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कपड़े और जूते पर जीएसटी की बढ़ी दरों से नाराज सीएम सिटी के कारोबारी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भारत सरकार की ओर से कपड़ा और रेडीमेड जूता कारोबार पर GST पांच फीसद से बढ़ाकर बारह फीसद करने के विरोध में गोरखपुर के सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानों की लाइट बंद करके इस फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की. साथ शहर के माया टॉकीज के पास इकट्ठा होकर व्यवसायियों ने विरोध प्रदर्शन किया.

नाराज सीएम सिटी के कारोबारी
नाराज सीएम सिटी के कारोबारी
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Published : Dec 31, 2021, 12:49 PM IST

गोरखपुर: भारत सरकार की ओर से कपड़ा और रेडीमेड जूता कारोबार पर GST पांच फीसद से बढ़ाकर बारह फीसद करने के विरोध में गोरखपुर के सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानों की लाइट बंद करके इस फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की. साथ शहर के माया टॉकीज के पास इकट्ठा होकर व्यवसायियों ने विरोध प्रदर्शन किया. वहीं, पूरे दिन इन व्यापारियों ने काली पट्टी बांधकर दुकान पर काम किया और शाम होते ही बाजार की दुकानों की लाइट बुझा कर अपने विरोध का इजहार किया.

व्यापारियों का यह प्रदर्शन गीता प्रेस रोड पर माया टॉकीज के सामने चेंबर ऑफ टेक्सटाइल्स के बैनरतले हुआ. इस दौरान चेम्बर ऑफ टेक्सटाइल्स के अध्यक्ष राजेश नेभानी ने बताया कि रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की आधारभूत आवश्यकता है. कपड़ा जो जनता की लंगोट से लेकर मृत्यु के कफन तक का साथी है. उसी पर कुछ नौकरशाहों की सलाह पर 12 फीसद जीएसटी लगाना उचित नहीं है. इसका घोर विरोध किया जाएगा, जिसकी शुरुआत हो गई है.

नाराज सीएम सिटी के कारोबारी
नाराज सीएम सिटी के कारोबारी

इसे भी पढ़ें - कन्नौज: इत्र कारोबारी फौजान व सपा MLC पुष्पराज जैन के घर DGGI की छापेमारी, जांच शुरू

यह विरोध सरकार को चेताने और बताने के लिए है. टैक्स नहीं घटाया गया तो सरकार को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि महंगाई की मार से उपभोक्ता पहले से ही परेशान है. ग्राहक तक कपड़ा पहुंचते-पहुंचते 20 फीसद महंगा हो जाएगा. कच्चे माल की महंगाई से पहले से ही कपड़ा उद्योग त्रस्त है. कपड़ा उद्योग पूरी तरीके से हिला हुआ है. आज देश की पुरानी कपड़ा मिले बंद हो चुकी हैं. जीएसटी की मार से छोटी बड़ी इकाइयों को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप करोड़ों लोगों की आजीविका पर तलवार लटक जाएगी. नेभानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील किया है कि इसमें अविलंब हस्तक्षेप करके जीएसटी वृद्धि को रोकें. नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. व्यापारियों के इस प्रदर्श में महामंत्री संजय अग्रवाल, शंभू शाह, मनीष सराफ, बालकृष्ण रुंगटा, अरविंद कनोडिया, सुशील कपूर, चंद्रकेश निगम, मनमोहन टेकरीवाल, रोहित अग्रवाल, दिलीप मल्होत्रा, अमित जोशी बड़ी संख्या में शामिल हुए.

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गोरखपुर: भारत सरकार की ओर से कपड़ा और रेडीमेड जूता कारोबार पर GST पांच फीसद से बढ़ाकर बारह फीसद करने के विरोध में गोरखपुर के सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानों की लाइट बंद करके इस फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की. साथ शहर के माया टॉकीज के पास इकट्ठा होकर व्यवसायियों ने विरोध प्रदर्शन किया. वहीं, पूरे दिन इन व्यापारियों ने काली पट्टी बांधकर दुकान पर काम किया और शाम होते ही बाजार की दुकानों की लाइट बुझा कर अपने विरोध का इजहार किया.

व्यापारियों का यह प्रदर्शन गीता प्रेस रोड पर माया टॉकीज के सामने चेंबर ऑफ टेक्सटाइल्स के बैनरतले हुआ. इस दौरान चेम्बर ऑफ टेक्सटाइल्स के अध्यक्ष राजेश नेभानी ने बताया कि रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की आधारभूत आवश्यकता है. कपड़ा जो जनता की लंगोट से लेकर मृत्यु के कफन तक का साथी है. उसी पर कुछ नौकरशाहों की सलाह पर 12 फीसद जीएसटी लगाना उचित नहीं है. इसका घोर विरोध किया जाएगा, जिसकी शुरुआत हो गई है.

नाराज सीएम सिटी के कारोबारी
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यह विरोध सरकार को चेताने और बताने के लिए है. टैक्स नहीं घटाया गया तो सरकार को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि महंगाई की मार से उपभोक्ता पहले से ही परेशान है. ग्राहक तक कपड़ा पहुंचते-पहुंचते 20 फीसद महंगा हो जाएगा. कच्चे माल की महंगाई से पहले से ही कपड़ा उद्योग त्रस्त है. कपड़ा उद्योग पूरी तरीके से हिला हुआ है. आज देश की पुरानी कपड़ा मिले बंद हो चुकी हैं. जीएसटी की मार से छोटी बड़ी इकाइयों को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप करोड़ों लोगों की आजीविका पर तलवार लटक जाएगी. नेभानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील किया है कि इसमें अविलंब हस्तक्षेप करके जीएसटी वृद्धि को रोकें. नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. व्यापारियों के इस प्रदर्श में महामंत्री संजय अग्रवाल, शंभू शाह, मनीष सराफ, बालकृष्ण रुंगटा, अरविंद कनोडिया, सुशील कपूर, चंद्रकेश निगम, मनमोहन टेकरीवाल, रोहित अग्रवाल, दिलीप मल्होत्रा, अमित जोशी बड़ी संख्या में शामिल हुए.

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