गोरखपुरः विश्वविख्यात टेराकोटा औरंगाबाद (गोरखपुर) के हस्तशिल्पियों के दिन बहुरने का समय अब आ गया है. आजादी के बाद पहली बार यहां पर लाखों रुपये खर्च करके आधुनिक भट्ठी लगाई जा रही है. इससे कुम्हारों को धुआं-धक्कड़ से तो निजात मिलेगी ही, वहीं समय और ईंधन की भी भरपूर बचत होगी. आधुनिक भट्ठी में कम समय में मिट्टी के बर्तन को कम खर्च में फायर ब्रिक्स सहयोग से पकाया जायेगा. इसको लेकर हस्त शिल्पी काफी उत्साहित हैं.
शिल्पकारों के लिए माटी कला बोर्ड का हुआ गठन
6 जुलाई 2019 को आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम में खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के प्रमुख सचिव नवीन सहगल और माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने गोरखपुर के टेराकोटा औरंगाबाद आसपास के हस्तशिल्पियों से रूबरू हो कर उनकी समस्याओं को सुना था और उसके समाधान का भरोसा दिया था.
- सीएम योगी ने जब प्रदेश की कमान संभाली तो उन्होंने प्रदेश सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी योजना एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) में टेराकोटा औरंगाबाद को शामिल किया.
- कच्चे मिट्टी को आकार देकर जीविकोपार्जन करने वाले कारीगरों के रोजगार को बढ़ावा देने के के लिए सरकार ने आजादी के बाद पहली बार माटी कला बोर्ड का गठन किया.
- माटी कला बोर्ड गठन होने के बाद विगत जुलाई में पहली बार खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के प्रमुख सचिव व माटी कला बोर्ड अध्यक्ष ने टेराकोटा औरंगाबाद में विकास संबंधित एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया.
- इसी कार्यक्रम में आसपास के कुम्हारों से रूबरू होकर उनकी पुश्तैनी कला को गति देने की चर्चा और उनसे जुड़ी समस्याओं को संज्ञान में लिया था.
- हस्तशिल्पियों ने प्रमुख सचिव से पगमील (मिट्टी गूदने वाली मशीन) आधुनिक भट्ठी, इलेक्ट्रॉनिक चाक आदि की डिमांड की.
गोरखपुर में लगाई जा रही है दो आधुनिक भट्ठी
हस्त शिल्पियों के पुश्तैनी कला को गति देने तथा समस्याओं को दूर करने के लिए से प्रदेश सरकार टेराकोटा औरंगाबाद में स्थित लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के वर्कशॉप पर दो लाख 42 हजार रुपये खर्च कर आधुनिक भट्ठी का निर्माण कराया जा रहा है. पड़ोसी गांव मुगलान सिरसिया में भी एक भट्ठी लगाई जा रही है. आधुनिक भट्ठी लगने से वहां के कुम्हारों में दिन बहुरने की आस जाग उठी हैं.
और क्या है आधुनिक भट्टी की विशेषता ?
ग्राम उद्योग अधिकारी ने बताया कि आधुनिक भट्ठी लोहे की मोटी चादर से बनी हुई है चारों तरफ से फायर ब्रिक्स दिए जाएंगे. पहले परंपरागत भट्ठी में लकड़ी और कंडा अधिक खर्च होता था. उसकी अपेक्षा इस भट्ठी में थोड़ी सी लकड़ी इस्तेमाल करके फायर ब्रिक्स की गर्मी से बर्तन बेहतर पक कर तैयार होगा. लोहे की चादर और चिमनी की व्यवस्था उसमें इसलिए की गई है कि मजबूती के साथ साथ वर्षा होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसे खुले में भी लगाया जा सकता है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
गोरखपुर मंडल के परिक्षेत्रीय ग्राम उद्योग अधिकारी नरेंद्र प्रसाद मौर्य से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि गोरखपुर जिले में दो भट्ठी स्वीकृत है. एक भट्ठी टेराकोटा औरंगाबाद और दूसरा मुगलान सिरसिया उर्फ भरवलिया में लगाया जा रहा है. इसके अलावा जनपद के 46 कुम्हारों का नाम चाक वितरण के लिए चयनित किया गया है. इसका सत्यापन राजस्व विभाग द्वारा कराया जा रहा है. सत्यापन के बाद सत्यापित लाभार्थियों में इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरण होगा. गोरखपुर जनपद में 10 पगमील स्वीकृत हैं. प्रत्येक की लागत 28 हजार रुपये हैं. इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरण होने के बाद चार से पांच लाभार्थियों या छह से सात लाभार्थी का एक समूह बनाया जायेगा. इस प्रकार के 10 समूहों में एक-एक पगमील दिया जाएगा. इसके लिए हम लोग बैठ कर समूह को चिन्हित करेंगे.
आजादी के बाद इस टेराकोटा औरंगाबाद गांव में पहली बार वर्तमान सरकार से हस्तशिल्पयों को आधुनिक भट्ठी का तोहफा मिला है. इससे पहले परंपरागत भट्ठी में 24 से 36 घंटे में कलाकृति पकती (फायरिंग होती) थी. अब वह ज्यादा से ज्यादा दो घंटे में पक कर तैयार हो जायेगी. हम जिस पुरानी भट्ठी में माल पकाते थे उसमें ज्यादा से ज्यादा एक ट्राली माल पक कर तैयार होता है. उसी रॉ मैटेरियल में आधुनिक भट्ठी में उससे चारगुना ज्यादा माल पक कर तैयार हो जायेगा. रॉ मैटेरियल के साथ ही समय की भी बचत होगी.
लक्ष्मी चन्द्र प्रजापति, अध्यक्ष, लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह
वर्ष 2016 में सरकार ने ओडीओपी में चयनित किया था. अब जाकर कुछ काम हो रहा है. हमारी मांग है कि हर परिवार को एक पगमील, एक इलेक्ट्रॉनिक चाक, टूल किट मिल जाय तो सबसे अच्छा होगा. सबसे खास बात तो यह है कि हमारे वहां बाहर गेस्ट आते हैं उनके लिए अतिथि भवन बन जाता तो सरकार की बड़ी कृपा होगी.
मोहनलाल प्रजापति, सचिव, लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह