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गोरखपुर: संविदा नियुक्ति प्रस्ताव को रद्द करने के लिए बीजेपी एमएलसी ने सीएम को लिखा पत्र

यूपी के गोरखपुर जिले में गोरखपुर-अयोध्या स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने संविदा पर नियुक्ति के प्रस्ताव को रद्द करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. साथ ही मामले पर संज्ञान लेने की अपील की है. एमएलसी ने पत्र में लिखा है कि इस नई सेवा नियमावली के आ जाने से सेवा में आने वाले कर्मचारियों के साथ कदाचार और भ्रष्टाचार की हालत बनेगी.

बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह
बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह
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Published : Sep 16, 2020, 7:50 PM IST

गोरखपुरः प्रदेश की योगी सरकार द्वारा आने वाले समय में संविदा पर नियुक्ति किए जाने के आदेश को भारतीय जनता पार्टी के एक एमएलसी ने इसे युवा विरोधी बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है. गोरखपुर-अयोध्या स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने बकायदा पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से इस मामले को संज्ञान लेने की अपील किया है. एमएलसी ने पत्र में लिखा है कि इस नई सेवा नियमावली के आ जाने से सेवा में आने वाले कर्मचारियों के साथ कदाचार और भ्रष्टाचार की हालत बनेगी. छोटे कर्मचारी बड़े अधिकारियों के शोषण के शिकार होंगे. लिहाजा इस प्रस्ताव को रद्द किया जाना ही उचित है.

बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

सीएम को संबोधित पत्र में एमएलसी ने लिखा है कि 5 वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त कर्मचारी बंधुआ मजदूर हो जाएंगे. हर 6 महीने पर उनके कार्य के मूल्यांकन के नाम पर कर्मचारी अधिकारियों के शोषण के शिकार होंगे और उनके निजी कार्य करने के लिए बाध्य होंगे. इससे कर्मचारी और अधिकारी में टकराव की स्थिति पैदा होगी. कार्यालय में कार्य की प्रवृत्ति की जगह भ्रष्टाचार जन्म लेगा और आगे चलकर दुर्व्यवस्था की जड़ कार्यालयों में स्थापित होगी.

एमएलसी ने पत्र में लिखा है कि यह व्यवस्था अत्यंत ही दोषपूर्ण और अन्याय व शोषण को बढ़ावा देने वाली है. देवेंद्र प्रताप सिंह भारतीय जनता पार्टी के शायद पहले ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्होंने सरकार के इस फैसले के खिलाफ लिखित रूप से अपनी मंशा जाहिर की है. पत्र में उन्होंने आशंका जाहिर की है कि इसके लागू हो जाने से पार्टी और सरकार दोनों की छवि काफी खराब होगी. इस प्रस्ताव को लेकर आम जनता खासकर युवाओं में काफी आक्रोश दिखाई दे रहा है और वह फिलहाल युवाओं के साथ हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ऐसा समूह ग और घ की भर्ती में किसी भी तरह का प्रस्ताव है तो उसे निरस्त करने की कोशिश की जाए, जिससे कर्मचारी अधिकारी के शोषण का शिकार न हो और आम जनमानस में सरकार की छवि कर्मचारी विरोधी न बनने पाए.

गोरखपुरः प्रदेश की योगी सरकार द्वारा आने वाले समय में संविदा पर नियुक्ति किए जाने के आदेश को भारतीय जनता पार्टी के एक एमएलसी ने इसे युवा विरोधी बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है. गोरखपुर-अयोध्या स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने बकायदा पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से इस मामले को संज्ञान लेने की अपील किया है. एमएलसी ने पत्र में लिखा है कि इस नई सेवा नियमावली के आ जाने से सेवा में आने वाले कर्मचारियों के साथ कदाचार और भ्रष्टाचार की हालत बनेगी. छोटे कर्मचारी बड़े अधिकारियों के शोषण के शिकार होंगे. लिहाजा इस प्रस्ताव को रद्द किया जाना ही उचित है.

बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

सीएम को संबोधित पत्र में एमएलसी ने लिखा है कि 5 वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त कर्मचारी बंधुआ मजदूर हो जाएंगे. हर 6 महीने पर उनके कार्य के मूल्यांकन के नाम पर कर्मचारी अधिकारियों के शोषण के शिकार होंगे और उनके निजी कार्य करने के लिए बाध्य होंगे. इससे कर्मचारी और अधिकारी में टकराव की स्थिति पैदा होगी. कार्यालय में कार्य की प्रवृत्ति की जगह भ्रष्टाचार जन्म लेगा और आगे चलकर दुर्व्यवस्था की जड़ कार्यालयों में स्थापित होगी.

एमएलसी ने पत्र में लिखा है कि यह व्यवस्था अत्यंत ही दोषपूर्ण और अन्याय व शोषण को बढ़ावा देने वाली है. देवेंद्र प्रताप सिंह भारतीय जनता पार्टी के शायद पहले ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्होंने सरकार के इस फैसले के खिलाफ लिखित रूप से अपनी मंशा जाहिर की है. पत्र में उन्होंने आशंका जाहिर की है कि इसके लागू हो जाने से पार्टी और सरकार दोनों की छवि काफी खराब होगी. इस प्रस्ताव को लेकर आम जनता खासकर युवाओं में काफी आक्रोश दिखाई दे रहा है और वह फिलहाल युवाओं के साथ हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ऐसा समूह ग और घ की भर्ती में किसी भी तरह का प्रस्ताव है तो उसे निरस्त करने की कोशिश की जाए, जिससे कर्मचारी अधिकारी के शोषण का शिकार न हो और आम जनमानस में सरकार की छवि कर्मचारी विरोधी न बनने पाए.

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