गोरखपुर: कान्हा उपवन में क्षमता से करीब दोगुने से ज्यादा आवारा पशु रखे जा चुके हैं. 560 पशुओं की क्षमता वाले कान्हा उपवन में मौजूदा समय में 1387 पशु पल रहे हैं. ऐसे में उनकी देखभाल करना, उनके लिए चारे और भूसे का इंतजाम करना नगर निगम प्रशासन के लिए बड़ी समस्या बन गया है. यही वजह है कि सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को पकड़ने का नगर निगम का अभियान वर्तमान में काफी धीमा हो गया है. इससे सीएम योगी के सड़कों में घूम रहे आवारा पशुओं को गोशाला में रखने वाला अभियान भी फेल होता नजर आ रहा है. इतना ही नहीं यह आवारा पशु आम नागरिकों की जिंदगी में बाधा बन रहे हैं. कहीं यह लोगों को घायल करते हैं, तो कहीं जाम का कारण बनते हैं.
आवारा पशुओं के अभियान के प्रभारी डीके पांडेय ने बताया कि दिसंबर 2021 से मई महीने में अब तक 260 आवारा पशुओं को पकड़ा गया है. इन्हे कान्हा उपवन में रखा गया है. उन्होंने बताया कि यहां पर अधिकतम 560 पशुओं को रखने की क्षमता है, लेकिन पशुओं की बढ़ती संख्या और अभियान को आगे बढ़ाने के क्रम में इनकी संख्या 1387 हो गई है. जो कई तरह से परेशानी का कारण बन रहे हैं. इसके चलते पशुओं को पकड़ने का उनका अभियान धीमा हो गया है. फिर भी जहां से शिकायत मिलती है वहां पर कैटल कैचिंग दस्ते को भेजा जाता है.
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डीके पांडेय ने बताया कि प्रतिदिन करीब 2 पशुओं को पकड़ने और उन्हें गोशाला में रखने का लक्ष्य है. लेकिन स्थान और संसाधन के अभाव में इसे लंबे समय तक आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. उन्होंने बताया कि अब ब्लॉक लेवल पर बनाए गए पशु आश्रयों में पशुओं को भेजे जाने का प्लान तैयार किया जा रहा है. इससे शहरी क्षेत्रों में अभियान को तेजी मिलेगी.
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इस मामले में कान्हा उपवन के प्रभारी शशि कांत भारद्वाज कहते हैं कि जानवरों को शिफ्ट करने का प्लान तैयार हो रहा है. लोगों की शिकायतों पर पशुओं को पकड़कर लाया जाता है. उन्होंने बताया कि सांड के आतंक की कई शिकायतें मिलती हैं. इनकी वजह से कई लोगों की जान भी गई है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर विशंभर शरण पाठक की सांड के मारने से मौत हो गई थी. ऐसे कई मामले हैं जो आवारा पशुओं की वजह से दुर्घटना की लिस्ट में दर्ज हैं.
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