गोरखपुरः भगवान बुद्ध का धातु अवशेष 141 साल बाद श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल के साथ हेड ऑफ स्टेट प्रोटोकॉल के तहत वापस श्रीलंका के लिए विदा किया गया. ये अवशेष साल 1880 में भारत से ही श्रीलंका गया था. बौद्ध धर्म अनुयायियों के अनुसार धातु अवशेष का बौद्ध धर्म में खास महत्व है. मूर्ति पूजा से पहले किसी की पूजा की जाती है. वहीं इसे रखा जाता है. उसे धार्मिक मत के अनुसार काफी महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है.
इसकी पूजा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत से लंका के संबंधों को और प्रगाढ़ करने का काम किया है. आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रीलंका से आए हुए प्रतिनिधि मंडल द्वारा बुद्ध के धातु अवशेष को हेड ऑफ द स्टेट प्रोटोकॉल के तहत पूरे सम्मान के साथ कुशीनगर से सड़क मार्ग के माध्यम से महायोगी गोरखनाथ सिविल टर्मिनल गोरखपुर लाया गया. जहां से इसे वापस श्रीलंका के लिए विदा किया गया.
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इस संबंध में पुलिस अधीक्षक नगर सोनम कुमार ने बताया कि विगत 20 अक्टूबर को विशेष विमान के माध्यम से बुद्ध के धातु अवशेष को भारत के कुशीनगर जिले में लाया गया था. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसकी पूजा अर्चना की गई थी. आज वापस श्रीलंका प्रतिनिधि मंडल द्वारा इसे श्रीलंका ले जाने के लिए गोरखपुर के हवाई अड्डे पर हेड ऑफ द स्टेट प्रोटोकॉल के तहत वापस श्रीलंका विदा किया गया.
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