गोरखपुर: शहर की आबोहवा दिन प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है. बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों को ध्यान में रखकर अगर इसका मूल्यांकन करें तो यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. यह खुलासा उन पर्यावरणीय वैज्ञानिकों के शोध में हुआ है, जो गोरखपुर की हवा और जल संबंधी प्रदूषण पर साल 2011 से अनवरत कार्य कर रहे हैं. रिपोर्ट में शहर का वायु प्रदूषण लगातार बढ़ने की बात सामने आई है. शहर में तेजी से बढ़ते वाहनों की तादाद और निर्माण कार्यों का कछुए की चाल से होते रहना वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बनकर उभरा है.
वायु गुणवत्ता परखने के लिए लगाई गईं मशीनें
वायु प्रदूषण की स्थिति को जानने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुश्रवण कार्यक्रम के तहत वायु गुणवत्ता परखने के लिए शहर के तीन अलग-अलग क्षेत्रों में मशीन लगाई गई हैं, जिनसे हर तीन माह पर आंकड़े एकत्र किए जाते हैं.
इसकी पूरी निगरानी मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर गोविंद पांडेय के नेतृत्व में की जाती है. जिन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण की माप में आरएसपीएम (रेस्परेबल सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर) होता है, जिसे पीएम-10 भी कहते हैं.
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प्रदूषण की वजह से होता है सफोकेशन
हवा में मौजूद दिखाई न देने वाले यह कण जीरो से 10 माइक्रोन साइज के होते हैं. 50 माइक्रोन से ऊपर के कण ही आंख से देखे जा सकते हैं और ऐसे कण सांस के रास्ते फेफड़े में पहुंचकर स्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं. शहर के लोग भी प्रदूषण की वजह से सफोकेशन महसूस करते हैं, लेकिन इससे बचने का उनके पास कोई उपाय नहीं सूझता.
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प्रदूषित वायु में शामिल होते हैं ये तत्व
वायु प्रदूषण में जो तत्व शामिल होते हैं. उसमें पीएम-10, एसओ- 2,एनओ-2 और एक्यूआई शामिल होता है. एसओ-2, स्वश्न तंत्र को प्रभावित करता है. यह प्रदूषित हो चुके वायुमंडल में ऑक्सीजन के साथ सल्फर डाइऑक्साइड की भी पर्याप्त मात्रा में मौजूदगी रखता है.
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सांस और दिल के रोगियों की बढ़ रही परेशानी
एनओ-2, की वातावरण में मौजूदगी सांस और दिल के रोगियों की बीमारी को बढ़ाने में सहायक होती है. वहीं एक्यूआई का मतलब एयर क्वालिटी इंडेक्स होता है, जिसके जरिए वायुमंडल और वातावरण में मौजूद हवा की गुणवत्ता की जानकारी मिलती है. इन तीनों कैटेगरी के वायु प्रदूषण मापक सिस्टम में जो मानक निकलकर आया है, वह गोरखपुर में बढ़ते वायु प्रदूषण को दर्शा रहा है.