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गोरखपुर: DDU में शुरू हुआ ज्योतिष समेत वास्तु का कोर्स, स्वरोजगार कर सकेंगे विद्यार्थी

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Published : Jan 29, 2020, 11:44 PM IST

यूपी के गोरखपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में ज्योतिष और वास्तु का कोर्स शुरू किया गया है. इस कोर्स के लिए कुल 173 आवेदन आए थे, जिसमें से 120 विद्यार्थियों का चयन हुआ है.

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DDU में शुरू हुआ ज्योतिष समेत वास्तु का कोर्स

गोरखपुर: ज्योतिष और वास्तुशास्त्र का ज्ञान अब लोगों को रोजगार दिलाएगा. विदेशों में भी इसके ज्ञान से भारतीयों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. जी हां यह सब सीएम योगी और संस्कृत संस्थान की विशेष पहल से संभव हो रहा है, जिसका पहला केंद्र दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शुरू हो गया है. इस केंद्र में 120 विद्यार्थी अध्ययन करेंगे. वहीं इस कोर्स के प्रति लोगों ने भी अपनी खूब ललक दिखाई है और इसके लिए 173 आवेदन भी आये थे, जिसमें साठ-साठ विद्यार्थियों की दो क्लास चलाई जा रही हैं.

DDU में शुरू हुआ ज्योतिष समेत वास्तु का कोर्स.


ज्योतिष और वास्तु के इस ज्ञान के लिए संस्कृत संस्थान ने न कोई उम्र की सीमा निर्धारित की है और न ही इसे महिला और पुरुष में बांटा है. कोर्स में हर आयु वर्ग के महिला- पुरुष अध्ययन कर सकते हैं. बस आवेदनकर्ता को ग्रेजुएट होना जरूरी है. वहीं क्लास में छात्राओं की उपस्थिति को देखकर आसानी से अंदाज लगाया जा सकता है कि छात्रों के अंदर इस विधा के ज्ञान के लिए कितनी उत्सुकता है.

पढ़ें: MMMTU के शिक्षकों को मिलेगा सातवें वेतनमान का लाभ, शिक्षकों में खुशी की लहर

पीएम मोदी की यह मांग है कि संस्कृत को आगे बढ़ाया जाए, जिस संस्कृत की बदौलत भारत विश्व गुरु है, उसको आगे बढ़ाया जाए. इसी के चलते यह कोर्स शरू किया गया है.
-प्रो. मुरली मनोहर पाठक, विभागाध्यक्ष, संस्कृत

गोरखपुर: ज्योतिष और वास्तुशास्त्र का ज्ञान अब लोगों को रोजगार दिलाएगा. विदेशों में भी इसके ज्ञान से भारतीयों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. जी हां यह सब सीएम योगी और संस्कृत संस्थान की विशेष पहल से संभव हो रहा है, जिसका पहला केंद्र दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शुरू हो गया है. इस केंद्र में 120 विद्यार्थी अध्ययन करेंगे. वहीं इस कोर्स के प्रति लोगों ने भी अपनी खूब ललक दिखाई है और इसके लिए 173 आवेदन भी आये थे, जिसमें साठ-साठ विद्यार्थियों की दो क्लास चलाई जा रही हैं.

DDU में शुरू हुआ ज्योतिष समेत वास्तु का कोर्स.


ज्योतिष और वास्तु के इस ज्ञान के लिए संस्कृत संस्थान ने न कोई उम्र की सीमा निर्धारित की है और न ही इसे महिला और पुरुष में बांटा है. कोर्स में हर आयु वर्ग के महिला- पुरुष अध्ययन कर सकते हैं. बस आवेदनकर्ता को ग्रेजुएट होना जरूरी है. वहीं क्लास में छात्राओं की उपस्थिति को देखकर आसानी से अंदाज लगाया जा सकता है कि छात्रों के अंदर इस विधा के ज्ञान के लिए कितनी उत्सुकता है.

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पीएम मोदी की यह मांग है कि संस्कृत को आगे बढ़ाया जाए, जिस संस्कृत की बदौलत भारत विश्व गुरु है, उसको आगे बढ़ाया जाए. इसी के चलते यह कोर्स शरू किया गया है.
-प्रो. मुरली मनोहर पाठक, विभागाध्यक्ष, संस्कृत

Intro:गोरखपुर। ज्योतिष और वास्तुशास्त्र का ज्ञान अब लोगों को रोजगार दिलाएगा। विदेशों में भी इसके ज्ञान से भारतीयों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। यह संभव हो रहा है सीएम योगी और संस्कृत संस्थान के विशेष पहल से। जिसका पहला केंद्र दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शुरू हो गया हैं।जहां 120 विद्यार्थी अध्ययन करेंगे। इस कोर्स के प्रति लोगों ने भी अपनी खूब ललक दिखाई है और इसके लिए 173 आवेदन भी आये थे जिसमें साठ-साठ विद्यार्थियों के दो क्लास चलाये जा रहे हैं।


Body:ज्योतिष और वास्तु के इस ज्ञान के लिए संस्कृत संस्थान ने न कोई उम्र की सीमा निर्धारित की है और न ही इसे महिला और पुरूष में बांटा है। इसमें हर आयु वर्ग के महिला- पुरुष अध्ययन कर सकते हैं।बस उन्हें ग्रेजुएट होना जरूरी है। इसके चल रहे क्लास में छात्राओं की उपस्थिति को देखकर आसानी से अंदाज लगाया जा सकता है कि उनके अंदर इस विधा के ज्ञान के लिए कितनी उत्सुकता है। वह संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएट होने के साथ रोजगार के अवसर वाले इस कोर्स में भी सर्टिफिकेट हासिल करना चाहती हैं और विदेशों में बढ़ी भारतीय ज्योतिषियों की मांग को पूरा करना चाहती हैं। वहीं उम्र दराज लोग भी इसकी सराहना कर रहे हैं।


बाइट-मधु मिश्रा, छात्रा
बाइट- योगेंद्र नाथ शुक्ल, छात्र
बाइट--प्रो0, छाया रानी, को-कॉर्डिनेटर


Conclusion:संस्कृत को विश्व व्यापी पहचान एक बार फिर दिलाने के उद्देश्य से शुरू हो चुके इस कोर्स को गोरखपुर से शुरू करवाने में विभागाध्यक्ष संस्कृत गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक ने भी अथक प्रयास किया और बढ़ते आवेदन को देखते हुए उन्होंने 120 सीटों को संचालित करने की अनुमति सरकार और संस्थान से लेने में कामयाब हुए। वह इसे संस्कृत की पहचान को बढ़ाने वाली व्यवस्था का सोच बताया।

बाइट--प्रो0 मुरली मनोहर पाठक, विभागाध्यक्ष, संस्कृत

मुकेश पाण्डेय
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