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गोरखपुरः वायु प्रदूषण के आंकड़ों में करीब तीन से चार गुना तक की बढ़ोतरी - गोरखपुर में वायु प्रदूषण

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में वायु प्रदूषण के आंकड़ों में करीब तीन से चार गुना तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसके कारण लोगों की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है.

गोरखपुर में वायु प्रदूषण.
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Published : Nov 19, 2019, 6:34 PM IST

गोरखपुरः प्रदूषण की चपेट में देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि गोरखपुर का भी वायु प्रदूषण काफी डेंजर जोन में पहुंच चुका है. जिले के शहरी आबादी क्षेत्र हो या फिर औद्योगिक क्षेत्र, इन सभी जगहों पर वायु प्रदूषण तय मानक से करीब 3 से 4 गुना ज्यादा बढ़ चुका है. यह आंकड़ा भारत सरकार द्वारा गठित टीम के सैंपल से निकलकर सामने आया है, जिसपर पर्यावरण विज्ञानियों ने काफी चिंता जाहिर की.

गोरखपुर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर.
वायु प्रदूषण काफी डेंजर जोन परवायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए भारत सरकार ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के पर्यावरणविद् डॉ. गोविंद पांडेय को जिम्मेदारी दे रखी थी. उनकी देखरेख इकट्ठे नमूने के मुताबिक हवा में पर्टिकुलर मैटर-10(पीएम-10) का स्तर रिहायशी, औद्योगिक और व्यवसायिक इलाकों में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए.

दिवाली के बाद के आंकड़ों में करीब तीन से चार गुना तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. डॉ. पाण्डेय ने इसे बेहद खतरनाक बताते हुए शहरों में बढ़ते वाहनों की संख्या को मुख्य वजह बताई है.

वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर से काफी ऊपर
आंकड़ों पर गौर करें तो वायु प्रदूषण का स्तर रिहायशी इलाकों में 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पार पहुंच गया है, जबकि इसे 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए. इसी प्रकार औद्योगिक क्षेत्र में यह आंकड़ा 402 के पार पहुंच गया है.

व्यवसायिक इलाके में 318 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आंकड़े के साथ वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर से काफी ऊपर है और यह लोगों की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है. शहर में तमाम तरह के निर्माण ने भी वायु प्रदूषण को बढ़ा दिया है. यहीं वजह है कि लोग सड़कों पर मास्क लगाकर चल रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: NGT के निर्देश के बावजूद कूड़ा जलाकर फैलाया जा रहा है वायु प्रदूषण

गोरखपुरः प्रदूषण की चपेट में देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि गोरखपुर का भी वायु प्रदूषण काफी डेंजर जोन में पहुंच चुका है. जिले के शहरी आबादी क्षेत्र हो या फिर औद्योगिक क्षेत्र, इन सभी जगहों पर वायु प्रदूषण तय मानक से करीब 3 से 4 गुना ज्यादा बढ़ चुका है. यह आंकड़ा भारत सरकार द्वारा गठित टीम के सैंपल से निकलकर सामने आया है, जिसपर पर्यावरण विज्ञानियों ने काफी चिंता जाहिर की.

गोरखपुर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर.
वायु प्रदूषण काफी डेंजर जोन परवायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए भारत सरकार ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के पर्यावरणविद् डॉ. गोविंद पांडेय को जिम्मेदारी दे रखी थी. उनकी देखरेख इकट्ठे नमूने के मुताबिक हवा में पर्टिकुलर मैटर-10(पीएम-10) का स्तर रिहायशी, औद्योगिक और व्यवसायिक इलाकों में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए.

दिवाली के बाद के आंकड़ों में करीब तीन से चार गुना तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. डॉ. पाण्डेय ने इसे बेहद खतरनाक बताते हुए शहरों में बढ़ते वाहनों की संख्या को मुख्य वजह बताई है.

वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर से काफी ऊपर
आंकड़ों पर गौर करें तो वायु प्रदूषण का स्तर रिहायशी इलाकों में 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पार पहुंच गया है, जबकि इसे 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए. इसी प्रकार औद्योगिक क्षेत्र में यह आंकड़ा 402 के पार पहुंच गया है.

व्यवसायिक इलाके में 318 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आंकड़े के साथ वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर से काफी ऊपर है और यह लोगों की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है. शहर में तमाम तरह के निर्माण ने भी वायु प्रदूषण को बढ़ा दिया है. यहीं वजह है कि लोग सड़कों पर मास्क लगाकर चल रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: NGT के निर्देश के बावजूद कूड़ा जलाकर फैलाया जा रहा है वायु प्रदूषण

Intro:ओपनिंग पीटीसी...

गोरखपुर। प्रदूषण के गंभीर चपेट में देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि कई और भी ऐसे शहर हैं जिनका वायु प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। बात करें गोरखपुर शहर की तो यहाँ वायु प्रदूषण काफी डेंजर जोन में पहुंच चुका है। शहरी आबादी क्षेत्र हो या फिर औद्योगिक क्षेत्र। गोरखपुर के इन सभी जगहों पर वायु प्रदूषण तय मानक से करीब 3 से 4 गुना से ज्यादा बढ़ चुका है। यह आंकड़ा भारत सरकार द्वारा गठित टीम के सैंपल से निकलकर सामने आया है जिसपर पर्यावरण विज्ञानियों ने काफी चिंता जाहिर की है। वहीं गोरखपुर के लोग अपने बचाव के लिए अब चेहरे पर मास्क लगाकर चल रहे हैं।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।...स्पेशल है


Body:वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए भारत सरकार ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के पर्यावरणविद् डॉक्टर गोविंद पांडेय को जिम्मेदारी दे रखा है। जिनकी देखरेख में जो नमूने इकट्ठा किए गए हैं उसके मुताबिक हवा में पर्टिकुलर मैटर-10(पीएम-10) का स्तर रिहायशी, औद्योगिक और व्यवसायिक इलाकों में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन दिवाली के पहले का आंकड़ा हो या दिवाली के बाद का ताजा आंकड़ा इसमें करीब तीन से चार गुना तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डॉक्टर पांडेय ने इसे बेहद खतरनाक माना है और शहरों में बढ़ते वाहनों की संख्या को जहां मुख्य वजह बताया है। वही यह भी कहा है कि लोगों का भी पर्यावरण को संरक्षित रखने में सावधानी न बरतना इसके बढ़ने का बड़ा कारण है।

बाइट--डॉ गोविंद पाण्डेय, पर्यावरण विज्ञानी


Conclusion:आंकड़ों पर गौर करें तो वायु प्रदूषण का स्तर रिहायशी इलाकों में 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पार पहुंच गया। जबकि इसे 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार औद्योगिक क्षेत्र में यह आंकड़ा 402 के पार पहुंच गया है तो व्यवसायिक इलाके में 318 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आंकड़े के साथ वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर से काफी ऊपर है। यह लोगों की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है। इधर शहर में तमाम तरह के निर्माण ने भी वायु प्रदूषण को बढ़ा दिया है। यही वजह है कि लोग सड़कों पर मास्क लगाकर चल रहे हैं। लोगों में सांस के साथ हार्ट की शिकायतें खूब बढ़ रही हैं।

बाइट--राहुल कुमार, स्थानीय
बाइट--डॉ गोविंद पाण्डेय, पर्यावरण विज्ञानी

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
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