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एसी कोचों से 6 महीने में करीब 18 हजार बेडशीट चोरी, यात्री ले गए या कोई और... - Bedsheets stolen from trains in Gorakhpur

गोरखपुर से चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों से लगातार बेडशीट की चोरी हो रही है. 6 महीने में करीब 18 हजार चादर गायब हो चुकी है.इतनी बड़ी संख्या में चादरों के गायब होने के बाद, रेलवे ने कोच अटेंडेंट बढ़ाने का फैसला लिया है.

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ट्रेनों से बेडशीट हो रही चोरी, 6 माह में करीब 18 हजार चादर गायब
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Published : Jul 28, 2023, 9:47 PM IST

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह जानकारी देते हुए

गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर से चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों में पिछले छह महीने में करीब 18 हजार बेडशीट की चोरी हुई है. चोरी की यह घटना निगरानी और सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है. वहीं, वातानुकूलित कोच में कई बार देखा गया है कि यात्रा के दौरान यात्री चादर का सही तरीके से इस्तेमाल भी नहीं करते. उन्हे खराब घोषित करना पड़ता है. तो कुछ यात्री ट्रेन से उतरते समय अपना जूता भी चादर से ही पोछ देते हैं. ऐसे में करीब पंद्रह हजार बेड शीट भी 6 महीने में खराब हो गई हैं.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि चादर का गायब होना कोच अटेंडेंट कि लापरवाही में आता है. साथ ही यह यात्रियों की मानसिकता को भी दर्शाता है. इतनी बड़ी संख्या में चादरों के गायब होने के बाद रेलवे ने कोच अटेंडेंट बढ़ाने का फैसला लिया है. रेलवे के आंकड़े के हिसाब से जितनी चादर गायब हुई है, उसकी कीमत 67 लाख 15 हजार 8 रुपये है. प्रति चादर की कीमत 384 निर्धारित है. इस रकम को रेलवे बेड रोल वितरण करने वाली एजेंसी से वसूल लिया है लेकिन, दाग धब्बे के चलते जिन चादर को कंडम करना पड़ा है. उस पर करीब दो करोड़ 11 लाख 20 हजार का नुकसान रेलवे को उठाना पड़ा है. गोरखपुर ही नहीं पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ, वाराणसी, मऊ, काठगोदाम, लाल कुआं, छपरा में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री से निकलने वाले बेड रोल की स्थिति भी यही है.

पंकज कुमार सिंह ने कहा है कि बेड रोल की गुणवत्ता में अनेक सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं. लॉन्ड्री की क्षमता में वृद्धि और वातानुकूलित कोच में एक अटेंडेंट की व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि वह बेड रोल का उपयोग सही प्रकार से करें. खाने पीने की वस्तुएं ना गिराए. इस पर गंदगी ना फैलाएं और रेलवे की संपत्ति को चोरी होने से बचाएं.

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रेलवे के सूत्रों का कहना है कि रेल प्रशासन ने बेडशीट से संबंधित शिकायतों को संज्ञान में लेकर लॉन्ड्री की क्षमता 9 टन से बढ़ाकर करीब 17 टन कर दिया है. जहां से प्रतिदिन 20 हजार बेडशीट जिसमें कंबल, चादर तौलिया, तकिया और कवर शामिल होता है. जिसका पैकेट तैयार किया जाता है. इसके लिए 11 करोड़ की लागत से नई एजेंसी भी नियुक्त की गई है. बताया जा रहा है कि 6 महीने में करीब 24 ट्रेनों से 18 हजार चादर तो गायब हुई ही है, करीब 55 हजार चादर का रेल यात्रियों ने दुरुपयोग किया है. जिससे उन्हें कंडम घोषित करना पड़ा है. रेलवे में इसके अलावा कारखाना और प्लेटफार्म से भी चोरी की कुछ घटनाएं समय-समय पर घटती रहती हैं. आरपीएफ की कार्रवाई भी उसमें होती है लेकिन, चादर की चोरी में अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया है.

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पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह जानकारी देते हुए

गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर से चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों में पिछले छह महीने में करीब 18 हजार बेडशीट की चोरी हुई है. चोरी की यह घटना निगरानी और सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है. वहीं, वातानुकूलित कोच में कई बार देखा गया है कि यात्रा के दौरान यात्री चादर का सही तरीके से इस्तेमाल भी नहीं करते. उन्हे खराब घोषित करना पड़ता है. तो कुछ यात्री ट्रेन से उतरते समय अपना जूता भी चादर से ही पोछ देते हैं. ऐसे में करीब पंद्रह हजार बेड शीट भी 6 महीने में खराब हो गई हैं.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि चादर का गायब होना कोच अटेंडेंट कि लापरवाही में आता है. साथ ही यह यात्रियों की मानसिकता को भी दर्शाता है. इतनी बड़ी संख्या में चादरों के गायब होने के बाद रेलवे ने कोच अटेंडेंट बढ़ाने का फैसला लिया है. रेलवे के आंकड़े के हिसाब से जितनी चादर गायब हुई है, उसकी कीमत 67 लाख 15 हजार 8 रुपये है. प्रति चादर की कीमत 384 निर्धारित है. इस रकम को रेलवे बेड रोल वितरण करने वाली एजेंसी से वसूल लिया है लेकिन, दाग धब्बे के चलते जिन चादर को कंडम करना पड़ा है. उस पर करीब दो करोड़ 11 लाख 20 हजार का नुकसान रेलवे को उठाना पड़ा है. गोरखपुर ही नहीं पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ, वाराणसी, मऊ, काठगोदाम, लाल कुआं, छपरा में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री से निकलने वाले बेड रोल की स्थिति भी यही है.

पंकज कुमार सिंह ने कहा है कि बेड रोल की गुणवत्ता में अनेक सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं. लॉन्ड्री की क्षमता में वृद्धि और वातानुकूलित कोच में एक अटेंडेंट की व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि वह बेड रोल का उपयोग सही प्रकार से करें. खाने पीने की वस्तुएं ना गिराए. इस पर गंदगी ना फैलाएं और रेलवे की संपत्ति को चोरी होने से बचाएं.

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रेलवे के सूत्रों का कहना है कि रेल प्रशासन ने बेडशीट से संबंधित शिकायतों को संज्ञान में लेकर लॉन्ड्री की क्षमता 9 टन से बढ़ाकर करीब 17 टन कर दिया है. जहां से प्रतिदिन 20 हजार बेडशीट जिसमें कंबल, चादर तौलिया, तकिया और कवर शामिल होता है. जिसका पैकेट तैयार किया जाता है. इसके लिए 11 करोड़ की लागत से नई एजेंसी भी नियुक्त की गई है. बताया जा रहा है कि 6 महीने में करीब 24 ट्रेनों से 18 हजार चादर तो गायब हुई ही है, करीब 55 हजार चादर का रेल यात्रियों ने दुरुपयोग किया है. जिससे उन्हें कंडम घोषित करना पड़ा है. रेलवे में इसके अलावा कारखाना और प्लेटफार्म से भी चोरी की कुछ घटनाएं समय-समय पर घटती रहती हैं. आरपीएफ की कार्रवाई भी उसमें होती है लेकिन, चादर की चोरी में अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया है.

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