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चार डाक्टरों ने बच्चे को बताया स्वस्थ और पैदा हुआ दिव्यांग, मुकदमा दर्ज - gorakhpur news

यूपी के गोरखपुर में लापरवाही के आरोप में चार महिला डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. इन चारों डॉक्टरों ने गर्भवती महिला का बार-बार जांच कराया और गर्भस्थ शिशु को स्वस्थ बताया, जबकि बच्चा दिव्यांग पैदा हुआ.

गोरखपुर में दिव्यांग बच्चे के साथ मां.
गोरखपुर में दिव्यांग बच्चे के साथ मां.
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Published : Dec 26, 2020, 3:33 PM IST

गोरखपुरः बार-बार जांच कराने के बाद भी दिव्यांग बच्चा पैदा होने पर चार महिला डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. एक दंपत्ति की शिकायत पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच कराए जाने के बाद दोषी पाए जाने पर बेतियाहाता की डॉ. अरुणा छपरिया, डॉ. अंजू मिश्रा, डॉ. नेहल छपरिया व सहजनवा की डॉ. काजल पर मुकदमा दर्ज किया गया है. जांच रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित ने डॉक्टरों के यहां समय-समय पर गर्भ की जांच कराई थी और सभी ने अपनी रिपोर्ट में बच्चे को स्वस्थ बताया था.बता दें कि शहर का यह पहला मामला है, जब गर्भावस्था में जांच व गलत रिपोर्ट आने पर शहर के डॉक्टरों पर जो कैंट थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है.

गोरखपुर में चार महिला डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज.

शिकायत के बाद सीएमओ ने कराई जांच
गीड़ा थाना क्षेत्र के देइपार निवासी अभिषेक पांडे की तहरीर के अनुसार गर्भधारण के बाद उनकी पत्नी 27 वर्षीय अनुराधा में गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य और विकास की जानकारी के लिए 20 जनवरी 2020 को बेतियाहाता स्थित डॉ. अरुणा छापड़िया, 30 मार्च को डॉ. अंजू मिश्रा, 9 मई को डॉक्टर नेहल छापरिया और 5 अगस्त को डॉक्टर काजल के यहां जांच कराई थी. पीड़ित ने डॉक्टरों के कहने पर 19 वें, 25वें, 32वें और 35 वे हफ्ते में लेवल 2 कलर डाप्लर (गर्भस्थ शिशु की संपूर्ण शारीरिक बनावट व के बारे में) जांच भी कराई.जांच रिपोर्ट में पीड़ित को बताया गया कि बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ है.

अविकसित बच्चा पैदा हुआ
पीड़िता अनुराधा ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर डिलीवरी के समय 15 अगस्त को मेरे पति मुझे जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया. जिला अस्पताल में जो बच्चा पैदा हुआ वह दिव्यांग था. उसका एक हाथ, नाक व ललाट अविकसित था. ऐसे में अन्य डाक्टरों द्वारा जांच रिपोर्ट कैसे ठीक बताई जा रही थी, जबकि तमाम तरीके की जांच कराए गया था.

महिला डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि अल्ट्रासाउंड में रिपोर्ट सही होने के बावजूद दिव्यांग बच्चा पैदा होने के मामले में पीड़ित ने जिला अधिकारी के पास शिकायत की थी. डीएम ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच मुझे सौंपी. मैंने बोर्ड बनाकर जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने. जांच में चारों डॉक्टरों की भूमिका की जांच की गई, जिसमें इनकी स्पष्ट लापरवाही मिली.

गोरखपुरः बार-बार जांच कराने के बाद भी दिव्यांग बच्चा पैदा होने पर चार महिला डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. एक दंपत्ति की शिकायत पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच कराए जाने के बाद दोषी पाए जाने पर बेतियाहाता की डॉ. अरुणा छपरिया, डॉ. अंजू मिश्रा, डॉ. नेहल छपरिया व सहजनवा की डॉ. काजल पर मुकदमा दर्ज किया गया है. जांच रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित ने डॉक्टरों के यहां समय-समय पर गर्भ की जांच कराई थी और सभी ने अपनी रिपोर्ट में बच्चे को स्वस्थ बताया था.बता दें कि शहर का यह पहला मामला है, जब गर्भावस्था में जांच व गलत रिपोर्ट आने पर शहर के डॉक्टरों पर जो कैंट थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है.

गोरखपुर में चार महिला डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज.

शिकायत के बाद सीएमओ ने कराई जांच
गीड़ा थाना क्षेत्र के देइपार निवासी अभिषेक पांडे की तहरीर के अनुसार गर्भधारण के बाद उनकी पत्नी 27 वर्षीय अनुराधा में गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य और विकास की जानकारी के लिए 20 जनवरी 2020 को बेतियाहाता स्थित डॉ. अरुणा छापड़िया, 30 मार्च को डॉ. अंजू मिश्रा, 9 मई को डॉक्टर नेहल छापरिया और 5 अगस्त को डॉक्टर काजल के यहां जांच कराई थी. पीड़ित ने डॉक्टरों के कहने पर 19 वें, 25वें, 32वें और 35 वे हफ्ते में लेवल 2 कलर डाप्लर (गर्भस्थ शिशु की संपूर्ण शारीरिक बनावट व के बारे में) जांच भी कराई.जांच रिपोर्ट में पीड़ित को बताया गया कि बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ है.

अविकसित बच्चा पैदा हुआ
पीड़िता अनुराधा ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर डिलीवरी के समय 15 अगस्त को मेरे पति मुझे जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया. जिला अस्पताल में जो बच्चा पैदा हुआ वह दिव्यांग था. उसका एक हाथ, नाक व ललाट अविकसित था. ऐसे में अन्य डाक्टरों द्वारा जांच रिपोर्ट कैसे ठीक बताई जा रही थी, जबकि तमाम तरीके की जांच कराए गया था.

महिला डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि अल्ट्रासाउंड में रिपोर्ट सही होने के बावजूद दिव्यांग बच्चा पैदा होने के मामले में पीड़ित ने जिला अधिकारी के पास शिकायत की थी. डीएम ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच मुझे सौंपी. मैंने बोर्ड बनाकर जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने. जांच में चारों डॉक्टरों की भूमिका की जांच की गई, जिसमें इनकी स्पष्ट लापरवाही मिली.

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