखपुर

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
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